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झारखंड में संस्कार भारती फरवरी में कराएगी कला साधक संगम, ऐसे ले सकते भाग

संस्कार भारती झारखंड प्रांत का ऑनलाइन कला साधक संगम 24 फरवरी से 28 फरवरी तक होगा। इस कला साधक संगम में नाटक संगीत नृत्य और साहित्य की प्रस्तुतियां होंगी। हिस्सा लेने के इच्‍छुक को एक फरवरी से 10 फरवरी तक चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 03:49 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 03:49 PM (IST)
झारखंड में संस्कार भारती फरवरी में कराएगी कला साधक संगम, ऐसे ले सकते भाग
संस्‍कार भरती का कार्यक्रम 24 फरवरी से होगा।

जमशेदपुर, जासं। संस्कार भारती झारखंड प्रांत का ऑनलाइन कला साधक संगम 24 फरवरी से 28 फरवरी तक होगा। इस कला साधक संगम में नाटक, संगीत, नृत्य और साहित्य की प्रस्तुतियां होंगी। संस्कार भारती की जो इकाई इसमें हिस्सा लेना चाहती है, उन्हें एक फरवरी से 10 फरवरी तक की अवधि में एक चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा  ताकि कला साधक संगम में अच्छी प्रस्तुतियां देखने को मिले।

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नाट्य चयन समिति ने पांच जनवरी की अपनी विशेष बैठक में नाट्य चयन के लिए नियमावली बनाई है। सभी प्रविष्टियां इकाई के मंत्री अथवा नाट्य संयोजक के माध्यम से ही भेजी जाएंगी। नाट्य प्रस्तुतियां दो संवर्गों में होंगी। एकल अभिनय व समूह अभिनय। प्रस्तुति एकल हो अथवा सामूहिक उसे इकाई की ही प्रस्तुति मानी जाएगी। एकल अभिनय के लिए समय सीमा न्यूनतम तीन मिनट औरर अधिकतम पांच मिनट की होगी। समूह अभिनय के लिए समयसीमा न्यूनतम 10 मिनट औरर अधिकतम 15 मिनट होगगी। कोई भी नाट्य प्रस्तुति एकांकी की तरह होगी या एक बार शुरू होकर एक ही अंक में समाप्त करना होगा। प्रविष्टि rakeshramanratu@gmail.com 2octanita@gmail.com sushilankan@gmail.com पर भेजनी होगी।

चयन के बाद फोन से मिलेगी सूचना

नाट्य प्रस्तुति की वीडियो भेजने की तिथि एक फरवरी से शुरू होकर अंतिम तिथि 10 फरवरी होगी। चयनित प्रस्तुति को मेल अथवा फोन के माध्यम से सूचना दी जाएगी। इसलिए प्रस्तुति भेजते समय अपनी इकाई का नाम, फोन नंबर, पात्रों सहित कलाकारों, निर्देशक, लेखक आदि का नाम और अपनी प्रस्तुति का संक्षिप्त विश्लेषण लिखकर अवश्य भेजें।

नाट्य प्रस्तुति के विषय

नाट्य प्रस्तुतियों के लिए कुल चार विषय दिये गये हैं। इनमें से किसी भी विषय पर प्रस्तुति तैयार की जा सकती है। भारतीय परिवार व्यवस्था, जनजातीय कला-संस्कृति पर आधारित प्रस्तुति, स्वतंत्रता आंदोलन व वसंतोत्सव पर आधारित नाटक या गीत-नाट्य के माध्यम से दर्शाया जा सकता है। सभी विषयों की प्रस्तुति से अपनी भारतीय संस्कृति के उदात्त पक्ष को उभारने की कोशिश करनी चाहिए।


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