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आदिम जनजाति के हस्तशिल्प उत्पाद बिक रहेे अमेजन पर, आप भी खरीदें ये आकर्षक सामान Jamshedpur News

इस प्रखंड के पर्वत शृंखला के बीच और तलहटी में स्थित भंगाट माकुला बुरुडीह बाड़ेदा बिंदुबेड़ा व तेंतलो गांव लुप्तप्राय आदिम जनजातियों ( सबर ) के निवास स्थल है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 04:35 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 12:43 PM (IST)
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सरायकेला/ जमशेदपुर ( सुधीर गोराई )। सरायकेला खरसावां जिले का अति पिछड़ा प्रखंड है नीमडीह। यहां न कोई उद्योग है और न ही बाजार। वन-जंगल से आच्छादित प्राकृतिक सौंदर्य है यहां की पहचान। इस प्रखंड के पर्वत शृंखला के बीच और तलहटी में स्थित भंगाट, माकुला, बुरुडीह, बाड़ेदा, बिंदुबेड़ा व तेंतलो गांव लुप्तप्राय आदिम जनजातियों ( सबर ) के निवास स्थल है। इनलोगों का आजीविका का मुख्य साधन है। जंगल से सूखी लकड़ी चुनना, सखुआ पत्ते व घास व बांस से निर्मित झाड़ु बेचकर आर्थिक रोजगार करना। इनलोगों का जीवन स्तर काफी निम्नश्रेणी का है। आदिम जनजातियों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं शुरू की।

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इस कड़ी में स्वयंसेवी संस्था अम्बालिका द्वारा 1999 में नीमडीह के बामनी केतुंगा उच्च विद्यालय परिसर के पीछे एक भवन में सबर महिला-पुरुषों के लिए बांस, खजुर पत्ता व घास से विभिन्न प्रकार के घर उपयोगी व सौंदर्य साधन हेतु वस्तुयें निर्माण के लिए प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया। आदिम जनजाति के लोगों को प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार से जोड़ने का काम तत्कालीन आईएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा के पहल व प्रयास से हुआ। 14 जुलाई को सबर कारीगरों द्वारा निर्मित वस्तुएं अंतराष्ट्रीय बाजार के ऑनलाइन शॉपिंग '' अमेजन '' ने अधिकृत कर बिक्री शुरू किया।

पूर्व आईएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा के प्रयास से मिला अंतराष्ट्रीय बाजार

पूर्व आईएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा सबर जातियों के उन्नयन के लिए लगातार 23 वर्षों से प्रयास करती रही। इनलोगों द्वारा निर्मित सामग्री देश के विभिन्न हस्तशिल्प बाजार में विक्री होती थी लेकिन सिन्हा का सपना था कि इनके बनाये गए गुणवत्ता पूर्ण सामग्रियों को अंतराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाना। अथक प्रयास व संपर्क सूत्रों के माध्यम से वे अपने योजना में सफल हुए और अंतराष्ट्रीय बाजार में झारखंड के नीमडीह जैसे अति पिछड़ा हुआ क्षेत्र के हस्तशिल्प निर्मित सामग्रियों को स्थान मिला।  सिन्हा कहती हैं कि इससे सबर समुदाय का जीवन स्तर ऊंचा उठाने में काफी सहायक सिद्ध होगा।

निफ्ट के पांच विशेषज्ञ ने दिया था प्रशिक्षण

भारत सरकार के उपक्रम हस्तशिल्प कार्यालय नई दिल्ली के सौजन्य से 1999 में निफ्ट ( नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ) नई दिल्ली के पांच डिजाईनर ( विशेषज्ञ ) ने नीमडीह के प्रशिक्षण केंद्र में सबर महिला-पुरुषों को खजुर पत्ता, बांस व घास द्वारा विभिन्न प्रकार के सामग्री निर्माण की बारीकी से प्रशिक्षण दिया। इसके बाद भी निरंतर प्रशिक्षण दिया जाता रहा।

कारीगरों में खुशी की लहर

सबर जाति के लोग काफी कम पढ़े लिखे होते हैं। गिने चुने लोग ही मैट्रिक-इंटरमीडिएट पास है। हस्तशिल्प सामग्री निर्माण करनेवाले कारीगर पढ़े लिखे नहीं है। जब उन्हें कहा गया कि आपलोगों द्वारा बनाया गया सामग्री अंतराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच गया है। तब वे लोग अनजान बने रहें। जब अंतराष्ट्रीय बाजार के संबंध में समझाया गया तो वे लोग काफी खुश नजर आए।


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