लोहे का पाइप कागज की तरह फट गया, हैरानी जता रहे जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय
मोहरदा पेयजल परियोजना की ख़ामियां धीरे-धीरे सामने आ रही है। राइजिंग मेन पाइपलाइन का काग़ज की तरह फट जाना गंभीर बात है। इस कारण बड़ा हादसा हो सकता था जो टल गया। टंकियों की सफ़ाई के लिए उनके ऊपर तक जाने के लिए नया रास्ता बनाना होगा।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित जमशेदपुर के लगभग आखिरी छोर पर 2006 में बिरसानगर मोहरदा जलापूर्ति परियोजना स्थापित हुई थी। यह परियोजना अब भी चल रही है, लेकिन इसके निर्माण को लेकर बीच-बीच में हैरतअंगेज मामले सामने आते रहते हैं।
चार जनवरी 2022 की बात है। शाम करीब छह बजे बिरसानगर छोर का राइजिंग मेन पाइपलाइन फट गया था। इसके कारण उस क्षेत्र में जलापूर्ति बाधित हो गई थी। सूचना मिलते ही विधायक सरयू राय ने जुस्को पदाधिकारियों से बात की और रात में ही मरम्मत कार्य आरंभ हो गया। फटे पाइप को बेहतर पाइप से बदल दिया गया। इस बीच एक वाल्व भी क्षतिग्रस्त हो गया। इसकी मरम्मत होने के बाद पांच जनवरी को दोपहर से जलापूर्ति शुरू हो गई। रांची से शहर पहुंचते ही जमशेदपुर पूर्वी के विधायक व झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय सीधे परियोजना स्थल पहुंचे। मामले की जानकारी ली। पाइप फटने के कारण से अवगत हुए। पहले का पाइप ढलवां लोहा (कास्ट आयरन) का था। इसे बदलने के बाद बारी-बारी से बिरसानगर के सभी जोन को पानी सप्लाई करना प्रारंभ कर दिया गया था।
ढलवां लोहे का पाइप कैसे फटा
सरयू राय ने बताया कि मोहरदा पेयजल परियोजना की ख़ामियां धीरे-धीरे सामने आ रही है। राइजिंग मेन पाइपलाइन का काग़ज की तरह फट जाना गंभीर बात है। इस कारण बड़ा हादसा हो सकता था, जो टल गया। टंकियों की सफ़ाई के लिए उनके ऊपर तक जाने के लिए नया रास्ता बनाना होगा, क्योंकि ये टंकियां अत्यंत कमजोर हो गई हैं। सुरक्षा का हवाला देकर टाटा स्टील यूटीलिटीज इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड (जुस्को) गत 12 वर्ष से इनकी सफ़ाई का ख़तरा नहीं उठा रही थी। अब यह काम दो-चार दिनों में शुरू होगा।
मोहरदा जलापूर्ति योजना का दोबारा बनेगा डीपीआर
सरयू राय ने कहा कि उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता से मोहरदा जलापूर्ति परियोजना के 2006 में बने मूल डीपीआर की प्रति को उपलब्ध कराने के लिए कहा है, ताकि इसके साथ जुड़ी कमियों की जानकारी हो सके और इन्हें दूर करने के लिये परियोजना के फ़ेज़-2 का डीपीआर बनाया जा सके। अन्यथा इस तरह की समस्या है जो धीरे-धीरे सामने आती जाएंगी। राजनीतिक कारणों से हुई भूलों का सुधार इंजीनियरिंग विधा से ही हो सकता है। ग़लतियां सुधर जाने और पानी टंकियों की सफ़ाई हर वर्ष होती रहेगी तो हम उपभोक्ताओं से वादा कर सकते हैं कि मोहरदा परियोजना क्षेत्र में भी कंपनी क्षेत्र जैसा पेयजल दिया जा सकेगा। कुछ दिन पूर्व मोहरदा जलापूर्ति योजना के लिए बुलाई गई बैठक में मैने स्पष्ट कहा था कि नागरिकों को सही समय पर गुणवत्तापूर्ण पेयजल की आपूर्ति मिले, इसे ध्यान में रखकर मोहरदा का डीपीआर फेज-2 तैयार होना चाहिए।