School On Wheels : यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए घर पहुंच रहा स्कूल
जी हां इस पहल को सराहने से आप खुद को नहीं रोक पायेंगे। यहां स्कूल घर पहुंच रहा है। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के एक स्कूल ने स्कूल ऑन व्हील्स नामक प्रोजेक्ट लांच किया है।
जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। School On Wheels आए दिन शिकायतें मिल रही हैं कि ऑनलाइन कक्षा में 30 से 40 प्रतिशत बच्चे शामिल नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। यदि एक फोन है तो अभिभावक वर्क फ्रॉम होम में व्यस्त रहते हैं। यही नहीं ऑनलाइन कक्षा से बच्चों की आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला के एक स्कूल ने स्कूल ऑन व्हील्स नामक प्रोजेक्ट लांच किया है।
जिला मुख्यालय जमशेदपुर से 45 किलोमीटर दूर घाटशिला प्रखंड के काशीदा में स्थित इस विद्यालय का नाम है- श्रीश्री विद्या मंदिर। इसके शिक्षक अभिभावकों के घर जाकर पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। बच्चों को पढ़ने का तरीका एवं होमवर्क आदि की जानकारी दे रहे हैं। वाहन में ही एलकेजी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के अभिभावकों को यह बताया जा रहा है कि कौन-सा चैप्टर पढ़ना है, कैसे प्रश्न-उत्तर को बनाना है। यहां तक कि ड्राइंग पेपर भी बांटा जाता है। अगले दिन जाकर इन छात्रों का होमवर्क चेक करते हैं। आमने-सामने अभिभावकों से संवाद भी करते हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग करता स्कूल का संचालन
यह विद्यालय आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से संचालित है। कोरोना के कारण विद्यालय की कक्षाएं बंद थीं। ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थीं। लेकिन इसमें लगभग 40 प्रतिशत बच्चे नेटवर्क समस्या, मोबाइल की कमी तथा स्वास्थ्य कारणों से नहीं जुड़ पा रहे थे। इसके बाद स्कूल प्रबंधन यह अनूठी पहल शुरू की।
वाहन में विषयवार शिक्षक करते यात्रा
वाहन में विषयवार शिक्षक यात्रा करते हैं। अभिभावकों को पाठ्य सामग्री मुहैया कराते हैं। बच्चों के होमवर्क की जांच करते हैं। चूंकि एलकेजी और कक्षा पांच के बीच के छात्र 10 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। उन्हें कोरोना के कारण इकट्ठा करने की अनुमति नहीं है। स्कूल ऑन व्हील्स प्रोजेक्ट काफी लाभदायक है।
- तिलोत्तमा सिंह, प्रिंसिपल, श्रीश्री विद्या मंदिर, घाटशिला।
ऐसे आधा दर्जन शिक्षक हैं जो परियोजना में सहायता कर रहे हैं। हमने इसे चुनौती के रूप में लिया है। स्कूल ऑन व्हील्स छोटे बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में काफी सहायक है। सबसे बड़ी बात उन्हें मोबाइल देखना नहीं पड़ रहा।
- अशोक घोष, प्रशासक, श्रीश्री विद्या मंदिर, घाटशिला।