इस तरह मिलेगा सबको रोजगार, जानिए-क्या है इनका अगला लक्ष्य
इंजीनियरिंग व प्रबंधन की डिग्री हासिल करने वाले हाथ इनदिनों फूल और पुदीना उगा रहे हैं।
जमशेदपुर, मनोज सिंह। नक्सल प्रभावित पूर्वी सिंहभूम के सपड़ा में इंजीनियरिंग व प्रबंधन की डिग्री हासिल करने वाले हाथ इनदिनों फूल और पुदीना उगा रहे हैं। दर्जनों गरीब महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं। ये शख्स हैं- सुजीत कुमार। बीआइटी मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद सुजीत ने एक्सएलआरआइ से एमबीए किया है। इसके बाद नकदी फसल उगाकर खुद व दूसरों को रोजगार देने की योजना बनाई।
उन्होंने अपने सौमित्र वर्मा व अजरुन सिंह के साथ सपड़ा गांव में 25 बीघा परती जमीन को आबाद करना शुरू किया। तीनों ने मिलकर जमीन को खेती के लायक बनाया। पिछले एक साल से जोबा यानी अड़हुल की खेती कर रहे हैं। बंजर भूमि अब रंग-बिरंगे फूलों के साथ साथ कई लोगों की जिंदगी रंगीन बना रही है।
इस साल तीनों दोस्तों ने गेंदा फूल और पुदीना की खेती भी की है। आज स्थिति यह है कि शहर में बिकने वाले अड़हुल के फूल इन्हीं के खेतों के होते हैं। तीनों मित्र हर दिन 2500 अड़हुल के फूल बेच रहे हैं। सुजीत के अनुसार, कदमा बाजार में एक महिला ग्रुप को हर दिन फूल की सप्लाई करते हैं, जहां से फूलों को पैकेट में डाल बिक्री होती है।
इस तरह मिलेगा सबको रोजगार
तीनों दोस्तों ने मिलकर अब नया प्लान बनाया है। ठंड के बाद जब फूल अधिक मात्रा में निकलने लगेंगे तो महिलाओं के छोटे-छोटे ग्रुप को सभी पार्कों के सामने बैठा दिया जाएगा। मकसद यह होगा कि जो लोग सुबह टहलने के लिए आते हैं, उन्हें फ्रेश फूल सस्ते दर पर उपलब्ध हो सके। क्योंकि टहलने के बाद घर वापस आने के क्रम में अधिकतर लोग मंदिरों में पूजा जरूर करते हैं। इससे फूल तो बिकेंगे ही महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा।
दस बीघा जमीन में पुदीने की खेती करना है अगला लक्ष्य
सौमित्र वर्मा व अजरुन सिंह ने बताया कि फूलों की खेती के अलावा 10 बीघा जमीन में पुदीने की खेती करने की भी योजना है। इसके लिए खेत की जुताई शुरू हो गई है। उनका दावा है कि झारखंड में पहली बार बड़े पैमाने पर पुदीने की खेती की जाएगी। मकसद है कि झारखंड में पुदीने की खेती को बढ़ावा दिया जाए, ताकि औषधि बनाने वाले यहां खरीदारी करने आएं।
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जब बड़ी बड़ी कंपनियां गांवों में खेती को आगे आ रही हैं, तो यह काम हम स्वंय क्यों नहीं कर सकते। जरूरी नहीं कि पढ़ लिखकर विदेश में ही नौकरी की जाए।
-सुजीत कुमार
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