Kartik Purnima 2019: कोल्हान के नदी घाटों पर आस्था का सैलाब, स्नान-ध्यान कर लोगों ने किया पुण्य दान
कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र मौके पर कोल्हान के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां के नदी घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।
जमशेदपुर/सरायकेला, जेएनएन। कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र मौके पर कोल्हान के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां के नदी घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने स्नान-ध्यान कर पुण्य दान किया। जमशेदपुर के स्वर्णरेखा और खरकई नदी घाटों पर अहले सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटने लगी थी।
सरायकेला, खरसावां, सीनी, दुगनी, कोलाबिरा व राजनगर के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा पर पर ओडि़या समाज के लोगों बोईतो वंदाणो पर्व मनाया । इसी के साथ पांच दिनों से चली आ रही विष्णु पंचक का समापन हुआ। सरायकेला शहरी क्षेत्र में स्थानीय खरकई नदी तट पर बोईतो वंदाणो पर्व को लेकर महिलाओं की भीड़ उमड़ी। महिलाओं ने नदी में नहा धोकर पहले भगवान नारायण की पूजा- अर्चना की। इसके पश्चात केले के तना से बने नाव को नदी में छोड़ा और भगवान से परिवार के सुख-शांति की कामना की।
ओडिया समाज मेंं है ये मान्यता
मान्यता के अनुसार कार्तिक का महीना काफी पुण्य का महीना है। कार्तिक माह में पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख-शांति आती है और परिवार के सदस्य निरोग व स्वस्थ्य रहते हें। इसके लिए ओड़िया भाषा-भाषी व सामुदाय की महिलाएं पूरे एक महीने तक भगवान नारायण की पूजा-अर्चना करती हैं। कार्तिक पूर्णिमा को ओड़िया समुदाय का सबसे पवित्र व पुण्य दिन माना जाता है। ओड़िया समाज के लोग कार्तिक पूर्णिमा को बईतो बंदणा उत्सव के रूप में मनाते है। मंगलवार को सूर्योदय पूर्व ब्रह्रम मुहूर्त में ओड़िया समुदाय के लोगों ने नदी- सरोबर में स्नान कर केला के पेड़ के छिलके से तैयार किए गए नाव छोड़े। इसके पश्चात तुलसी के पौधा के सामने रंगोली बना कर राय-दामोदर की पूजा- अर्चना की गई।
कई जगहों पर सत्यनारायण पूजन
ओड़िया समुदाय की वर्षो पुरानी यह संस्कृति अब भी चली आ रही है। विशेषकर पांच दिनों तक महिलाएं विष्णु पंचमी में उपवास रह कर प्रतिदिन भोर में स्नान कर पूजा करती है। मंगलवार को नदी व तालाब में नाव छोड़ने के पश्चात घर के आंगन में ओड़िया समुदाय की महिलाओं ने रंगोली बनाई और भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की। कई परिवारों ने सत्यनारायण भगवान की पूजा कर प्रसाद का वितरण किया।