प्रीमियम ट्रेनों में डायनेमिक किराया हुआ दोगुना Jamshedpur News
होली में ट्रेनों में खचाखच भीड़ है। उधर प्रीमियम ट्रेनों की बल्ले-बल्ले हैं। राजधानी व दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेन में डायनेमिक किराया दोगुना हो चुका है।
जमशेदपुर (गुरदीप राज)। होली में ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है। हाल यह है कि बोगी में तिल रखने की जगह नहीं है। उधर, प्रीमियम ट्रेनों की बल्ले-बल्ले हैं। राजधानी व दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेन में डायनेमिक किराया दोगुना हो चुका है।
प्लेन की टिकटों की तर्ज पर किराया सीएसएमटी-हावड़ा दुरंतो एक्सप्रेस व भुवनेश्वर-न्यू दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस का किराया यात्रा तिथि तक बदलता (फ्लेक्सी) रहता है। दो माह पहले टिकट रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों को टाटा से मुंबई या दिल्ली के लिए कम किराया देना पड़ता है जबकि यात्रा की तिथि तक रिजर्वेशन कराने पर दो से तीन गुना ज्यादा रुपया भी देना पड़ता है। प्रीमियम ट्रेन का किराया उसी मार्ग पर जाने वाली दूसरी ट्रेनों से करीब करीब दोगुना से भी ज्यादा होता है।
डायनमिक फेयर
हावड़ा-सीएसएमटी दुरंतो एक्सप्रेस टाटा से सीएसएमटी तक का किराया प्रथम एसी : 5520 रुपये सेकेंड एसी : 4505 रुपये थर्ड एसी : 3250 रुपये।
टाटा-न्यू दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस टाटा से न्यू दिल्ली तक प्रथम एसी : 4670 रुपये सेकेंड एसी : 3810 रुपये थर्ड एसी : 2745 रुपये
इसी मार्ग पर दूसरे ट्रेनों में आधा किराया पुरी-न्यू दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस टाटा से न्यू दिल्ली तक सेकेंड एसी : 2280 रुपये थर्ड एसी : 1445 रुपये स्लीपर : 550 रुपये
हावड़ा-सीएसएमटी गीतांजलि एक्सप्रेस टाटा से सीएसएमटी सेकेंड एसी : 2675 रुपये थर्ड एसी : 1860 रुपये स्लीपर : 710 रुपये
होली ¨हदुओं का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। पहले सब मिलकर घर में तरह-तरह के पकवान बनाते थे। इसमें लोग गुझिया, पिड़किया, ठेकुआ, विभिन्न प्रकार के पुआ, दहीबड़ा से लेकर पकौड़ा मिलजुलकर बनाते थे। धीरे-धीरे संयुक्त परिवार टूटता गया। इसका परिणाम यह हुआ कि समय या जानकारी का अभाव जो भी कहें विभिन्न प्रकार के रेडीमेड पकवान बाजार से खरीदकर लोग ले आ रहे हैं।
मिठाई दुकानों में लग रही भीड़ शहर के प्रसिद्ध मिठाई की दुकान गिरीश के मालिक पंकज कहते हैं कि अब होली के समय कई तरह की मिठाई बनाई जा रही है। इसके लिए मिठाई के कारीगर कई दिनों से काम में लगे हुए हैं। उनके यहां पुआ, पकवान, गुझिया, दहीबड़ा से लेकर पकौड़ा तक उपलब्ध है। इसी तरह गणगौर स्वीट्स के मैनेजर अजय कहते हैं कि ग्राहकों की मांग को देखते हुए उनके यहां भी गुझिया, माल पुआ, दहीबड़ा के अलावा अन्य पकवान तैयार है।
क्या कहते हैं लोग
पहले जब संयुक्त परिवार में रहते थे तब घर की महिलाएं घर पर ही तरह-तरह के पकवान बनाती थी। मेलजोल व प्यार की भावना रहती थी, लेकिन आज स्थिति बदल गयी है। अब अकेले रहने के कारण समय का अभाव व जानकारी नहीं रहने के कारण घर पर पकवान नहीं बनाती हूं। मैं बाजार से ही विभिन्न तरह के पकवान मंगा लेती हूं। - संगीता पटेल, आशियाना अनंतरा, मानगो।
पहले होली पर घर में आने वाले मेहमानों के स्वागत के लिए घर में ही गुझिया, दहीबड़ा, पुआ आदि बनाती थी। आज बाजार से ही रेडीमेड पकवान मंगा लेती हूं। इसका एक कारण है, महिलाएं दिन भर घर में पकवान बनाने में ही जुटी रहती है और कब सुबह से शाम हो जाता है पता ही नहीं चलता। यही कारण है कि मैं रेडीमेड पकवान ही मंगा लेती हूं। - बबीता तिवारी, गृहिणी, मानगो।