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Technology: सेंसर बताएगा मिट्टी में नमी, कीटनाशक और खाद की जरूरत, ये रही पूरी जानकारी

Technology. आइओटी इस्तेमाल कर इंजीनियरिंग के तीन विद्यार्थियों ने रेन पाइप सिस्टम तैयार किया है। सेंसर बताएगा मिट्टी में नमी कीटनाशक और खाद की जरूरत।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 12:02 PM (IST)
Technology: सेंसर बताएगा मिट्टी में नमी, कीटनाशक और खाद की जरूरत, ये रही पूरी जानकारी
Technology: सेंसर बताएगा मिट्टी में नमी, कीटनाशक और खाद की जरूरत, ये रही पूरी जानकारी

चाईबासा, सुधीर पांडेय। खेत में कितनी नमी है और फसल पर कब और कितना कीटनाशक व खाद का प्रयोग करना है, यह किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है। कई बार जरूरत से ज्यादा पानी खेत में डाल दिये जाने से फसल बर्बाद हो जाती है। वहीं, कीटनाशक डालते समय किसान भी इसके प्रभाव में आ जाते हैं। किसान और फसल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए चाईबासा इंजीनियरिंग कालेज के तीन छात्रों ने इंटरनेट आफ थिंग्स (आइओटी) का इस्तेमाल कर रेन पाइप सिस्टम तैयार किया है।

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इसके जरिये किसान अपने खेतों में सेंसर लगाकर मिट्टी की नमी का पता कर सकेंगे। साथ ही साथ सिस्टम अपने आप ही चालू होकर पाइप के जरिये खेत की सिंचाई शुरू कर देगा। इस सिस्टम में कीटनाशक व खाद भी आटोमैटिक तरीके से पड़ जायेगी। रेन पाइप सिस्टम सोलर पावर से चलेगा। तीनों छात्रों ने अभी इसका प्रोटोटाइप तैयार किया है। इस तकनीक से उत्साहित होकर भुवनेश्वर की एक कंपनी ने इन छात्रों को मेंटरशिप के लिए अपने संस्थान में बुलाया है। रेन पाइप सिस्टम का प्रोटोटाइप तैयार करने वाली चाईबासा इंजीनियरिंग कालेज इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन की छात्रा पूजा कुमारी, मैकेनिकल के छात्र अमन प्रजापति और अंकित साव ने बताया कि यह सिस्टम सिंचाई के लिए पानी की मात्रा, कीटनाशक व खाद की मात्रा को नियंत्रित करता है। 

बिजली की नहीं जरूरत, सौर ऊर्जा से होगा संचालित

अक्सर देखने में आता है कि खेत की सिंचाई के दौरान बिजली गुल हो जाने से काम रुक जाता है। लेकिन, यह यंत्र पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित होगा। इसमें रिले, टाइम मॉड्यूल, रियल टाइम क्लॉक मोड्यूल, पम्प, सोलर पैनल और सोलन बैटरी लगायी गयी है। 1000 वर्गमीटर के खेत में करीब 9-10 सेंसर लगेंगे। पूरे खेत में पाइप का जाल बिछा रहेगा। खेत के एक साइड पर तीन टंकी रहेगी। एक टंकी पानी, दूसरी कीटनाशक और तीसरी खाद की टंकी रहेगी। सोलर पैनल, सेंसर, पाइप व टंकियां आपस में जुड़ी रहेंगी। पूरा सिस्टम स्वचालित होगा। खेत को जैसे ही सिंचाई, खाद या कीटनाशक की जरूरत महसूस होगी, उसे सेंसर समझ लेगा। एक निश्चित मात्रा में सप्लाई शुरू हो जायेगी। पूजा कुमारी कहती हैं कि रेन पाइप सिस्टम तैयार करने में 25 हजार खर्च आयेगा। अभी किसान ड्रिप इरीगेशन सिस्टम खेतों में लगा रहे हैं। इसकी कीमत करीब 40 हजार है। 

टेक्‍नो फेस्‍ट में लगी प्रदर्शनी

पिछले दिनों ओडिशा के कटक में रेवेंशा विश्वविद्यालय में हुए टेक्नो फेस्ट में रेन पाइप सिस्टम का प्रोटोटाइप प्रदर्शनी के लिए लगाया गया था। हार्डवेयर सेक्शन में पूजा एंड टीम को विनर घोषित किया गया। ओडिशा की इनवीनसिक्स नामक कंपनी ने मेंटरशिप के लिए तीनों विद्यार्थियों को बुलाया है। यह हमारे संस्थान के लिए गौरव की बात है।

-डॉ. देवव्रत राहा, उप प्राचार्य, चाईबासा इंजीनियरिंग कालेज।


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