रामबाबू तिवारी ने करोड़ों का मकान कहां से बनाया, प्रशासन जांच करे : भाजमो
लांगटॉम बस्ती में विधायक सरयू राय का शिलापट गायब किए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। अब भारतीय जनता मोर्चा जमशेदपुर महानगर ने मामले के आरोपित रामबाबू तिवारी व अन्य की संपत्ति जांच कराने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : लांगटॉम बस्ती में विधायक सरयू राय का शिलापट गायब किए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। अब भारतीय जनता मोर्चा, जमशेदपुर महानगर ने मामले के आरोपित रामबाबू तिवारी व अन्य की संपत्ति जांच कराने की मांग की है।
बुधवार को साकची स्थित जिला कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में भाजमो के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनारायण व जिला अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव ने बताया कि टाटा स्टील की बाउंड्री के बगल में अवस्थित लांगटॉम बस्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बसाई गई थी। इसी आदेश से रूइया पहाड़ में करीब 250 लोगों को बसाया गया। इस सूची में कहीं भी रामबाबू तिवारी और पप्पू सिंह का नाम नहीं था। लांगटॉम बस्ती में अभी लगभग 500 घर हैं। इन लोगों को बसाने का काम इन लोगों ने किया। रामबाबू तिवारी ने आलीशान इमारत करोड़ों रुपये में बनाई, बाकी के घर वहां छोटे-छोटे हैं। आखिर इनकी आमदनी क्या है। इतने रुपये अचानक कहां से आ गए, इसकी जांच जिला प्रशासन करे।
इनलोगों का लांगटॉम बस्ती में इतना था कि लोग इनके बारे में बोलने से डरते थे। चुनाव के समय भी इन लोगों ने झगड़ा-फसाद किया था। लांगटॉम बस्ती को अचानक रघुवर नगर बना दिया गया। क्या इस नाम से कोई सरकारी गजट निकाला गया है। इस स्थान का नाम लांगटॉम बस्ती ही है और रहेगा।
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय द्वारा लांगटॉम बस्ती को गोद लेकर बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाएगी, सुंदरीकरण किया जाएगा। लांगटॉम बस्ती के लोगों को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। जहां तक शिलापट गायब करने की घटना का सवाल है, यह साबित करता है कि यह सब राजनैतिक लिबास में आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग हैं, जिनका काम गिरोह खड़ा करना और आम जनता में दहशत पैदा करना है।
पिछले दिनों भालूबासा में शिलापट तोड़ा गया था। प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, अब लांगटॉम बस्ती में शिलापट गायब कर दिया गया। प्रशासन ने लापरवाही बरती। ऐसे में भारतीय जनता मोर्चा के पास आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं हैं। लांगटॉम बस्ती की घटना में रामबाबू तिवारी व अन्य के नाम पर प्राथमिकी दर्ज है। प्रशासन से आग्रह है कि 48 घंटे में गिरफ्तारी करे, वरना भारतीय जनता मोर्चा आंदोलन के अगले चरण के लिए निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी। इसकी सारी जबावदेही जिला प्रशासन की होगी।