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रतन टाटा ने 15 मिनट का समय दिया और बदल गई इस कपल की जिंदगी

रतन टाटा युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि वह नियमित तौर पर स्टार्ट अप में निवेश करते रहते हैं ताकि युवाओं में उत्साह बना रहे। ऐसे ही उद्ममी हैं वालुंज दंपती। 15 मिनट रतन टाटा से मुलाकात ने किस्मत बदल दी।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 09:06 AM (IST)
रतन टाटा ने 15 मिनट का समय दिया और बदल गई इस कपल की जिंदगी
रतन टाटा ने 15 मिनट का समय दिया और बदल गई इस कपल की जिंदगी

जमशेदपुर, जासं। आज बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों में रेपोस एनर्जी डीजल की होम डिलीवरी का कारोबार कर रहे हैं। शायद आपको पता नहीं होगा कि इस बिजनेस के लिए भी रतन टाटा ने ही प्रोत्साहित किया था।

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रेपोस एनर्जी के संस्थापक चेतन वालुंज और बहू अदिति भोसले वालुंज के दिमाग में डीजल की होम डिलीवरी का आइडिया आया था, लेकिन उन्हें चारों ओर से नकारात्मक बातें सुनने को मिल रही थीं। कुल मिलाकर सभी उन्हें हतोत्साहित ही कर रहे थे।

नया आइडिया के साथ रतन टाटा को लिखा लेटर

इसी बीच उनके मन में यह विचार आया कि रतन टाटा से मिलते हैं, देखते हैं कि उनकी क्या सलाह मिलती है। यदि रतन टाटा हमें कुछ आर्थिक मदद भी कर दें, तो बहुत बढ़िया होगा। हुआ भी ऐसा ही। एक दिन चेतन व अदिति अपने आइडिया को एक चिट्ठी के रूप में लिखा और रतन टाटा से मिलने उनके घर चले गए। सुबह से शाम हो गई। चिट्ठी पहुंच भी गई, लेकिन रतन टाटा की ओर से उन्हें मिलने का बुलावा नहीं आया। वालुंज दंपती निराश होकर घर लौट गया।

15 मिनट की मुलाकात तीन-चार घंटे में तब्दील हो गई

कुछ दिनों बाद उनके यहां फोन की घंटी बजी। उधर से आवाज आई- अदिति से बात हो सकती है। मैं रतन टाटा बोल रहा हूं। आपने लेटर में 15 मिनट की मुलाकात के लिए रिक्वेस्ट की थी। कृपया आप एक दिन बाद आ जाएं। अदिति के अनुसार, वो 15 मिनट की मुलाकात कब तीन-चार घंटे में तब्दील हो गई पता ही नहीं चला। उनके आइडिया से रतन टाटा काफी प्रभावित हुए और वालुंज दंपती की इच्छा के अनुसार उन्हें रतन टाटा की ओर से कई तरह की सहायता मिलती रहती है।

महज 40 पैसा प्रति लीटर अतिरिक्त लेकर घर पहुंचाते डीजल

रेपोस एनर्जी इस वक्त मध्य प्रदेश, राजस्‍थान, बिहार, झारखंड के मध्यम श्रेणी समेत करीब 150 शहरों में होम डिलीवरी कर रहे हैं। चेतन कहते हैं कि चाहे किसान हों या कोई इंडस्ट्री मालिक, यदि उन्हें डीजल का इस्तेमाल जेनरेटर, सिंचाई की मशीन या किसी ऐसी चीज के लिए करना है, तो वे कोई न कोई व्यवस्था करते ही हैं। रेपोस एनर्जी यही काम करती है। कंपनी 40 पैसे प्रति लीटर ज्यादा लेकर होम डिलीवरी कर देती है। अब तक उनके करीब 1500 ग्राहक हो गए हैं, जो प्रतिदिन डीजल मंगाते हैं। ऐसे ग्राहक प्रतिदिन दो से चार हजार लीटर डीजल मंगाते हैं। कंपनी ने 2016 में केवल दो कर्मचारियों के साथ यह कारोबार शुरू किया था, आज 400 से ज्यादा कर्मचारी हैं।

विदेश तक कारोबार करने का लक्ष्य

वालुंज दंपती का लक्ष्य इस कारोबार को भारत से दूर दक्षिण अफ्रीका तक ले जाने की है। इसके साथ ही वे रेपोस एनर्जी को अफ्रीकी व अरब के देशों समेत दुनियाभर में ले जाने के उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वह कहते हैं कि जब उन्हें इसका आइडिया आया था, तब केंद्र सरकार भी इस तरह की बात पर विचार कर रही थी। जब हम सरकारी अधिकारियों से मिले, तो उन्होंने यह कहते हुए अनुमति देने का भरोसा दिया कि आप प्रोजेक्ट तैयार करें। अदिति के मुताबिक बाहरी चुनौती के साथ घर में बड़ी चुनौती थी। चेतन और अदिति दोनों के परिवारों के पास अपने कई किस्म के जमे जमाए बिजनेस थे। उसे छोड़कर एक नया और अजीबोगरीब किस्म का कारोबार करना कठिन लग रहा था।


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