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25 गुर्गे होकर इकट्ठा, यात्रियों से करते लठ्म लठ्ठा

- नियमों को ठेंगे पर रख दबंगई से करते हैं वसूली - न करते ड्रेस कोड का पालन, न ही रेलवे क

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 12:02 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 12:02 AM (IST)
25 गुर्गे होकर इकट्ठा, यात्रियों से करते लठ्म लठ्ठा
25 गुर्गे होकर इकट्ठा, यात्रियों से करते लठ्म लठ्ठा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटानगर रेलवे स्टेशन परिसर में पार्किग ठेकेदार के 25 गुर्गे हर वाहन मालिक से दबंगई के साथ वसूली करते हैं। इनके लिए नियम कानून का कोई मतलब नहीं। इनकी मर्जी ही वहां से लिए कानून होती है। ठेकेदार के लिए आवंटित पार्किग सीमा के परे जाकर करते हैं वसूली। सबसे बड़ी बात यह कि रेलवे ठेकेदार इनके लिए ड्रेस कोड का भी पालन नहीं करता। इससे पता करना मुश्किल हो जाता है कि पार्किग की वसूली करनेवाला कौन है? जबकि रेलवे नियमों के अनुसार पार्किौंग कार्य में लगे लोगों के लिए खास ड्रेस का इस्तेमाल करना अनिवार्य होता है। इस प्रसंग में रोचक तथ्य है कि टाटानगर स्टेशन पर पार्किग का ठेका लेनेवाली मुंबई की कंपनी एसएस मल्टी सर्विसेस को कई दूसरे रेलवे स्टेशनों पर भी पार्किग का ठेका मिला हुआ है। वहां पर तो पार्किग कर्मी ड्रेस कोड का पालन करते हैं लेकिन टाटानगर में नहीं। जानकारों का कहना है कि ठेका कंपनी ने अपने काम को किसी कमलेश सिंह के हवाले कर दिया है और वही व्यक्ति टाटानगर में व्यवस्था को अपने हिसाब से चला रहा है।

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जीआरपी का मिला आशीर्वाद

पार्किग ठेकेदार के गुर्गो को सरकारी रेल पुलिस यानी जीआरपी का भी आशीर्वाद मिला हुआ प्रतीत हो रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले एक सप्ताह से ये गुर्गे खुलेआम लाठी के जोर पर वाहन मालिकों खासकर टेंपो चालकों के जबरन वसूली कर रहे लेकिन जीआरपी का उस ओर ध्यान जा ही नहीं रहा। जीआरपी को टाटानगर में हाल ही में नए थानेदार मिले हैं। इनके आने के बाद से इन गुर्गो की मनमानी और बढ़ गई है। जबकि कुछ माह पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। पूर्व जीआरपी थाना प्रभारी प्रदीप चौधरी व एसएन झा के कार्यकाल में टाटानगर स्टेशन के ड्रापिंग लाइन में बिना शुल्क के ही आटो व अन्य वाहन आते थे और यात्रियों को उतार कर वहां से चले जाते थे।

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कागज में किसी का नाम,तैनात रहता कोई और

टाटानगर स्टेशन के पार्किग में करीब 25 लोग तैनात है। बताया जाता है कि कागज पर कार्यरत कई लोग हकीकत में पार्किग में नहीं दिखते। इनकी जगह लठैत टाइप के लोगों के रखा गया है। इनकी पहचान उजागर होने से बचाने को ही ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जाता है। यही नहीं, इन लोगों को भविष्य निधि व बीमा सुविधाएं मिलने पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जाता कि जितने लोग पार्किग में तैनात हैं उन सभी का पीएफ या इएसआइ नहीं काटा जाता है और जिनका कटता है, उसका भी हिसाब किताब अपडेट नहीं रखा जाता।

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कई बार हो चुकी है पार्किग में मारपीट

टाटानगर स्टेशन के पार्किग में अवैध या जबरन वसूली को लेकर लेकर कई बार मारपीट हो चुकी है। बर्मामाइंस निवासी दीपक कुमार ने 18 दिसंबर 2017 को जीआरपी थाना में मारपीट कर रुपये छीनने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी । आरोप था कि पार्किग के लोगों ने दीपक के साथ न सिर्फ मारपीट की बल्कि रुपये भी छीन लिए थे। कुछ दिन पहले भी कदमा के युवकों की पिटाई पार्किग ठेकेदार के लोगों ने की थी।

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अगर मेरे आदमी लाठी लेकर दबंगई करते हैं तो स्टेशन परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में तस्वीर कैद होनी चाहिए। कोई भी आकर सीसीटीवी का फुटेज देख सकता है। हमारा यहां दबंगई के बूते पार्किग शुल्क नहीं वसूला जाता।

कमलेश सिंह , पार्किग संचालक

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