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Bihar Assembly Election: रघुवर बने भाजपा की जरुरत, बिहार से भेजे गए बेरमो-दुमका

Bihar Assembly Election. ज्यादा नहीं 19 अक्टूबर की बात है। बेरमो में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की जुबान फिसल गई थी। उन्होंने हेमंत सरकार को चोट्टा कह दिया था जिससे राजनीतिक खेमे में हलचल मच गई थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 06:59 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:59 AM (IST)
Bihar Assembly Election: रघुवर बने भाजपा की जरुरत, बिहार से भेजे गए बेरमो-दुमका
झारखंड में आज भाजपा के पास रघुवर जैसा लोकप्रिय चेहरा नहीं है।

जमशेदपुर, जासं। ज्यादा नहीं 19 अक्टूबर की बात है। बेरमो में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की जुबान फिसल गई थी। उन्होंने हेमंत सरकार को चोट्टा कह दिया था, जिससे राजनीतिक खेमे में हलचल मच गई थी। आनन-फानन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने प्रेस कांफ्रेंस करके रघुवर दास के बयान को गलत करार दे दिया। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी कड़ी आलोचना की, तो केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का बयान भी वायरल होने लगा।

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इसके बाद कहा गया कि रघुवर दास को झारखंड से बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए भेज दिया गया है। रघुवर दास गए, वहां प्रचार भी किया, लेकिन एक बार फिर रघुवर बेरमो व दुमका आ गए। बताया जाता है कि इसकी वजह यही है कि भाजपा को रघुवर दास की जरुरत है। वैसे भी बेरमो बिहारी बहुल इलाका है, जहां रघुवर दास का आक्रामक अंदाज मतदाताओं को काफी भाता है। मतदाताओं की मांग पर पार्टी ने उन्हें एक बार फिर बेरमो में चुनाव प्रचार करने को कहा गया है।

मुंडा को दुमका में लगाया गया

रघुवर बिहार में चुनाव प्रचार करेंगे ही, बेरमो व दुमका भी संभालेंगे। पार्टी ने एक रणनीति के तहत अर्जुन मुंडा को भी दुमका में लगा रखा है, ताकि वे संथाल बहुल इलाके में अपने प्रभाव से मतदाताओं का मूड बदल सकें। हालांकि वह झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन भाजपा यह भी मान रही है कि बसंत सोरेन सरीखे अनुभवहीन उम्मीदवार से यह सीट छीनी जा सकती है। 

गिरिराज सिंह व रघुवर दास में समानता

भाजपा सूत्रों के मुताबिक जिस तरह बिहार में गिरिराज सिंह अपने आक्रामक बयानों से सुर्खियों में छाए रहते हैं, झारखंड में रघुवर दास जब-तब उसी तरह के बयान देकर सुर्खियां बटोर लेते हैँ। पार्टी नेतृत्व को रिजल्ट चाहिए, इसलिए बयानों-विवादों से परे नफा-नुकसान देखा जाता है। यदि रघुवर दास के बयान से गैर आदिवासी या बिहारी मतदाता भाजपा की झोली में आ जाते हैं, तो बयान कोई मायने नहीं रखता। यह तो मानना ही पड़ेगा कि झारखंड में आज भाजपा के पास रघुवर जैसा लोकप्रिय चेहरा नहीं है। बेरमो व दुमका दोनों सीट पर झामुमो सहानुभूति या परंपरा की दुहाई देकर वोट मांग रहा है, जबकि भाजपा मतदाताओं को विकास का आईना दिखा रहा है।


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