ट्रेन से उतरने के लिए लगानी पड़ती है छलांग
गुरदीप राज, जमशेदपुर : टाटा-बादामपहाड़ ट्रेन से उतरने के लिए महिला व पुरुष यात्रियों को चार फि
गुरदीप राज, जमशेदपुर : टाटा-बादामपहाड़ ट्रेन से उतरने के लिए महिला व पुरुष यात्रियों को चार फिट ऊंचाई से छलांग लगानी पड़ती है। वहीं ट्रेन में चढ़ने के लिए दूसरे यात्रियों की मदद लेनी पड़ती है। ऐसा इसलिए कि यह ट्रेन जिस स्टेशन पर रुकती है वहां प्लेटफार्म बने ही नहीं है। इस कारण जमीन से ट्रेन के दरवाजे तक की ऊंचाई करीब चार फीट है। वहीं ट्रेन की सीढि़यां ट्रेन से सटी हुई हैं जिसके कारण उतरने में काफी परेशानी होती है। इसलिए ऊपर से ही छलांग लगाना यात्रियों की मजबूरी होती है।
स्टेशनों की स्थिति खराब : टाटा से बादामपहाड़ जाने के मार्ग में पड़ने वाले स्टेशनों की स्थिति बेहद खराब है। इन स्टेशनों में न ही शेड बनाए गए हैं और न ही गेट हैं। यह स्टेशन पूरी तरह से खुले में पेड़ के नीचे बने हुए हैं। जिसके कारण कोई भी बिना टिकट के ट्रेन में सवार हो सकता है और किसी भी स्टेशन में उतर सकता है। उसे कोई रोकने वाला नहीं।
सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं : इस ट्रेन में प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार यात्री सफर करते हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर इसमें कुछ नहीं है। ट्रेन में गश्त नहीं होती है। इतना ही नहीं सात डिब्बों वाली इस ट्रेन में तीन चार ही शौचालय हैं, लेकिन वह भी गंदे रहते हैं। कोई इस गंदे शौचालय का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहता। इमरजेंसी होने पर चेन पुलिंग तक यात्रियों द्वारा की जाती है।
'टाटा-बादामपहाड़ रूट में कुछ स्टेशनों पर प्लेटफार्म नहीं बने हैं। जिसके कारण रेल यात्रियों को उतरने में परेशानी हो सकती है, लेकिन ट्रेन की सीढि़यों का इस्तेमाल तो किया जा सकता है।'
- एचके बलमुचू स्टेशन निदेशक टाटानगर