45 घंटे के सफर में भूख से बिलबिलाए श्रमिक
रास्ते में पड़ने वाले कुछ स्टेशनों पर भोजन का पैकेट व पानी की बोतल तो दी गई। पर भोजन के पैकेट कम होने के कारण सभी को नहीं मिल पाया।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : केरल से असम के लिए चली तिरुवनंतपुरम-डिबरुगढ़ श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार 84 श्रमिक टाटानगर स्टेशन पर रविवार देर शाम करीब सात बजे उतरे। 45 घंटे के सफर में ट्रेन में सवार श्रमिक भूख से बिलबिला गए थे। रास्ते में पड़ने वाले कुछ स्टेशनों पर भोजन का पैकेट व पानी की बोतल तो दी गई। पर भोजन के पैकेट कम होने के कारण सभी को नहीं मिल पाया। आवाज उठाते इससे पहले ही ट्रेन खुल गई। दर्जनों श्रमिकों ने भूखे पेट ही 45 घंटे सफर तय किया। रास्ते में एक स्टेशन पर भोजन का पैकेट आते ही लूटपाट हो गई। श्रमिकों को जो भोजन के पैकेट दिए जा रहे थे। उससे तो उनका पेट भी नहीं भर रहा था। वैसे भी श्रमिकों की खुराक ज्यादा होती है। कई श्रमिक आधा पेट ही भोजन कर सफर करते रहे। लेकिन घर पहुंचने की खुशी में पेट भरा कि नहीं इसकी परवाह किए बगैर पानी पी कर ये टाटानगर स्टेशन तक पहुंच गए। टाटानगर स्टेशन आते ही चेहरे भूख से मुर्झाए हुए थे। इसे देखते हुए प्लेटफार्म पर बैठाकर इन्हें पहले भोजन में बिरयानी परोसा गया। एक पैकेट से पेट नहीं भरने पर उन्हें दो पैकेट दिया गया। पेट भर बिरयानी खाने के बाद पानी पिलाया गया। फिर कतार लगा कर थर्मल स्कैनिग के बाद इन्हें गंतव्य के लिए जिला प्रशासन ने बस से रवाना किया। इनमें गोड्डा के 22, सिमडेगा के 15, गिरिडीह के 10, साहेबगंज के नौ, रांची के चार, बोकारो के चार, पलामू के सात, लातेहार के तीन सहित अन्य जिलों के दस श्रमिक शामिल थे। टाटानगर में श्रमिकों को उतारने के बाद ट्रेन असम के डिबरुगढ़ के लिए रवाना हो गई। गोड्डा के मुकेश ने बताया कि 19 जून की रात करीब दस बजे ट्रेन का परिचालन हुआ। रास्ते में जिन स्टेशनों में ट्रेन को रोककर भोजन व पानी दिया जा रहा था। वहां पैकेट कम होने से लूटपाट की स्थित हो गई थी। कई श्रमिकों को भोजन का पाकेट मिला तक नहीं। भूखे पेट ही सफर करना पड़ा तो कई ने आधा पेट ही भोजन किया।
पूड़ी-सब्जी का पैकेट नहीं मिलने पर टाटानगर में हंगामा : टाटानगर स्टेशन ट्रेन के पहुंचने पर ट्रेन में बैठे असम के डिबरुगढ़ जाने वाले श्रमिकों के बीच भोजन का पैकेट वितरण किया गया। पाकेट वितरण के दौरान श्रमिक खुद ही ट्रेन से नीचे उतर गए और पूड़ी सब्जी के पैकेट को वितरण करने वाले से झपटने लगे। श्रमिकों को लग रहा था कि कहीं फिर से उन्हें पैकेट नहीं मिला तो रात में भूखे ही सफर करना पड़ेगा। यह सोचते ही पैकेट को झपट कर ट्रेन में सवार हो गए। जब कई श्रमिकों को भोजन का पाकेट नहीं मिला तो वे ट्रेन से उतर गए और हंगामा शुरूकर दिया। हंगामा को देखते हुए ट्रेन का परिचालन शुरू कर दिया गया। फिर श्रमिक भाग कर अपने ट्रेन में सवार हो गए।