रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट, हिंदू जनजागृति समिति ने कहा-अमानवीय रोहिंग्याआें को भारत में रहने देना घातक
म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को एक बड़े षड्यंत्र के अंतर्गत भारत में अवैध रूप से बसाया जा रहा है। वे जम्मू-कश्मीर असम पंजाब उत्तर भारत मेवात (हरियाणा) सहित देश के अनेक भागों में फैल रहे हैं। ये रही पूरी जानकारी।
जमशेदपुर, जासं। म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को एक बड़े षड्यंत्र के अंतर्गत भारत में अवैध रूप से बसाया जा रहा है। वे जम्मू-कश्मीर, असम, पंजाब, उत्तर भारत, मेवात (हरियाणा) सहित देश के अनेक भागों में फैल रहे हैं। मेवात में हिंदुआें की भूमि पर अतिक्रमण कर हिंदू युवतियों का अपहरण, बलात्कार, हिंदुओं की हत्या, मंदिरों की तोड़फोड़, घर हथियाना इत्यादि कृत्य उन्होंने आरंभ कर दिया है।
ऐसे अमानवीय और आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रोहिंग्याआें को मानवता के दृष्टिकोण से भारत में रहने देना, देशहित के लिए घातक है। ये बातें हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रवक्ता तथा सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहीं। वे हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठिए : राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट’ विषयक ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे।
समिति से जुड़े जमशेदपुर के सदस्य सुदामा शर्मा ने बताया कि आनलाइन संवाद में अधिवक्ता जैन ने आगे कहा कि प्रशांत भूषण और कॉलिन गोन्साल्विस जैसे अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय में रोहिंग्याआें के लिए लड़ रहे हैं। ‘जकात फाउंडेशन’ जैसे धार्मिक संगठन रोहिंग्याआें को पूरे देश में बसाने का कार्य कर रहे हैं। इस विषय में पूरे देश में जनजागृति करनी चाहिए। इस समय विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि पहले शरणार्थी बनकर ये लोग आश्रय लेते हैं। आगे स्वयं की जनसंख्या बढाकर उस देश में अपना वर्चस्व निर्माण करते हैं। इस प्रकार उन्होंने विश्व के 56 इस्लामी देश बनाए हैं। म्यांमार से हजारों किलोमीटर दूर स्थित जम्मू में हजारों रोहिंग्याआें को क्यों बसाया गया। इसके पीछे जम्मू को कश्मीर के समान हिंदूविहीन करने का जिहादी विचार था। रोहिंग्याआें की बस्ती भारतीय सैनिक दल की छावनी के निकट बसाई गई। तदुपरांत सैनिक छावनियों पर बम विस्फोट किए गए।
दिल्ली में जुटे तीन हजार रोहिंग्या कहां गए
वर्ष 2008 में दिल्ली में शरणार्थियों का दर्जा मांगने के लिए एकत्रित हुए तीन हजार रोहिंग्या बाद में कहां गए, यह पता नहीं चला। इसलिए सरकार पर आश्रित न रहते हुए सभी हिंदुआें को स्वयं जागृत और संगठित होना चाहिए, तभी घुसपैठ रुकेगी। सनातन संस्था के धर्मप्रचारक अभय वर्तक ने कहा कि घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट है। वर्ष 2012 में 40 हजार रोहिंग्या थे, जिनकी संख्या अब कुछ लाख हो गई है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दी जानकारी के अनुसार भारत में 6 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। नई जानकारी के अनुसार दिल्ली में 11 हजार अफगानिस्तान से आए घुसपैठिए हैं। उन्होंने दिल्ली में ‘मिनी काबुल’ बसाया है। दिल्ली में रोहिंग्याआें की झोपडियां अचानक जलने पर उनसे मिलने ‘आप’ के नेता आए। उन्होंने रोहिंग्याआें को दिल्ली सरकार की ओर से आर्थिक सहायता, नया घर, बिजली, पानी दिए जाने की घोषणा की। अर्थात बहुसंख्यक हिंदू कर (टैक्स) भरें और सुविधाएं घुसपैठियों को दी जाए, यह हिंदू कदापि सहन नहीं करेंगे। घुसपैठियों को मानवता की दृष्टि से देखने पर हिंदू ‘मानव’ के रूप में नहीं बचेंगे। इस पर हिंदू जनजागरण मंच के असम के विधि प्रमुख अधिवक्ता राजीवकुमार नाथ ने कहा कि असम की हजारों किलोमीटर की सीमा म्यांमार से सटी है। इसलिए स्थानीय धर्मांधों की सहायता से रोहिंग्याआें को योजनाबद्ध तरीके से भारत में बसाया जाता है, यह वस्तुस्थिति है।