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जैसे नारी के लिए वस्त्र वैसे धरती का श्रृंगार हैं पेड़

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति की ओर से पर्यावरण संरक्षण और ठोस कचरा प्

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 11:01 PM (IST)
जैसे नारी के लिए वस्त्र वैसे धरती का श्रृंगार हैं पेड़
जैसे नारी के लिए वस्त्र वैसे धरती का श्रृंगार हैं पेड़

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति की ओर से पर्यावरण संरक्षण और ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर 6 उपायों की थीम पर आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम 6 आर कॉन्क्लेव के तीसरे दिन साकची में आयोजित सेमिनार में पर्यावरण चिंतकों और बुद्धिजीवियों ने सभी 6 घटकों अर्थात रीथिंक, रिफ्यूज, रियूज, री-साइकिल, रिड्यूस और रिप्लेस पर चर्चा की। जमुना टुडू ने पेड़ों की महत्ता बताते हुए कहा कि जैसे नारी के लिए वस्त्र की जरूरत है वैसे ही धरती के लिए पेड़ चाहिए।

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सत्र की शुरुआत सेमिनार के मुख्य अतिथि अरका जैन विश्वविद्यालय के वाइस चासलर डॉ एसएस रजी तथा विशिष्ट अतिथियों में एनएसएस के बिहार और झारखण्ड रीजन केक्षेत्रीय निदेशक दीपक कुमार, जल संरक्षण की दिशा में चर्चित विशेषज्ञ मंसूर अली, जंगल बचाओ अभियान से जुड़ी राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त जमुना टुडू, कबाड़ से जुगाड़ कर नवाचारी कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पूर्व प्रोफेसर जेरोम सोरेन, करीम सिटी कॉलेज के भूगोल और पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष ए अली, तथा विशेष अधिकारी संजय कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर की। डा एसएस रजी ने कहा कि इस साल पर्यावरण दिवस की थीम बीट प्लास्टिक के अनुरूप हमें न केवल अपनी आदतों और व्यवहार में पॉलीथिन मुक्त दिनचर्या अपनानी होगी। बल्कि उसे भविष्य में भी आदत बनाए रखनी होगी।

जमशेदपुर अक्षेस के द्वारा पॉलीथिन बंदी की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना भी की। सेमीनार में आए युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सोच ही आगामी भविष्य तय करेगी। पर्यावरणीय प्रदूषण उत्पन्न करने वाले उत्पादों के प्रयोग में मामले में सभी छह आर उपाय अपनाएं। प्रथम दो पर ज्यादा ध्यान दें यानि प्रयोग करने से पहले कई बार सोचें। हो सके तो प्रयोग से मना भी करें। जल संरक्षण के विशेषज्ञ मंसूर अली ने कहा कि पर्यावरणीय नुकसान का सबसे पहला दुष्प्रभाव पानी संकट के रूप में उभर कर आया है। साथ ही पानी का सीमित प्राकृतिक स्त्रोत है। इसलिए पानी के उपयोग को प्रति व्यक्ति उपलब्धता के अनुपात में ही खर्च करें। अनावश्यक बर्बाद करने से पहले सोचें। गंदे पानी को शोधित कर दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाएं।

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कचरे को रियूज कर अपनी खेती को उन्नत बनाया

पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के लिए 2016 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और जंगल बचाओ अभियान के लिए चर्चित रहने वाली जमुना टुडू ने कहा कि वन रोपण और वन संरक्षण से पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है। कहा कि जिस तरह एक स्त्री कपडे़ केबिना नहीं रह सकती है। ठीक उसी तरह बिना वृक्षों के यह धरती नहीं रह सकती है। वर्कर्स कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जेरोम सोरेन ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने शहर के कूड़ेदानों से निकलने वाले कचरे को संग्रह और रियूज कर अपनी खेती को उन्नत बनाया। इस दौरान कई कालेजों के छात्र छात्राएं, पर्यावरण प्रेमी, स्वैच्छिक कार्यकत्र्ता तथा जेएनएसी के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे।

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बांटे गए तुलसी के पौधे

विशेष अधिकारी संजय कुमार ने सभी विशेषज्ञों को 6 आर कांक्लेव का प्रतीक चिन्ह और एक एक तुलसी पौधा भेंट किया। इस दौरान पर्यावरण की दिशा में कार्य करने वाले पांच लोगों को सम्मानित भी किया गया।


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