गंभीर मरीजों की जाएगी जान, इलाज को अब एमजीएम में ढूंढना होगा डॉक्टर
एमजीएम अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल ड्रेसर के बाद अब सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की संख्या भी घटी कल सभी का अनुबंध होगा खत्म।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। गंभीर मरीजों की जान पर आफत बन आई है। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में डॉक्टरों का भारी संकट उत्पन्न हो गया है। यहां पहले से ही डॉक्टरों की कमी बरकरार है। सोमवार को सात और भी सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर का अनुबंध खत्म हो रहा है। इससे स्थिति विकट होने की संभावना जतायी गई है। इनके जाने के बाद इलाज के लिए डॉक्टरों को ढूंढऩा पड़ सकता है। ऐसे में अगर कोई गंभीर मरीज इलाज कराने पहुंचता है तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। शनिवार को इसकी सुचना मंत्री सरयू राय हो हुई तो उन्होंने तत्काल स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी से बात किया और अस्प्ताल को व्यवस्थित करने को कहा। अस्पताल में वरीय रेजीडेंट के कुल 97 पद स्वीकृत है। इसमें सिर्फ 14 डॉक्टर ही बचे थे जिसमें सोमवार को 07 और भी डॉक्टर हट रहे है। यानी सिर्फ 07 डॉक्टर ही बच जाएंगे। जिन सात डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो रहा है वे ओपीडी के साथ-साथ इमरजेंसी विभाग में सेवा दे रहे थे। इससे पूर्व एक साथ कई कर्मचारियों को हटा दिया गया था। तब से अस्पताल अव्यवस्थित ढंग से चल रहा है।
अब एसोसिएट प्रोफेसर इमरजेंसी विभाग में देंगे सेवा
डॉक्टर की कमी को देखते हुए शनिवार को एमजीएम अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार व उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी घंटों देर तक माथापच्ची करते दिखे। अंत में निर्णय लिया गया कि अब एसोसिएट प्रोफेसर की मदद ली जाएगी। इमरजेंसी विभाग में उनकी ड्यूटी ली जाएगी। हालांकि, ये पहले से ही बोझ तले दबे हुए है। इनके जिम्मे एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के साथ-साथ ओपीडी व वार्डों में सेवा देने की जिम्मेवारी है। इसके साथ ही अपने-अपने विभागों को भी देखना होता है। ऐसे में वह इमरजेंसी विभाग में कितना समय देंगे यह देखना चुनौती होगी।
न ड्रेसर, न वार्ड ब्वाय, तो कैसे चलेगा अस्पताल
560 बेड वाले एमजीएम अस्पताल से कर्मचारियों की संख्या लगातार घटाई जा रही है। हाल ही में ड्रेसर, वार्ड ब्वाय, कक्ष सेवक, लिफ्ट मैन सहित कई पदों को खत्म कर दिया गया। इससे अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। अप्रशिक्षित लोगों से ड्रेसिंग कराकर मरीजों की जान जोखिम में डाला जा रहा है।
व्यवस्था सुधारने को लेकर मंत्री हर सप्ताह आते एमजीएम
एमजीएम अस्पताल की खराब व्यवस्था को लेकर मंत्री सरयू राय भी चितिंत है। वह प्रदेश के पहले ऐसे मंत्री है जो हर सप्ताह एमजीएम अस्पताल पहुंचते हैं और यथास्थिति से अवगत होते है। इसके बाद वे मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से बात कर जल्द से जल्द खामियां दूर करने को कहते है। ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिल सकें। हालांकि, उनका प्रयास अबतक धरातल पर नहीं उतर सका है।
सात डॉक्टरों का अनुबंध हो रहा खत्म
सात सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो रहा है। इसमें डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. आलोक रंजन महतो, डॉ. अजय कुमार, डॉ. शिवचंद्रिका हांसदा, डॉ. सोनी नारायण, डॉ. ठाकुरमनी शामिल है। इनके जगह पर अब तक कोई नया डॉक्टर नहीं आया है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इनके जाने के बाद अस्पताल की स्थिति और बदतर हो जाएगी।
एमजीएम में कर्मचारियों की भारी कमी
पद का नाम स्वीकृत आवश्कता
असिस्टेंट डायटीशियन 00 01
इलेक्ट्रिकल हेल्पर 00 06
कंप्यूटर ऑपरेटर 02 57
ड्रेसर 00 37
एंबुलेंस चालक 03 04
कक्ष सेवक 00 130
लिफ्ट मैन 00 12
सफाई सेवक 40 187
लैब अटेंडर 00 09
रसोई सेवक 00 07
सुरक्षाकर्मी 20 71
प्लंबर 01 01
फैक्ट फाइल
42 करोड़ रुपये करीब एमजीएम को संचालित करने में होता खर्च।
97 वरीय रेजीडेंट डॉक्टर की बजाए सिर्फ 07 ही तैनात।
78 मेडिकल ऑफिसर की बजाए सिर्फ 09 ही तैनात।
274 नर्सों के स्थान पर सिर्फ 46 ही कार्यरत।
30 नर्सिंग सिस्टर के बजाए सिर्फ 10 ही तैनात।
एमजीएम अस्पताल में सात डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो रहा है। प्रबंधन का कहना है कि पहले भी 11 डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हुआ और उनके जगह पर कोई नया डॉक्टर नहीं मिला। इसे लेकर मैं शनिवार को स्वास्थ्य सचिव से बात किया तो उन्होंने बताया कि बहाली की प्रक्रिया पूरी कर चुनाव आयोग को भेजा गया है। वहां से अनुमति मिलते ही आदेश जारी कर दिया जाएगा। मरीजों के हित में हमारा प्रयास लगातार जारी रहेगा।
सरयू राय, मंत्री, खाद्य-आपूर्ति विभाग।
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