रेलवे पैकेज )) रेलवे लाइन के किनारे बसी बस्तियों में पनप रहा अपराध
रेलवे लाइन के किनारे अवैध बसी बस्तियों में अपराध वर्षो से पनप रहा है। इस अवैध कारोबार को अब दूसरी पीढ़ी संभाल रही है। प्रशासन सब जानते हुए भी मूक दर्शक बना रहता है। इन बस्तियों में अवैध कारोबार करने वाले दंबग अतिक्रमणकारियों द्वारा स्थानीय पुलिस को एक मुश्त रकम पहुंचाई जाती है। इसके कारण स्थानीय पुलिस आंख बंद कर उस रास्ते से गुजर जाती है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रेलवे लाइन के किनारे अवैध बसी बस्तियों में अपराध वर्षो से पनप रहा है। इस अवैध कारोबार को अब दूसरी पीढ़ी संभाल रही है। प्रशासन सब जानते हुए भी मूक दर्शक बना रहता है। इन बस्तियों में अवैध कारोबार करने वाले दंबग अतिक्रमणकारियों द्वारा स्थानीय पुलिस को एक मुश्त रकम पहुंचाई जाती है। इसके कारण स्थानीय पुलिस आंख बंद कर उस रास्ते से गुजर जाती है।
कैरेज कालोनी गड्ढा लाइन, बलदेव बस्ती, आदित्यपुर रेलवे ब्रिज के समीप रेलवे की जमीन पर बसे राममड़ैया, रायडीह व मुस्लिम बस्ती में चलती ट्रेन को रोक कर इससे कोयला, गुंडी सहित अन्य सामानों की चोरी इन झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले उचक्के करते हैं। ट्रेन से कोयला चोरी के वर्चस्व को लेकर कई बार गोलियां चलीं और आदित्यपुर राममड़ैया बस्ती निवासी रतन लोहार व उसकी पत्नी मुन्नी की हत्या ट्रेन से कोयला उतराने के वर्चस्व को लेकर तीन वर्ष पहले कर दी गई थी। इन बस्तियों में पुलिस भी जाने से कतराती है। रेलवे ट्रैक के बगल में यह बस्ती घनी हो गई है। आसनबनी से सालगाझुड़ी में रेलवे की जमीन पर बनी अवैध बस्तियों में रहने वाले युवक ट्रेनों से कोयला व कीमती सामानों की चोरी की वारदात को अंजाम देने का काम कर रहे है। इन बस्तियों को बसाने में रेलवे के इंजीनियिरंग विभाग, आरपीएफ व स्थानीय थाना की बड़ी भूमिका है। चंद रुपयों के लालच में रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे बस्तियां बसने लगी हैं। कहीं खटाल चल रहे हैं तो कहीं पर लोहे के टाल।
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बच्चों से कराया जाता है अवैध कारोबार रेलवे ट्रैक के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को अवैध कारोबार के दलदल में उनके ही पिता, भाई, मां व दोस्तों द्वारा धकेला जा रहा है। रुपयों के लोभ में यह बच्चे कम उम्र में ही खैनी, शराब, गांजा, ब्राउन शुगर का सेवन करने के साथ-साथ इसका व्यापार भी कर रहे हैं। राममड़ैया, रायडीह व मुस्लिम बस्ती पूरे कोल्हान में अवैध कारोबार की बड़ा अड्डा है। यहां करीब चार हजार आबादी रेलवे की जमीन पर झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रही है। इन बस्तियों में महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं। बस्ती में रहने वाली डॉली नामक महिला खुद ही अपने दम पर ब्राउन शुगर का कारोबार चला रही थी। बात-बात में पिस्तौल व चाकूबाजी यहां आम बात हो गई है। जब कभी बड़ी वारदात शहर में होती है तो सबसे पहले इन बस्तियों में रहने वाले लोगों से पुलिस पूछताछ करती है।
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रेलवे की अवैध बस्तियों के कारण शहर में बढ़ रहे अपराध रेलवे की जमीन पर झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने वाले बदमाशों के कारण शहर में अपराध बढ़ने लगा है। इन बस्ती में रहने वाले युवा शहर से मोटरसाइकिल सहित अन्य वाहनों की चोरी कर उसे जुगसलाई फाटक रेलवे लाइन के पास बने अवैध टालों में बेचते हैं। पल भर में ही पूरी मोटरसाइकिल का पुर्जा-पुर्जा अलग कर दिया जाता है। यह सब कारोबार रेलवे की जमीन पर हो रहा है। रेलवे की जमीन पर बसे टाल संचालकों द्वारा बच्चों को लोहा, रद्दी लाने के लिए कहा जाता है। यह बच्चे ठेला लेकर शहर में घूमते हैं और पूरे शहर के किस घर में ताला बंद है और किस घर में कितने लोग रहते हैं, कौने दुकान में क्या सामान रखा है और अंदर जाने का रास्ता क्या हो सकता है। इसकी जानकारी हासिल कर गिरोह के सदस्यों को बताते हैं। फिर गिरोह के सदस्य रात में चोरी को अंजाम देते हैं।
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रेलवे किनारे अगर अवैध निर्माण हो रहा है तो नहीं होना चाहिए। इसमें इंजीनियरिग विभाग को सर्वे कराना चाहिए और फिर आरपीएफ की मदद लेकर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। जुगसलाई फाटक के पास झुग्गी झोपड़ीनुमा खटाल व टालों को कुछ माह पहले ही हटाया गया था। अगर फिर से वे बस गए हैं तो रेलवे जल्द ही अभियान चलाएगा।
- कमल सिंह, असिस्टेंट कमांडेंट, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ)