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रघुवर का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं सरयू, पाती को देंगे पुस्‍तक की शक्‍ल; पीएम को करेंगे भेंट

निर्दलीय विधायक सरयू राय अब उस पाती को पुस्‍तक की शक्‍ल देने की तैयारी में हैं जिसे रघुवर सरकार के दौरान लिखा था। योजना यह कि पुस्‍तक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 02:11 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:48 AM (IST)
रघुवर का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं सरयू, पाती को देंगे पुस्‍तक की शक्‍ल; पीएम को करेंगे भेंट
रघुवर का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं सरयू, पाती को देंगे पुस्‍तक की शक्‍ल; पीएम को करेंगे भेंट

जमशेदपुर, जेएनएन। पूर्व मंत्री व विधायक सरयू राय पूर्व मुख्‍यमंत्री रघुवर दास को बख्‍शने को तैयार नहीं दिखते। अव्‍वल तो सूबे की नई सरकार को पुराने मामलों की ओर ध्‍यान खींचकर जांच कराने का सुझाव दे रहे हैं तो दूसरी ओर अब पाती को पुस्‍तक की शक्‍ल देने की तैयारी में हैं। योजना यह कि पुस्‍तक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे। 

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विधानसभा चुनाव में लगातार टिकट होल्‍ड पर रखे जाने से खफा होकर अपना चुनाव क्षेत्र जमशेदपुर पश्चिमी छोड़कर मुख्‍यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से निर्दल मैदान में कूदे और जीतकर पूरे देश को चौंकाने वाले सरयू राय ने रविवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर पुस्‍तक की बाबत जानकारी साझा की।  सरयू ने लिखा क‍ि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए  चिंतन और चिंता की बात यह होनी चाहिए कि देश की राजधानी से किया गया  'न खाऊंगा-न खाने दूँगा' का उनका दृढ़ संकल्प झारखंड में उनके नुमाइंदों तक पहुंचते-पहुंचते 'खाओ और खाने दो' में क्यों और कैसे तब्दील हो गया और विगत पांच  वर्षों में घनीभूत होकर संस्थात्मक होते गया। 

वस्‍तुस्थिति से अवगत कराना मकसद

दूसरे ट्रवीट में सरयू ने लिखा कि मैं यथाशीघ्र उन पत्रों का संकलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजूंगा  जिन्‍हें पिछले चार वर्षों में झारखंड सरकार के शीर्ष पर काबिज व्यक्ति समूह को भ्रष्ट आचरण से परहेज करने के लिए सलाह और चेतावनी स्वरूप भेजते रहने का निष्फल प्रयास करते रहा था। वे अब भी तो वस्तुस्थिति से अवगत हो जाएं।

दिए ये खास सुझाव, कहा-युवा पीढ़ी की राह होगी सुगम

तीसरे ट्वीट में सरयू राय ने गोस्वामी तुलसी दास रचित रामायण की एक चौपाई का जिक्र किया और कुछ सुझाव दिए। सरयू ने लिखा क‍ि रामायण की एक चौपाई  है-'जाके प्रिय न राम वैदेही,तजिये ताहि कोटि वैरी सम यद्यपि परम स्नेही'। राजनीति में जिन्हें स्वच्छ आचरण प्रिय न हो उनके प्रति दलों के शीर्ष नेतृत्व की यही सोच हो तो सुशासन स्थापित होने में विलंब नहीं होगा। युवा पीढ़ी की राह सुगम हो जाएगी।


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