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प्रेमचंद पर देश-विदेश के साहित्यकारों ने किया संवाद, अमेरिका व आस्ट्रेलिया से भी जुड़े लेखक-कथाकार

वरिष्ठ कथाकार जयनंदन ने प्रेमचंद साहित्य के तमाम मुख्य पात्रों पर एक व्याख्यान दिया। इसमें उनके मुख्य उपन्यासों और कथाओं के मुख्य मुख्य पात्रों के बारे में जानकारियां उनकी मनःस्थिति के बारे में बात की गई। प्रवासी साहित्यकारा इला प्रसाद ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य अमर है

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 01:17 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 01:17 PM (IST)
प्रेमचंद पर देश-विदेश के साहित्यकारों ने किया संवाद, अमेरिका व आस्ट्रेलिया से भी जुड़े लेखक-कथाकार
कथा सम्राट प्रेमचंद जयंती महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय कथा महोत्सव मनाया जा रहा था।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका गृहस्वामिनी और वर्ल्ड राइटर्स फोरम द्वारा पिछले एक महीने से कथा सम्राट प्रेमचंद जयंती महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय कथा महोत्सव मनाया जा रहा था। इसमें देश-विदेश के 97 से (भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, मॉरीशस, कनाडा, कतर, रूस, जर्मनी, नेपाल, जापान, सिंगापुर आदि) भी अधिक हिंदी के कथाकार अपनी कहानियां व लघुकथा के साथ शामिल हुए।

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इनमें प्रमुख हैं कहानी एक कथाकार की- ममता कालिया, उषा किरण खान, जयनंदन, दिव्या माथुर, इला प्रसाद, शैलेंद्र अस्थाना, पंकज मित्र, डा. केके लाल, सुनीता माहेश्वरी, पंखुरी सिन्हा, शैल अग्रवाल, रेखा राजवंशी, ज्योतिर्माया ठाकुर, जयश्री, डा. मीनाक्षी स्वामी, हरेराम वाजपेयी, प्रह्लादचंद्र दास, डा. निधि अग्रवाल, आराधना श्रीवास्तव, अरुणा सब्बरवाल, सरन घई, डा. बीना बुदकी, कादम्बरी मेहरा, सुधा ओम ढींगरा, डा. शैलजा सक्सेना आदि।

उषा किरणा खां से जयनंदन व ममता कालिया तक ने रखे विचार

प्रेमचंद जयंती पर शनिवार को समापन समारोह में कथाकार प्रेमचंद साहित्य पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। सुप्रसिद्ध साहित्यिक पटल गुलमोहर (यूएसए) और वर्ल्ड राइटर फोरम के सहयोग से गृहस्वामिनी पत्रिका ने 'प्रेमचंद और किसान विमर्श' पर संवाद किया, जिसमें विश्व के सुप्रसिद्ध कथाकारों ने प्रेमचंद साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किए। वेबिनार का शुभारंभ कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर फूल माला अर्पित कर खुशबू सिंह द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित सुप्रसिद्ध कथाकारा उषा किरण खां ने प्रेमचंद के साहित्य में किसानों का जीवन, उनकी व्यथाओं का उल्लेख करते हुए पूस की रात, कफ़न आदि कहानियों के अंदर छिपी सामाजिक व्यथा को बताया।

इन्होंने भी रखी अपनी बात

वरिष्ठ कथाकार जयनंदन ने प्रेमचंद साहित्य के तमाम मुख्य पात्रों पर एक व्याख्यान दिया। इसमें उनके मुख्य उपन्यासों और कथाओं के मुख्य मुख्य पात्रों के बारे में जानकारियां, उनकी मनःस्थिति के बारे में बात की गई। प्रवासी साहित्यकारा इला प्रसाद ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य अमर है। हर युग हर काल में उनकी रचनाएं एक ही लगती हैं। किसानों की अगर बात करें तो, उस जमाने से लेकर आज तक किसान अनवरत संघर्षरत हैं। किसानों की हालत में आज भी कोई अधिक सुधार नहीं हुआ है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया द्वारा प्रेमचंद साहित्य के अनेक पक्षों पर बातें की गई। इनमें सामाजिक विडंबनाओं का उल्लेख, उनके द्वारा कहे गए सूक्त और उनके उपन्यास व कहानियों में पात्रों नारी और समाज के विभिन्न वर्ग, जाति-प्रथा, उस समय सामाजिक व्यवस्था थी उसको लेकर विवेचना की गई। कार्यक्रम का संचालन तृप्ति मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन पत्रिका की संपादक व इस कार्यक्रम की संयोजक अर्पणा संत सिंह ने किया।


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