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Tantra ke gan : थाना न कचहरी, संग्राम हैं न्याय के प्रहरी; विवाद सुलझाने इन्‍हें ढूंढते लोग

Tantra ke gan. झारखंड के जमशेदपुर के देवघर क्षेत्र के पूर्व सरपंच संग्राम सोरेन 30 साल से पंचायत में लोगों के विवाद सुलझा रहे हैं। इस गांव का कोई मामला थाना कचहरी नहीं पहुंचा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 11:37 AM (IST)
Tantra ke gan : थाना न कचहरी, संग्राम हैं न्याय के प्रहरी; विवाद सुलझाने इन्‍हें ढूंढते लोग
Tantra ke gan : थाना न कचहरी, संग्राम हैं न्याय के प्रहरी; विवाद सुलझाने इन्‍हें ढूंढते लोग

जमशेदपुर, दिलीप कुमार। Tantra ke gan प्रेम,भाईचारे और समझदारी से किसी भी विवाद का हल संभव है। इस सोच के तहत जमशेदपुर प्रखंड के देवघर पंचायत के पूर्व सरपंच संग्राम सोरेन पिछले तीन दशक से पंचायत क्षेत्र के आपसी झगड़े सुलझा रहे हैं। उनकी कोशिश और सूझबूझ का नतीजा है कि 30 साल से यहां का कोई विवाद न थाने पहुंचा है न अदालत। 82 वर्षीय पूर्व सरपंच संग्राम सोरेन मानते हैं कि ज्यादातर विवाद गलतफहमियों और मनमुटाव की वजह से होते हैं। उनकी कोशिश इसी खाई को पाटने की होती है।

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संग्राम अब सरपंच नहीं हैं, लेकिन इलाके के लोग विवाद सुलझाने के लिए उन्हें ही ढूंढते हैं। तमाम मामलों में निर्णय लेने के पूर्व लोग सलाह लेने उनके पास पहुंचते हैं। खास बात यह है कि संग्राम ने अपने कार्यकाल में ना तो किसी को दंडित किया ना ही किसी के सामने जेल जाने की नौबत आने दी, लेकिन हर मामला सुलझा और दोनों पक्ष संतुष्ट रहे। संग्राम मामले के निपटारे के लिए किसी को पंचायत में नहीं बुलाते थे, बल्कि खुद गांव जाकर मामला सुलझाते थे। वह बताते हैं कि गांव में लोगों को आपसी समझदारी बढ़ानी चाहिए। पूरे गांव के बारे में सोचेंगे तो कभी विवाद नहीं होगा। लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है।

संग्राम पंचायतों को ताकतवर बनाने के पक्षधर

वह पंचायतों को ताकतवर बनाने के पक्षधर हैं। कहते हैं, अब तो सरकार पंचायत को मिलने वाली शक्ति कम कर दी है। पहले पंचायत को कुछ मामलों में जमानत देने का भी अधिकार था। संग्राम सोरेन सरपंच निर्वाचित होने के पूर्व पंचायत के कार्यपालिका के सदस्य थे। पांच वर्ष तक उन्होंने कार्यपालिका सदस्य के रूप में काम किया। उनके जिम्मे सड़क और पेयजल विभाग था। इसके बाद 1977-78 में हुए पंचायत चुनाव में उन्होंने सरपंच का चुनाव जीता।

1992 में देवघर में कराई शराबबंदी

पूर्व सरपंच संग्राम सोरेन के कार्यकाल में ही देवघर गांव में पूर्ण शराब बंदी का निर्णय लिया गया था। 1992 में ग्रामीणों ने महिला समिति की अगुवाई में सरपंच की उपस्थिति में गांव में शराब पर पाबंदी लगाने और किसी के घर में शराब पाए जाने पर उसका सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। उसके बाद से गांव में शराब का सेवन बंद हो गया था।


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