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मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय का आज है जन्मदिन, तीस यूनियन का अध्यक्ष है यह शख्स

Rakeshwar Panday Birthday उनका एक ही सिद्धांत है कि हर समस्या का बैठकर समाधान संभव है फिर चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो। 14 जनवरी को राकेश्वर पांडेय का जन्मदिन है तो आइए जानते हैं इनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 02:05 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 03:38 PM (IST)
मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय का आज है जन्मदिन, तीस यूनियन का अध्यक्ष है यह शख्स
तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ राकेश्वर पांडेय। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : राकेश्वर पांडेय को झारखंड में ट्रेड यूनियन से जुड़ा हुआ शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो नहीं पहचानता हो। इन्होंने अपने जीवन की शुरुआत टाटा ग्रोथ शाॅप में आम मजदूर के रूप में की और वर्तमान में झारखंड इंटक के प्रदेश अध्यक्ष सहित लगभग 30 यूनियन के अध्यक्ष हैं। राकेश्वर पांडेय की पहचान उनकी साफगोई और हमेशा बीच का रास्ता निकालने के लिए जाना जाता है।

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उनका एक ही सिद्धांत है कि हर समस्या का बैठकर समाधान संभव है, फिर चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो। इसी सोच के बदौलत उन्होंने कई सारी समस्याओं का समाधान कर मिसाल कायम की। 14 जनवरी को राकेश्वर पांडेय का जन्मदिन है तो आइए जानते हैं इनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में।

भभुआ के लोहरीबारी में हुआ है जन्म

राकेश्वर पांडेय के पिता स्व. वशिष्ठ पांडेय और मां स्व. ललिता देवी हैं। इनका पैतृक आवास बिहार के भभुआ (वर्तमान में कैमूर जिला) के लोहरीबारी, थाना मोहनिया में 14 जनवरी 1960 में हुआ था। पिता पेशे से किसान थे लेकिन रामायण और महाभारत सहित शास्त्रों का अच्छा ज्ञान था। दो बहन और पांच भाइयों में सबसे बड़े राकेश्वर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भभुआ के ही श्री राम हाई सकूल से जबकि आईएससी की पढ़ाई देवघर कॉलेज से पूरी की।

ट्रेड अप्रेंटिस के लिए आए जमशेदपुर

राकेश्वर के फूफा जी उस समय एक कॉलेज के प्रिंसिपल थे जहां जमशेदपुर से कई शिक्षक प्रशिक्षण के लिए आते थे। उन्होंने राकेश्वर को देखा और उन्हें टाटा स्टील में ट्रेंड अप्रेंटिस करने के लिए प्रेरित किया। उनकी सलाह से राकेश्वर जमशेदपुर आए और 23 सितंबर 1977 को ट्रेड अप्रेंटिस के लिए चयनित हुए। तीन साल की ट्रेनिंग और एक साल की स्पेशल ट्रेनिंग के बाद उनका चयन टाटा स्टील और टिस्को ग्रोथ शॉप (टीजीएस) के लिए हुआ। लेकिन टीजीएस इंजीनियरिंग कंपनी होने के कारण वे इस कंपनी से दो जनवरी 1982 को मशीन शॉप विभाग में बतौर ऑपरेटर जुडे।

कर्मचारियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ उठाई आवाज

बकौल राकेश्वर पांडेय, वर्ष 1985 के दौर में टीजीएस की स्थिति बहुत बेहतर नहीं थी। यूनियन में विंध्येश्वरी दुबे अध्यक्ष हुआ करते थे जो बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे। लेकिन उनके पास समय नहीं रहता था और स्थानीय यूनियन नेता अपनी मनमानी करते थे। उस दौर में कंपनी में कोई भी अपनी हक की बात नहीं कर सकता था। उन्हें सवाल पूछने का भी अधिकार नहीं था। ग्रेड रिवीजन होने पर स्थानीय यूनियन नेता को उनके एरियर का 20 प्रतिशत देना पड़ता था। मैं उस समय युवा था और हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था और हमारे ऊपर नौकरी जाने का भी रिस्क था।

कर्मचारियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ की आवाज बुलंद

बकौल राकेश्वर, वीजी गोपाल उस समय टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष हुआ करते थे। हम कुछ युवा उनसे जाकर मिले। इसके बाद उनसे ही ट्रेड यूनियन की बारीकियों को सीखा। उनके कहने पर हमने टाटा स्टील के सीएमडी रूसी मोदी और प्लांट प्रमुख डा. जेजे ईरानी से मुलाकात कर उन्हें टीजीएस की स्थिति के बारे में बताया। लेकिन विंध्येश्वरी दुबे के सामने प्रबंधन भी यूनियन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता था। ऐसे में हमने अपना आंदोलन तेज किया। स्थिति ऐसी आ गई थी कि प्लांट बंद करना पड़ सकता था। ऐसे में प्रबंधन ने वर्तमान यूनियन नेतृत्व से बात कर हमारी पांच सदस्यीय कमेटी को यूनियन में स्थान दिया। लेकिन यह स्थिति मात्र एक माह चली और यूनियन नेतृत्व को चुनाव कराना पड़ा। जिसमें वीजी गोपाल अध्यक्ष और मैं पहली बार महासचिव बना।

वीजी गोपाल से सीखा ट्रेड यूनियन का ककहरा

राकेश्वर का कहना है कि ट्रेड यूनियन का ककहरा उन्होंने मजदूर नेता वीजी गोपाल से सीखा। 1992-93 में उन्होंने मुझे पहली बार आईएलओ के इंटरनेशनल कांफ्रेंस में जेनेवा भेजा। जहां मैं पेरिस, कोपेनहेगेन सहित पांच देशों का दौरा कर ट्रेड यूनियन से जुड़े बड़े दिग्गजों से मिलने और उनसे सीखने का मौका मिला। वीजी गोपाल के ही नेतृत्व में इंटक के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष जी रामानुजम, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र से मिलने का मौका मिला। उन्होंने एक द्रोणाचार्य की तरह अपने अर्जुन को प्रबंधन से बात करने, हर समस्या का किस तरह से समाधान करना है, इसका गुर सीखाते गए और मैं अर्जुन की तरह उनका हर आदेश मानते हुए तोते पर निशाना लगाना सीखा। गाेपाल बाबू ने ही मेरे लिए झारखंड इंटक के तत्कालीन अध्यक्ष पीएन त्रिपाठी को पत्र भेजा और मैं पहली बार राष्ट्रीय इंटक की वर्किंग कमेटी में शामिल हुआ और इंटक का संयुक्त महासचिव बना।

30 यूनियन का कर रहे हैं नेतृत्व

राकेश्वर पांडेय वर्तमान में टीजीएस, टिनप्लेट, टीआरएफ, आइएसडब्ल्यूपी, न्युवोको, टाटा पावर, पेबको सहित 30 छोटी-बड़ी यूनियन के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा राकेश्वर पांडेय ऑल इंडिया मेटल फेडरेशन के अध्यक्ष, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिक वर्कर्स फेडरेशन व ऑल इंडिया सीमेंट वर्कर्स फेडरेशन के वरीय उपाध्यक्ष के पद पर भी कार्यरत है।

यादगार समझौता

बकौल राकेश्वर, टाटा स्टील डाउन स्ट्रीम प्रोडक्ट्स लिमिटेड लिमिटेड (टीएसडीपीएल) में 25 साल पहले एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ। जिसके तहत यहां वही कर्मचारी स्थायी हो सकते हैं जो पहले कंपनी में कांट्रेक्ट लेबर के रूप में काम किया हो। इस समझौते के बाद कोई वरीय अधिकारी भी अपने किसी रिश्तेदार को सीधे कंपनी में नियोजित नहीं करा सकते थे।

भविष्य की योजना

बकौल राकेश्वर, ट्रेड यूनियन में वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती है असंगठित क्षेत्रों में यूनियन का निर्माण कर कर्मचारियों को संगठित करना और उनकी लड़ाई लड़ना है। हम पिछले दो वर्षों से इस दिशा में अपनी पहल शुरू कर दी है।


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