झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में हो रहा घोटाला, जमशेदपुर के विजय सिंह ने बुलंद की आवाज
Jharkhand State Co- operative Bank. सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक हुई जिसमें जमशेदपुर से पूर्वी सिंहभूम जिला के प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह भी शामिल थे। उन्होंने झारखंड स्टेट को-आपरेटिव बैंक में हो रहे घोटालों पर आवाज बुलंद की।
जमशेदपुर, जासं। रांची में सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक हुई, जिसमें जमशेदपुर से पूर्वी सिंहभूम जिला के प्रतिनिधि विजय कुमार सिंह भी शामिल थे। उन्होंने झारखंड स्टेट को-आपरेटिव बैंक में हो रहे घोटालों पर आवाज बुलंद की।
विजय सिंह ने कहा कि बैंक के वर्तमान अध्यक्ष, अल्पमत बोर्ड तथा सीईओ द्वारा किए गए 25 ऐसे कार्य हैं, जिससे बैंक की जमा पूंजी गर्त में चली गई है। बैंक की हालत दयनीय है। उनकी बातों का समर्थन करते हुए बैंक के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए अपना इस्तीफा देने वाली दो महिला, पूर्व निर्देशक सुनयना पाठक और कौशिल्या कुजूर ने कहा कि ढाई साल में कृषकों एवं कृषि सहकारी संस्थाओं का एक भी काम इस बोर्ड ने नहीं किया गया। अब जब यह बोर्ड अल्पमत में है, तो किसी तरह अपने बचे निदेशकों का साथ पाने के लिए उनकी सहकारी समितियों के ढाई साल से लंबित मांगों को पूरा करने का ढोंग कर रहा है। आश्चर्य कि बात है कि पिछली तीन बैठकों की कार्रवाई की सम्पुष्टि के लिए चार बैठकों का आयोजन किया गया और ऐन वक्त पर कोरम पूरा नहीं होने के कारण रद कर दिया गया।
आडिटर की रिपोर्ट का हवाला
बैंक के आडिटर ने अपनी समग्र रिपोर्ट में कहा कि बैंक की हालत खस्ताहाल है, क्योंकि यहां वित्तीय कामकाज के लिए जिन नियमों का पालन किया जाना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिब बैंक लि. के गठन के लिए जिन जिला सहकारिता बैंकों का विलय किया गया, उनके मूल शेयरधारकों का बैंक के दस्तावेज में जिक्र न होना, एक बहुत बड़ी साजिश का संकेत है। बैंक के एनपीए को घटाने के लिए नए तरीके के रूप में इजाद रीकास (हेलीकाप्टर) एकाउंट बहुत ही खतरनाक है, जिसमें वैसे बहुत सारे लोन को डाल कर राइटऑफ कर दिया जाता है, जिससे बैंक के अध्यक्ष, अल्पमत बोर्ड तथा सीईओ का निजी स्वार्थ जुड़ा होता है। इस एकाउंट में लगभग 200 करोड़ की राशि डाल दी गई है, जिसकी पहली किस्त 30 करोड़ रुपये राइटऑफ दिखा दी गई है।
बोर्ड भंग करने की वकालत
सहकारी संस्था के प्रतिनिधि यमुना सिंह ने कहा कि ढाई साल के बोर्ड ने राज्य सहकारी बैंक को सिर्फ डूबाने का कार्य किया है। आज पलामू और लातेहार में इस बैंक की एक भी शाखा नहीं है, जिससे कृषि लोन तो दूर कृषकों को फसल बीमा योजना तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि ये दो जिला क्या झारखंड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब यह बोर्ड अल्पमत में है, इसे भंग किया जाना चाहिए। सदस्यों ने बीते ढाई वर्ष में एक भी आमसभा नहीं करने पर बड़ी आपत्ति दर्ज की और कहा कि अब यह अल्पमत निदेशक पर्षद यह अधिकार भी खो चुका है। यह काम अब निबंधक या सरकार का रह गया है, क्योंकि पिछली चार बैठकों में अपने अस्तित्व को साबित करने में नाकाम अब निदेशक पर्षद नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। उन्होंने मांग की कि बैंक के प्रमाणित घोटालों की जांच के लिए सरकार की सुदृढ़ एजेंसी को अधिकार दिया जाना चाहिए, क्योंकि प्रायः यही दिख रहा है कि जिस बैंक के अध्यक्ष, अल्पमत बोर्ड तथा सीईओ या बैंक पदाधिकारी के खिलाफ जांच होनी है, जांच का जिम्मा भी उन्ही को दे दिया जाता है, जिससे अपराधी अपने बचाव का रास्ता निकाल लेते हैं।
इन मुद्दों पर बनी सहमति
विशेष आमसभा के अंत में सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों की समिति बनी जो इन मांगों को लेकर बैंक के अल्पमत बोर्ड को खत्म करने, कृषक सहकारी समितियों को जागरुक करने तथा बैंक के सुदृढ़ीकरण के कार्यों को लेकर लगातार कार्य करेगी। बैठक में ये भी उपस्थित थें, कौशलेन्द्र सिंह, राम नारायण साह, सुधीर कुमार, चुनका राम मार्डी, यमुना सिंह, भागी सिंह आदि शामिल थे।