गरमा धान की खरीद से बदल सकती चाकुलिया के चावल मिलों की सूरत Jamshedpur News
चाकुलिया के मिल मालिक इस बात की गुहार राज्य सरकार से कई बार लगा चुके हैं कि बंगाल-ओडिशा की तरह यहां भी सालों भर सरकार धान क्रय करे।
जमशेदपुर, जासं। फिलहाल झारखंड सरकार ने गरमा धान के खरीद की व्यवस्था नहीं की है, जबकि चाकुलिया व बहरागोड़ा इलाके में बड़े पैमाने पर गरमा धान की खेती होती है। सरकारी व्यवस्था नहीं होने से यहां के किसान गरमा धान की फसल पश्चिम बंगाल व ओडिशा के कारोबारियों को बेच देते हैं। यदि राज्य सरकार इसकी व्यवस्था कर दे तो चाकुलिया के चावल मिल ना केवल सालों भर चलेंगे, बल्कि बंद पड़ी मिलें भी खुल सकती हैं।
चाकुलिया व बहरागोड़ा के किसान इतने लगनशील और मेहनती हैं कि खेत खाली नहीं रखते। अप्रैल-मई में तैयार होने वाली धान की मात्र नवंबर-दिसंबर से कम नहीं होती। पश्चिम बंगाल व ओडिशा की तरह यहां के किसान धान की खेती तो करते हैं, लेकिन सरकारी खरीद की व्यवस्था नहीं होने से किसानों की मेहनत का लाभ पड़ोसी राज्य के मिल मालिक उठा लेते हैं। चाकुलिया के मिल मालिक इस बात की गुहार राज्य सरकार से कई बार लगा चुके हैं कि बंगाल-ओडिशा की तरह यहां भी सालों भर सरकार धान क्रय करे, तो इसका लाभ मिल मालिकों के साथ राज्य सरकार को भी मिलेगा। देखने वाली बात होगी कि हेमंत सरकार कब तक गरमा धान की खरीद शुरू कराती है।
धान खरीदने में पूर्वी सिंहभूम पूरे राज्य में अव्वल
पूर्वी सिंहभूम जिला इस बार धान व चावल खरीद के मामले में पूरे राज्य में अव्वल रहा है। जिला प्रशासन ने इस वर्ष किसानों से 7.26 लाख क्विंटल धान खरीदा है, तो मिल मालिकों से 2.60 क्विंटल चावल भी खरीद लिया है। इस दौरान जिला आपूर्ति विभाग ने किसानों और मिल मालिकों को 92 करोड़ 95 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया। धान क्रय में देरी के आरोप पर जिला प्रशासन का कहना है कि धान क्रय केंद्र दिसंबर में ही खोल दिया गया था, लेकिन खुद किसान ही टुसू-मकर के पहले धान नहीं बेचना चाहते हैं। जिला प्रशासन किसान व मिल मालिक, दोनों को 15-16 दिन में खरीद का भुगतान कर देती है। आज की तारीख में किसी का कोई बकाया नहीं है। 2018-19 से राज्य खाद्य निगम की खरीद करने लगा है, तो स्थिति सुधरी है। इससे पहले सहकारिता विभाग धान की खरीद करता था।
एक भी गोदाम में सहायक प्रबंधक नहीं
झारखंड राज्य खाद्य निगम पिछले दो वित्तीय वर्ष से धान व चावल की खरीद तो कर रहा है, लेकिन निगम व जिला आपूर्ति विभाग मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा है। पूर्वी सिंहभूम जिले में निगम के 11 गोदाम हैं, लेकिन एक भी गोदाम में पूर्णकालिक सहायक गोदाम प्रबंधक नहीं है। यही नहीं, जिले के 11 प्रखंड में सिर्फ दो विपणन पदाधिकारी (मार्केटिंग अफसर) हैं। जिले में फिलहाल नवीन कुमार जिला आपूर्ति पदाधिकारी, विशिष्ट अनुभाजन पदाधिकारी व जिला गोदाम प्रबंधक, तीनों पद संभाल रहे हैं। कुछ दिन पहले तक पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला-खरसावां जिला के आपूर्ति पदाधिकारी का भी दायित्व नवीन कुमार ही संभाल रहे थे।
2000 रुपये प्रति क्विंटल हुई धान की खरीद
पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने इस बार 2000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा है। इसमें 1885 रुपये भारत सरकार ने समर्थन मूल्य निर्धारित किया था, जबकि राज्य सरकार 185 रुपये बोनस राशि दे रही थी। धान की खरीद जिले के 27 लैम्प्स के माध्यम से हुई है।
एमएसपी योजना लाने से बनेगी बात: देव कुमार
चाकुलिया में गरमा धान काफी कम होता है। इसका उत्पादन बढ़ाना होगा, तभी चाकुलिया के चावल मिलों को फायदा होगा। इसके अलावा सरकार को भी इस ओर ध्यान देना होगा। चाकुलिया प्रखंड के कृषि पदाधिकारी देवकुमार बताते हैं कि पूरे झारखंड में गरमा धान लके लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है ही नहीं, जबकि पड़ोसी राज्य ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल में हैं। ओडिशा व बंगाल सरकार 20 रुपये किलो धान खरीदती है। अगर चाकुलिया में भी यह व्यवस्था लागू हो जाये तो यहां गरमा धान की पैदावार बढ़ जाएगी। किसान साल में दो बार खेती कर सकेंगे। साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। फिलहाल किसानों को धान का मूल्य 14 रुपये तक ही मिल पाता है। एमएसपी लागू होते ही किसानों को सीधे तौर पर छह-सात रुपये का फायदा होगा। ऐसे में किसान सीधे अपनी उपज चावल मिल के मालिकों को बेच सकेंगे। कभी चाकुलिया को धान का कटोरा कहा जाता था। यहां गरमा धान की खेती में काफी संभावनाएं हैं। फिलहाल यहां सुवर्णा धान की ज्यादा उपज होती है, जो मूढ़ी बनाने का काम में आता है।यहां के किसानों को तरह-तरह के धान का उत्पादन करना होगा, तभी चाकुलिया के चावल मिल को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
प्रशासन हरसंभव सहयोग को तैयार: अमर कुमार
चाकुलिया के चावल मिलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशासन हर संभव सहयोग को तैयार है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा। यह बातें घाटशिला के एसडीओ अमर कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि यहां के किसानों को धान की खेती अच्छी तरीके तथा वैज्ञानिक पद्धति से करनी होगी। धान के विभिन्न किस्मों की खेती से ही चाकुलिया के चावल मिलों की पहचान होगी। आज सिर्फ किस्म पर हम निर्भर नहीं हो सकते। आज के समय के हिसाब से चाकुलिया के चावल मिलों को नई तकनीक के सहारे आगे बढ़ना होगा। सरकार द्वारा निर्धारित शर्तो को पूरा तो करना ही होगा, साथ ही यहां के उद्योगपतियों और किसानों के बीच सीधा संवाद होना चाहिए। इसमें अगर कहीं कोई दिक्कत है तो प्रशासन इस संबंध में पूरी तरह से मदद करेगा। प्रशासन चाहता है कि यहां उद्योग धंधे पनपे। इससे सरकार को भी राजस्व प्राप्त होगा। चाकुलिया के चावल मिलों को पहचान दिलाने के लिए जो भी सार्थक प्रयास होगा, इसमें वे पीछे नहीं हटेंगे।
ये कहते उपायुक्त
चाकुलिया के चावल मिल मालिकों ने इस लॉकडाउन में जिला प्रशासन को काफी सहयोग किया है। इस अवधि में मुफ्त चावल वितरण में चाकुलिया के मिल मालिकों ने बड़ी मात्र में चावल दान किया है। लिहाजा उनकी जो भी समस्या होगी, जिला प्रशासन हरसंभव दूर करने का प्रयास करेगा।
-रविशंकर शुक्ला, उपायुक्त
मिलें खुलवाने का करूंगा प्रयास : जगन्नाथ
चाकुलिया के जिला परिषद सदस्य जगन्नाथ महतो का कहना है कि चाकुलिया के चावल मिलों को खुलवाने के लिए वे अपने स्तर से भी प्रयास करेंगे। सामूहिक प्रयास से ही इस मामले का हल निकल सकता है। यह आज के लिए बेहद जरूरी है।
मिलें चलेगी तो मिलेंगें रोजगार : तापस
कांग्रेस के पूर्व ग्रामीण जिलाध्यक्ष तापस चटर्जी ने कहा कि चाकुलिया में बंद पड़ी राईस मिलों के खुलने से घाटशिला अनुमंडल के लोगों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। रोजगार के साथ-साथ कृषि के क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए हम सभी को दलगत राजनीति से उपर उठकर कार्य करना होगा।
चावल उद्योग का हो विस्तार : सुमित
चाकुलिया के प्रमुख व्यवसायी सुमित लोधा का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके चावल उद्योग का विस्तार होना चाहिए। यह चाकुलिया ही पूरे घाटशिला अनुमंडल के लिए महत्वपूर्ण हैं। चूंकि घाटशिला आने वाले दिनों में जिला भी बन सकता है।
किसान भी बनेंगे आत्मनिर्भर : देवयानी
घाटशिला के जिला परिषद सदस्य देवयानी मुमरू ने कहा कि चावल उद्योग पनपने से घाटशिला अनुमंडल के किसानों को आत्मनिर्भर होने का मौका मिलेगा। किसान औने-पौने दाम में महाजनों के हाथ में अपना धान बेच देते हैं। चावल मिल खुलने से कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य उन्हें प्राप्त होगा।
चावल उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी : राजकुमार
जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह का कहना है कि चाकुलिया में उद्योग की असीम संभावनाएं है। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यहां के चावल उद्योग को बढ़ावा मिलना चाहिए। इसके लिए जो भी सहयोग वे करने को तैयार है। इससे रोजगार पैदा होगा।
ये कहते जिला आपूर्ति पदाधिकारी
पहली बार ऐसा हुआ है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में किसी किसान या मिल मालिक से जो भी धान या चावल खरीदा गया है, पाई-पाई चुका दिया गया है। किसी का कोई बकाया नहीं है।
-नवीन कुमार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी