रतन टाटा व आनंद महिंद्रा स्पेस रेस की दौड़ में, जल्द अंतरिक्ष में भेजा जाएगा भारत का निजी सैटेलाइट
अब तक इसरो ही अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेजती थी लेकिन यह पहली बार होगा जब हमारे देश के दो युवा स्टार्टअप द्वारा सैटेलाइट भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इस युवा स्टार्ट अप को रतन टाटा व आनंद महिंद्रा सपोर्ट कर रहे हैं।
जमशेदपुर, जासं। भारतीय उद्योग के पुरोधा कहे जाने वाले रतन टाटा हमशेा युवाओं को प्रेरित करते हैं। यही कारण है कि वह स्टार्ट अप कंपनी में निवेश करते हैं। हाल ही में रतन टाटा ने मोग्लिक्स में निवेश किया है। इसके अलावा वह पेटीएम, ओला, स्नैपडील, डॉगस्पॉट, क्योरफिट जैसी 30 से अधिक कंपनियों में निवेश कर युवा उद्यमियों का हौसला बढ़ाया है। बिजनेस टू बिजनेस मार्केटप्लेस मोगलिक्स ने रतन टाटा के निवेश करते हुए 120 मिलियन डॉलर का फंड जुटा लिया। रतन टाटा 2016 से स्टार्ट अप में निवेश कर रहे हैं और जिसमें भी निवेश किया वह कंपनी लाभ में रही।
पिछले महीने रतन टाटा ने एक अर्बन कंपनी में निवेश तिया था, जिसने 190 मिलियन डॉलर जुटा लिए। मार्च में लेंसकार्ट से निकलने वाले रतन टाटा ने पांच गुणा मुनाफा कमाया। पिछले साल रतन टाटा ने first cry में भी निवेश किया था और उसने एक झटके में एक बिलियन से अधिक की राशि जुटा ली। अब जिस कंपनी में रतन टाटा ने निवेश किया है, वह क्योरफिट कंपनी भी अंतरिक्ष में निजी सैटेलाइट भेजने वाली कंपनी को सहायता कर रही है।
स्काईरूट एयरोस्पेस टीम।
अंतरिक्ष में भारत का पहला निजी सैटेलाइट भेजने की तैयारी
स्टार्टअप के बारे में कहा जाता है कि यदि आइडिया अच्छा हो तो निवेशक मिल ही जाते हैं। अब तक इसरो ही अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेजती थी लेकिन यह पहली बार होगा जब हमारे देश के दो युवा स्टार्टअप द्वारा सैटेलाइट भेजने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि सैटेलाइट भेजने के लिए काफी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है लेकिन इन दोनो युवाओं की सोच और स्पेस साइंस के प्रति उनकी लगन को देखते हुए टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा सहित देश के कई उद्योगपतियों ने इनका साथ देने के लिए पैसे लगाने को तैयार हैं।
रतन टाटा को देख और भी उद्यमी स्टार्ट अप में लगा रहे पैसा
रतन टाटा से प्रेरित होकर अब उद्योगपति महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा भी युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्टार्टअप में मदद कर रहे हैं।अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेजने के लिए ये दो कंपनियां है अग्निकुल कॉसमॉस व स्काईरूट एयरोस्पेस है। इन्होंने अब तक अलग-अलग 11 मिलियन डॉलर जुटा लिए हैं। यह भारत में किसी निजी स्पेस स्टार्टअप कंपनी द्वारा जुटाई गई सबसे बड़ी राशि है।
स्पेस रेस फंडिंग में आनंद महिंद्रा ने किया निवेश
चेन्नई के रहने वाले अग्निकुल का कहना है कि उन्होंने अपने स्पेस प्रोजेक्ट के लिए सबसे पहले मेफील्ड इंडिया ने मदद ली। इसके बाद पीआई वेंचर्स, स्पेशल इंवेस्ट, अर्थ वेंचर सहित उद्योपगति महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा ने भी फंडिंग की है। मेफील्ड के मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गोडसे मदद के लिए स्टार्टअप बोर्ड के सदस्य भी बन गए हैं।
हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट ने ग्रीनको ग्रुप के संस्थापक महेश कोल्ली और अनिल कुमार चलमाला शेट्टी से सबसे पहले फंडिंग के लिए मदद ली। इसके बाद वाट्सएप के पूर्व कार्यकारी अधिकारी नीरज अरोड़ा, रतन टाटा द्वारा निवेश की गई कंपनी क्योरफिट के संस्थापक मुकेश बसंल, सोलर ग्रुप और वर्ल्ड क्वांट वेंचर्स जैसी कंपनियां भी इसमें सहयोग कर रही है। इसके अलावा बेंगलुरू स्थित पिक्सल ने भी 7.3 मिलियन डॉलर इस प्रोजेक्ट के लिए दिए हैं।
अग्निकुल कॉसमॉस की टीम।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी दी मंजूरी
दोनो स्पेस प्रोजेक्ट को भारतीय अनुसंधान संगठन की जांच के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2020 में मंजूरी दे दी है। इसके लिए दोनो निजी स्पेस कंपनियों को इसरो के बुनियादी ढ़ाचे, तकनीकि संसाधन और अंतरिक्ष प्रोग्रामर्स का डाटा मदद के रूप में दिया जाना तय किया गया है।
दोनो कंपनियां बना रही है किफायती रॉकेट
दोनो स्टार्टअप कंपनियां अपने स्पेस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए अलग-अलग काम कर रहे हैं। इसके लिए वे छोटे उपग्रहों का निर्माण किया जा रहा है। अग्निकुल एक लांच व्हीकल का निर्माण कर रही है जिसका वजन 100 किलोग्राम तक होगा। यह उपग्रह पृथ्वी के ऑरबिड के निचले कक्षा में पहुंचेगा। जो कि पृथ्वी की सतह से 160 से 1000 किलोमीटर ऊपर है। इस उपग्रह का नाम होगा अग्निबाण। जो अर्ध क्रायोजेनिक इंजन से संचालित होगा। इस साल की शुरूआत में अग्निकुल ने इसरो की मदद से थ्रीडी प्रिंटेड रॉकेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। जबकि चेन्नई इंक्यूबेटेड स्टार्टअप अगले साल अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की योजना बना रहा है। अग्निकुल के सह संस्थापक श्रीनाथ रविचंद्रन ने बताया कि किफायती रॉकेट बनाकर भारत छोटे उपग्रहों को लांच करने वाला पहला देश बन सकता है। इस तरह की पहल से भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा ज्यादा कठिन नहीं होगा।