सदर अस्पताल में टारगेट पूरा करने को महज ढाई घंटे में कर दिया 60 महिला बंध्याकरण
सदर अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। बुधवार को परिवार कल्याण पखवारा में नया खेल हुआ।
अमित तिवारी, जमशेदपुर : सदर अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। बुधवार को परिवार कल्याण पखवाड़ा के तहत महज ढ़ाई घंटे में ही 60 महिलाओं का ऑपरेशन कर बंध्याकरण कर दिया गया। इससे पूरे अस्पताल में खलबली मची रही, लेकिन सबकी जुबान चुप थी। कहीं मामला बाहर तक नहीं जा पहुंचे।
यहां पोटका प्रखंड की महिलाओं का बंध्याकरण किया जा रहा था। उसी दौरान ऑपरेशन थियेटर (ओटी) के बाहर दैनिक जागरण की टीम भी पहुंची। बाहर में ऑपरेशन करने के लिए महिलाओं को जमीन पर ही बैठाया गया था तो वहीं अंदर में ऑपरेशन करने के बाद फर्श पर ही लिटाया जा रहा था। एक सहिया ने बताया कि जहां तक उनको जानकारी है कि किसी भी मरीज को फर्श पर नहीं लिटाया जा सकता, लेकिन यहां उतनी जगह नहीं होने की वजह से ऐसा किया जाता है जिससे संक्रमण फैलने का भी खतरा बना रहता है। संक्रमण फैलने से मरीजों की मौत भी हो जाती है। बीते एक साल पूर्व ही एक महिला की मौत बंध्याकरण के समय हो गई थी। सदर अस्पताल में महिला बंध्याकरण दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर ढ़ाई बजे तक होता है।
80 महिलाओं का होना है बंध्याकरण, आज 20 का होगा
पोटका प्रखंड के कुल 80 महिलाओं का बंध्याकरण होना है। पहले दिन 60 का हुआ। बाकि 20 का बंध्याकरण गुरुवार को होगा। इसके लिए टेल्को स्थित परिवार कल्याण संस्थान से निजी डॉक्टर व उनकी टीम आती है। जबकि एनेस्थेसिया (बेहोशी) देने का काम सदर अस्पताल के डॉक्टर करते है। ऑपरेशन करने वाले निजी डॉक्टर की उम्र करीब 70 साल है। सुप्रीम कोर्ट व भारत सरकार के नियमानुसार एक सर्जन 20 से 30 महिला बंध्याकरण ही कर सकते है।
चल रहा यह खेल, जांच का विषय
विभाग अपना टारगेट पूरा करने के लिए नियमों को ताक पर रखकर बंध्याकरण कर रहा है, जो गलत है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बीते एक साल से यह खेल चल रहा है। बंध्याकरण दोपहर 12.30 से ढ़ाई बजे तक ही होता है लेकिन उसे दो शिफ्ट में दर्शाया जाता है। कभी-कभी तीन शिफ्ट व एक दिन पूर्व भी दिखा दिया जाता है। इस बिंदु पर भी जांच करने की जरुरत है।
बंध्याकरण की आदर्श प्रक्रिया क्या है?
बंध्याकरण करवाने वाली महिला को सबसे पहले इस प्रक्रिया से जुड़े फायदे और खतरे के बारे में अच्छे से अवगत करवाया जाए। महिला पर इसके लिए किसी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए, न तो सरकार का और न ही किसी स्वास्थ्य अधिकारी का। स्वीकृति के बाद महिला को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है जहां उसे एनस्थीसिया दिता जाता है। बंध्याकरण की प्रक्रिया में इंफेक्शन का डर सबसे ज्यादा रहता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि सभी मेडिकल औजार साफ-सुथरे होने चाहिए।
'कभी-कभार महिलाओं की संख्या बढ़ जाने से इस तरह का हो सकता है। फिर भी इस मामले को देखता हूं। आगे उचित कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन।