प्रकाश करात बोले, कर्नाटक के विधायकों को 80-80 करोड़ का आफर दे रही भाजपा
माकपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने कहा कि कर्नाटक में भाजपा किसी तरह सत्ता में आना चाहती है। इसके लिए एक-एक विधायक को भाजपा 80-80 करोड़ रुपये का ऑफर दे रही है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। कर्नाटक में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ सरकार बना ली, जिससे भाजपा बेचैन है। वह अब वहां किसी तरह सत्ता में आना चाहती है। इसके लिए एक-एक विधायक को भाजपा 80-80 करोड़ रुपये का ऑफर दे रही है। ये बातें भाकपा-मार्क्सवादी पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात ने सोमवार को कहीं।
कार्ल मार्क्स की जन्म-द्विशतवार्षिकी समारोह को संबोधित करते हुए करात ने कहा कि योजना के तहत विधायकों से भाजपा कह रही है कि 50 करोड़ रुपये लेकर इस्तीफा दे दो। फिर उपचुनाव होंगे तो उसके लिए 30-30 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। कांग्रेस-जेडीएस को पांच विधायक से ही बहुमत है, जिसे तोड़ने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। दक्षिण भारत में एक-एक विधायक विधानसभा चुनाव लड़ने में 40 से 60 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं। इसलिए वहां पैसे का खेल कुछ ज्यादा ही चलता है।जनवाद पर भी पूंजीवाद हावी हो गया है, तो समाजवाद कहां से आएगा। यही कारण है कि अब सब पूंजीवादी पार्टियां वैसे लोगों को टिकट देती हैं, जो पैसा खर्च कर सकता हो।
मानवता का हितैषी नहीं हो सकता पूंजीवाद
प्रकाश करात ने कहा कि पूंजीवाद कभी भी मानवता का हितैषी नहीं हो सकता, क्योंकि इसकी उत्पत्ति ही शोषण से होती है। देश में जब से उदारीकरण (1991) का दौर आया है, तब से आर्थिक संप्रभुता समाप्त हो गई है। अब वित्तीय पूंजी के हित में बजट बनता है, जनता के हित में नहीं। हर बार यह कहा जाता है कि ऐसा करना मार्केट के खिलाफ होगा। पूंजीवाद की वजह से पर्यावरण का संकट भी उत्पन्न हुआ है। बेमौसम बारिश और तापमान का अचानक घटना-बढ़ना इसलिए हो रहा है, क्योंकि पूंजीवाद ने पर्यावरण संरक्षण के तमाम संसाधनों का गला घोंट दिया है। आस्ट्रेलिया में 48 डिग्री तक तापमान हो गया है, जिससे वहां के लोग परेशान हैं।
पूंजीवादी व्यवस्था से ही 2008 का संकट
पूंजीवादी व्यवस्था से ही 2008 में वैश्रि्वक आर्थिक संकट आया था, जिससे आज भी यूरोपीय देश उबर नहीं पाए हैं। लंदन में पिछले दस साल से फूड बैंक चल रहा हैं, जिससे गरीब लोग भूख मिटाते हैं। वहां करीब 40 हजार लोग फुटपाथ पर रहते हैं। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश की ऐसी हालत होगी।