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बेटे की उच्च शिक्षा के लिए डुमनी बेच रही हड़िया

राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी महिला हड़िया-दारू न बेचे। सरकार फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चला रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 08:00 AM (IST)
बेटे की उच्च शिक्षा के लिए डुमनी बेच रही हड़िया
बेटे की उच्च शिक्षा के लिए डुमनी बेच रही हड़िया

संजीत सरकार, गालूडीह : राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी महिला हड़िया-दारू न बेचे। सरकार फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अभियान चला रही है। परंतु घाटशिला प्रखंड के फुलपाल चौक के समीप मऊभंडार की ओर जाने वाली सड़क के किनारे कीताडीह गांव की दो बुजुर्ग महिलाएं मजबूरी में हड़िया बेचकर अपना भरण-पोषण कर रही हैं। इस सड़क से प्रखंड एवं अनुमंडल के कई हुजूर आते-जाते रहते हैं, परंतु किसी भी वरीय अधिकारी इस मामले को अब तक संज्ञान नही लिया। यहां सरकार के आदेश का भी ईमानदारी से पालन नहीं हो रहा है। बेटा को उच्च शिक्षा देने के लिए बेचते है हड़िया : घाटशिला प्रखंड के कीताडीह गांव के वृद्ध महिला डुमनी मुर्मू वर्षो से हड़िया बेच रही है, हड़िया बेच बेटा नकुल मुर्मू को शिक्षित कर बड़ा साहब बनने का सपना संजोए हुए है। दैनिक जागरण से अपनी तकलीफ सांझा करते हुए बताया कि पति पूंयू मुर्मू के निधन के बाद परिवार चलना मुश्किल हो गया, एक मात्र बेटा नकुल को पड़ा-लिखा कर बड़ा साहब बनाना चाहते है। परिवार का भरण-पोषण भी करना है, कोई मदद करने वाला नही है, अच्छा तो नही लगता, मजबूरी में हड़िया बेच रही हूं। यदि सरकार से सहयोग मिलेगा तो कोई दूसरा व्यवसाय करूंगी।

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इधर, प्रखंड के कीताडीह गांव के एक अन्य महिला सीता हांसदा बताया कि वह मजदूरी का काम करने के लिए जमशेदपुर जाती थी। पिछले लाकडाउन में काम बंद हो गया। दोबारा काम नहीं मिला। एक छोटी भतीजी के अलावा उनका कोई नहीं है। पारिवारिक असुविधा के कारण भतीजी का विवाह नहीं कर पाई। भाई के पत्नी के निधन के बाद एक माह की भतीजी को छोड़ कर दूसरी शादी कर ली। इसके बाद किसी दूसरे जगह पर चला गया। पेट भरने व परिवार चलाने के लिए हड़िया बेचना ही एकमात्र सहारा रह गया। इस काम को करने में अच्छा तो नहीं लगता। क्या करें, मजबूरी है। परिवार के भरण-पोषण के लिए हड़िया बेचना पड़ रहा है।


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