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झारखंड में कोल्हान अलग देश की उठती रही है मांग Jamshedpur News

रविवार के दिन ही झारखंड के चाईबासा में कोल्हान अगल देश की मांग उठी थी। रविवार के दिन ही बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगड़ी के विरोध में नरसंहार हुआ ।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 12:51 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 12:51 PM (IST)
झारखंड में कोल्हान अलग देश की उठती रही है मांग Jamshedpur News
झारखंड में कोल्हान अलग देश की उठती रही है मांग Jamshedpur News

जमशेदपुर, एम. अखलाक।  पश्चिम सिंहभूम जिले के अति नक्सल प्रभावित गुदड़ी प्रखंड के बुरुगुलीकेरा गांव में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा सात ग्रामीणों के नरसंहार के बाद कोल्हान क्षेत्र पुन: सुर्खियों में आ गया है। यह नरसंहार उसी जिले में हुआ है जहां से कोल्हान को अलग देश घोषित करने की मांग 30 मार्च, वर्ष 1980 में पहली बार उठी थी। वह दिन रविवार का था और संयोगवश यह नरसंहार भी रविवार को ही हुआ है। 

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कोल्हान देश बनाने की मांग को लेकर भी उस समय सुबह में चाईबासा की सड़कों पर हजारों आदिवासी उमड़ पड़े थे। इसबार भी पत्थलगड़ी के समर्थन में रविवार सुबह ही बुरुगुलीकेरा गांव में बैठक बुलाई गई थी। जिसमें सात लोगों ने पत्थलगड़ी का पुरजोर विरोध किया और उनकी हत्या कर दी गई। कैलेंडर के पन्नों को पलटने पर यह पता चलता है कि कोल्हान देश की मांग करने वाली भीड़ का चाईबासा में तब कोल्हान रक्षा संघ के नेता नारायण जोनको, क्राइस्ट आनंद टोपनो और कृष्णचंद्र हेंब्रम ने नेतृत्व किया था।

विल्किंसन रूल का हवाला

इन अलगाववादियों ने 1837 के विल्किंसन रूल का हवाला देते हुए कहा था कि कोल्हान क्षेत्र पर भारत का कोई अधिकार नहीं बनता है। यही नहीं इन्होंने ब्रिटेन सरकार के प्रति आस्था भी जताई थी। उस समय यह क्षेत्र तत्कालीन बिहार प्रदेश का प्रमंडल था। झारखंड बनने के बाद भी यह एक प्रमंडल है। इस प्रमंडल में तीन जिले शामिल हैं। पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिला। 

1837 में हुई थी कोल्‍हान अलग राज्‍य की घोषणा

कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल के दौरान सर थामस विल्किंसन साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी के प्रमुख हुआ करते थे। उन्होंने सेना के माध्यम से आदिवासी कोल विद्रोह का दमन किया था। यही नहीं इस क्षेत्र के 620 ग्रामीण मुंडाओं को ब्रिटिश सरकार के समक्ष झुकने के लिए विवश कर दिया था। विल्किंसन ने ही वर्ष 1837 में कोल्हान को अगल राज्य की घोषणा कर दी थी। यही नहीं इसका मुख्याल चाईबासा को बना दिया था। इसी को आधार बनाकर अलगाववादी कोल्हान अगल देश घोषित करने की मांग करते रहे।

रामो बिरूआ ने खुद को घोषित किया था अलग देश का स्‍वामी

आगे चलकर इस पश्चिम सिंहभूम जिले के मंझारी प्रखंड के रहने वाले रामो बिरुवा ने खुद को कोल्हान अलग देश का स्वामी घोषित कर दिया। यही नहीं उन्होंने जिले के खूंटपानी प्रखंड के बिंदीबासा गांव में अगल देश का झंडा फहराने की घोषणा कर दी। तर्क था कि 1995 में उनकी ब्रिटेन की महारानी से इस संबंध में पत्राचार भी हुआ है। इस विद्रोह को बढ़ते देखकर पुलिस ने रामो बिरुवा समेत करीब 45 विद्रोहियों पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया। चकमा देकर रामो बिरुवा ने उसी दिन पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर के पास बागबेड़ा में अगल देश का झंडा फहरा दिया। उनके खिलाफ पुन: मामला दर्ज हुआ। घटना के बाद रामो बिरुवा फरार चल रहे थे। अंतत: पकड़े गए और जेल भेज दिए गए। जेल में ही उनकी मौत हो गई।

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