क्या आपने देखी है संजीवनी बूटी
क्या आपने संजीवनी बूटी देखी है। वही, जिसे लक्ष्मण के मूर्छित होने के बाद इलाज किया गया था।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता): क्या आपने संजीवनी बूटी देखी है। वही, जिसे लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमानजी पहाड़ सहित उठाकर ले आए थे। यदि आप इसे देखना चाहते हैं तो गोपाल मैदान में देख सकते हैं। यह अफ्रीकी वैद्यों के खाली स्टॉल पर रविवार को बिक रहा था। दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधि रविवार दोपहर को ही यहां से चले गए। इसी स्टॉल पर उत्तराखंड से आए सुधीर मिश्रा यह संजीवनी बूटी बेच रहे हैं। सुधीर बताते हैं कि यह पहाड़ के ढलान पर ही उगती है। इसकी जड़ें काई की सतह पर उगती हैं, इसलिए इसे निकालना काफी कठिन होता है। इसके आसपास दूसरा कोई पौधा नहीं उगता, लेकिन यह कई बीमारियों में काम आता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कभी नहीं मरता, जब तक आप इसे खा न लें। देखने में पुदीने की पत्ती के समान होता है, लेकिन इसमें कोई स्वाद नहीं होता। सुबह इसकी चार-पांच पत्ती एक-डेढ़ महीने तक खा लें, तो कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। इसकी दस साल पुरानी सूखी पत्ती भी पानी में डाल देने पर दो दिन में हरी हो जाती है। सुधीर मिश्रा के मुताबिक यह बूटी जिन बीमारियों के काम आती है, उसमें पेट दर्द, गैस, अपच, डेंगू, चिकुनगुनिाय, एंटी बैक्टीरिया, एंटी वायरस, मूत्र संबंधी रोग से लेकर शुक्राणु दोष तक शामिल हैं।
संवाद का समापन आज
जनजातीय सम्मेलन संवाद का समापन आज होगा, जिसमें सुबह से शाम तक कार्यक्रम के बाद वहां कलाकार-प्रतिभागी अपने अनुभव साझा करेंगे। वहीं गोपाल मैदान में सुबह 8.30 से दोपहर 1.30 बजे तक वैद्यराज विभिन्न रोगों के देसी उपचार बताएंगे, तो दोपहर तीन बजे से ट्राइबल आर्ट एंड क्राफ्ट के नाम रहेगा। शाम 5.30 बजे से रात 9.30 बजे तक देश-विदेश से आए जनजातीय कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।