खरकई सूखी तो स्टेशन व जुगसलाई में होगा त्राहिमाम
खरकई नदी सूखी तो रेलवे स्टेशन और जुगसलाई में पानी के लिए त्राहिमाम मचेगा। इधर बीच हो रही बरसात के चलते नदी में कुछ पानी है। इतना पानी की महीने भर तक काम चल जाए। लेकिन अगर ठीक-ठाक बरसात नहीं हुई तो नदी का पानी सूख सकता है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : खरकई नदी सूखी तो रेलवे स्टेशन और जुगसलाई में पानी के लिए त्राहिमाम मचेगा। इधर, बीच हो रही बरसात के चलते नदी में कुछ पानी है। इतना पानी की महीने भर तक काम चल जाए। लेकिन, अगर ठीक-ठाक बरसात नहीं हुई तो नदी का पानी सूख सकता है।
खरकई के पानी को यूसिल भी बांध बना कर रोक लेता है। यूसिल जो पानी छोड़ता है वही रेलवे और जुगसलाई की जलापूर्ति योजनाओं को मिलता है। यूसिल ने कुछ दिन पहले पानी छोड़ा है, जो बड़ौदा घाट पर है। रेलवे को रोज 15 लाख गैलन पानी की जरूरत है। बागबेड़ा में बड़ौदा घाट स्थित रेलवे के इंटकवेल से 15 घंटे लगातार पानी उठाया जा रहा है। यहां वाशिंग लाइपन, रेलवे स्टेशन, लोको, रेलवे अस्पताल और रेलवे कॉलोनियों को पानी की आपूर्ति होती है। इसलिए, खरकई नदी रेलवे के लिए जीवन रेखा मानी जाती है। खरकई सूखी तो रेलवे में हाहाकार मचेगा। 2011 में खरकई नदी सूख गई थी। उस साल रेलवे को अपनी ट्रेन धोने और रेलवे स्टेशन पर पानी की आपूर्ति के लिए ओडिशा के बंडामुंडा से पानी मंगाना पड़ता था। उस साल रेलवे ने कॉलोनी में 25 हैंडपंप लगाए थे। लेकिन, अब इनमें से अधिकतर हैंडपंप सूख चुके हैं। पानी नहीं उगल रहे हैं। रेलवे के इंटकवेल से निकले पानी को रेलवे हाईस्कूल के पास मौजूद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में शोधित करने के बाद ही सप्लाई दी जाती है। जबकि, वाशिंग लाइन के लिए सीधे नदी का रॉ वाटर सप्लाई किया जाता है। पंप हाउस के पास पहले एक नल लगा था। आसपास के लोग इस नल से पानी पीते थे। अब ये नल रेलवे ने बंद कर दिया है। जिला पार्षद किशोर यादव ने मांग की है कि इस नल को रेलवे फिर लगाए ताकि आसपास के लोगों को आसानी से पानी मिल सके।
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टैंक में दो दिन का पानी रखेगा रेलवे
रेलवे को नदी के सूखने का अहसास हो गया है। इसलिए, रेलवे एक बड़ा टैंक बना रहा है। इस टैंक में 30 लाख गैलन पानी रहेगा। ताकि, किसी तरह की इमरजेंसी में इस पानी का इस्तेमाल किया जा सके। टैंक का निर्माण शुरू हो चुका है। अलबत्ता, दो महीने से ये निर्माण ठप है। क्योंकि, बच्चे इसके टैंक में घुस कर नहाने लगे थे। ऐसे में कोई हादसा हो सकता था। इसलिए रेलवे के अधिकारियों ने तय किया है कि पहले टैंक के चारों तरफ बाउंड्री वाल बनाई जाएगी। इसके बाद टैंक का निर्माण किया जाएगा।