स्वस्थ भारत से ही बनेगा समृद्ध और स्वावलंबी भारत : रघुवर
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत देश की 80 करोड़ जनता को मोदी सरकार ने फूड सिक्योरिटी योजना से पांच माह का मुफ्त राशन उपलब्ध कराया है।
जासं, जमशेदपुर : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष पूर्ण होने पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एग्रिको स्थित आवासीय कार्यालय में पत्रकार वार्ता कर केंद्र सरकार की उपलब्धि बताई। बताया कि मोदी सरकार ने पिछले एक वर्ष में ऐतिहासिक निर्णय लिए। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज को आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव बताया। यह पैकेज देश की कुल जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत देश की 80 करोड़ जनता को मोदी सरकार ने फूड सिक्योरिटी योजना से पांच माह का मुफ्त राशन उपलब्ध कराया है। महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500 रुपये के हिसाब से प्रत्येक को पंद्रह सौ रुपये, किसानों के खाते में 2000 रुपये सम्मान निधि के रूप में अग्रिम किस्त के रूप में भेजी जा चुकी है। इसी प्रकार देश के आठ करोड़ घरों में तीन गैस सिलिडर केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त दिया जा रहा है। दिव्यांगों और बुजुर्गों के खाते में एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग 50 हजार ठेले-खोमचे व फुटपाथी दुकानदारों को 10-10 हजार की आर्थिक सहायता देने की योजना शुरू की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी और स्वावलंबन का नारा देते हुए देश की आत्मा को जगाया है। लोकल के लिए वोकल कह कर स्थानीय उपक्रमों को बढ़ावा दिया। मोदी सरकार ग्राम्य आधारित अर्थव्यवस्था, कृषि क्षेत्र तथा लघु कुटीर उद्योगों को अवसर के रूप में तलाशने की जरूरत महसूस करती है। मोदी सरकार ने एमएसएमई के 700 से अधिक इकाई को साढे तीन लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है।
केंद्र सरकार किसानों और श्रमिकों के सामाजिक उत्थान के लिए जिन योजनाओं को सर्वाधिक महत्व दे रही है, उसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना, प्रधानमंत्री लघु व्यावसायिक मनधन योजना, जलशक्ति मंत्रालय और हर घर जल योजना, एक देश एक राशन कार्ड व मनरेगा शामिल है।
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राज्य सरकार में इच्छाशक्ति की कमी :
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए सरकार में इच्छाशक्ति की कमी बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री समेत विधायक बेबस और लाचार दिख रहे हैं। प्रवासी मजदूरों व छात्रों के अपने प्रदेश वापसी में भी सरकार ने संवेदनहीनता का परिचय दिया। मुख्यमंत्री सबको रोजगार देने की बात कहते हैं, लेकिन वापस आए मजदूर भाइयों के लिए रोजगार की कोई रूपरेखा तैयार नहीं है। केवल बयानों से दिग्भ्रमित करने का प्रयास राज्य सरकार कर रही है। सिर्फ मनरेगा के भरोसे बेरोजगारी दूर नहीं हो सकती। केंद्र सरकार द्वारा विशेष आर्थिक पैकेज का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल झारखंड प्रदेश के लिए हो, इसके लिए सरकार को पहल करने की आवश्यकता है। रोजगार की ²ष्टि से टेक्सटाइल उद्योग, फूड प्रोसेसिग के क्षेत्र में अधिक संभावना है।