Health Tips : इन उपायों से अल्सर की समस्या में मिलेगा छुटकारा, जरूर आजमाएं
Ulcer. खान-पान की गड़बड़ी के कारण अल्सर की समस्या पैदा होती है। आप इन उपायों से अल्सर की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
जमशेदपुर, जेएनएन। खान-पान में गड़बड़ी के कारण पेट में जख्म बन जाता है जिसे अल्सर कहते हैं। इसकी खास वजह हैं। चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब के अधिक सेवन करने से अल्सर होता है। अधिक खट्टे, मसालेदार और गर्म चीजों का सेवन भी अल्सर के कारण है। चिन्ता, ईर्ष्या गुस्सा, काम का बोझ, मानसिक परेशानी, बैचेनी के अलावा कभी-कभी पेट में जहरीला रोग पैदा होकर दूषित द्रव्य एकत्रित होकर आमाशय और पक्वाशय में जख्म बना देता है। इस तरह आमाशय में घाव होने से पाचक रसों का बनना रुक जाता है और अल्सर उत्पन्न हो जाता है।
अल्सर के लक्षण
- जब किसी व्यक्ति को अल्सर रोग हो जाता है तो पेट में जलन तथा पेट में दर्द होने लगता है।
- खट्टी डकारे आती हैं, उल्टी होती है, सिर चकराता है, भोजन अच्छा नहीं लगता है।
- कब्ज की शिकायत होती है।
- दस्त के साथ खून आता है।
- शरीर में कमजोरी आ जाती है और मन बैचेन रहता है।
- अल्सर रोग से पीड़ित रोगी जब भोजन करने में जल्दबाजी में करता है या चिंता-फिक्र अधिक करता है या फिर चिकनाई युक्त भोजन करता है तो इस रोग की अवस्था और भी बिगड़ने लगती है।
ये करें परहेज
- अल्सर में आराम मिलने पर भोजन में दूध, सब्जियों का सूप, मसाले, कस्टर्ड और दलिया लेना चाहिए।
- सब्जियां मिलाकर बनाया गया दलिया, चपाती और पका चावल का सेवन करना लाभकारी होता है।
- दूध, पका हुआ केला, चीकू, शरीफा और सेब खाना चाहिए।
- रेशे वाले पदार्थो का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से अल्सर से उत्पन्न पेट की जलन शांत होती है।
- अधिक मीठे और खट्टे पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अनन्नास, संतरा, अमरूद और टमाटर खाना रोगी के लिए हानिकारक होता है।
- खट्टे फल और फलों का रस सेवन नहीं करना चाहिए।
- शारीरिक परिश्रम और मानसिक चिंता से बचना चाहिए ताकि पेट का सिकुड़न कम होकर अल्सर ठीक हो जाए।
- चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
- मैदा, कार्नफलोर, पेस्ट्री, केक, जैम और जैली का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कच्ची सब्जियां, अंकुरित दाल और पत्तेदार सब्जियां नहीं खानी चाहिए।
- अल्सर के रोगी को तले हुए और मसालेदार मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे श्लैष्मिक झिल्ली में जलन होती है।
ये रहे घरेलू उपचार
निर्गुण्डी : 50 ग्राम निर्गुण्डी के पत्ते को आधा लीटर पानी में धीमी आग पर पकाकर चौथाई भाग शेष बचे तो 10-20 मिलीलीटर दिन में 2 से 3 बार पीएं। इससे पेप्टिक अल्सर के रोग से छुटकारा मिलता है।
आंवला :
- एक चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेट में दूषित द्रव्य जमा होने के कारण उत्पन्न अल्सर ठीक होता है।
- आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच, जीरे का चूर्ण आधा चम्मच और मिश्री एक चम्मच को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पेट का जख्म ठीक होता है और दर्द व उल्टी में आराम मिलता है।
केले : केले में अम्ल की मात्रा कम करने और घाव को भरने की शक्ति होती है। पेट में जख्म होने पर प्रतिदिन 3 केला खाना खाने के बाद खाना चाहिए।
पान : पान के हरे पत्तों का आधा चम्मच रस प्रतिदिन पीने से पेट का घाव व दर्द शांत होता है।
मूली : पुरानी कब्ज, तीखे व जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन करने से आन्तों का घाव होता है। मीठे मूली का 100 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार सेवन करने से अल्सर ठीक होता है।
गाजर : गाजर के 150 मिलीलीटर रस, 100 मिलीलीटर पालक का रस और 50 मिलीलीटर गोभी का रस मिलाकर कुछ महीने तक पीने से अल्सर में बहुत लाभ मिलता है।
घी : हल्दी और मुलेठी का चूर्ण पानी में उबालकर ठंडा करके पेट पर लगाने से अल्सर रोग में आराम मिलता है।