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सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ ..

सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ..। जो मांगया ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे..। आदि गुरवाणी कीर्तन से शुक्रवार तड़के साकची की सड़कों पर भक्तिमय माहौल बन गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:30 AM (IST)
सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ ..
सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ ..

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ..। जो मांगया ठाकुर अपने ते सोई-सोई देवे..। आदि गुरवाणी कीर्तन से शुक्रवार तड़के साकची की सड़कों पर भक्तिमय माहौल बन गया। सुबह-सुबह गुरवाणी कीर्तन सुनकर राहगीरों के कदम भी ठहर गए और वे भी बच्चों, महिलाओं व युवाओं के कीर्तनी जत्थे में शामिल होने से अपने आप को नहीं रोक सके। कीर्तन गायन करते साकची गुरुद्वारा से निकली प्रभात फेरी शुक्रवार तड़के साकची बगान एरिया के अमरीक सिंह, सुरजीत सिंह चीते के घर व गुरुनानक नगर गई। जहां संगत के लिए चाय व नाश्ता का इंतजाम किया गया था। साकची से प्रभात फेरी ग्यारह नवंबर तक निकलेगी। मानगो से निकली प्रभात फेरी शंकोसाई, गुरुनानक मोहल्ला, पंजाबी लाइन का भ्रमण किया। मानगो से प्रभात फेरी 10 नवंबर तक निकलेगी। जबकि सीतारामडेरा गुरुद्वारा से 9,10 व 11 नवंबर को प्रभात फेरी निकालने की तैयारी की जा रही है।

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तड़के चार बजे से शुरू होता कीर्तन

सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी के प्रकाश देहाड़ा से करीब दस दिनों पहले से ही 34 गुरुद्वारों की स्त्री सतसंग सभा, सिख नौजवान सभा के नेतृत्व में प्रभात फेरी निकलती है। इसमें स्थानीय संगत शामिल रहती है। स्थानीय गुरुद्वारा में पहले संगत पहुंचती है और गुरुद्वारा में अरदास करने के बाद तड़के चार बजे स्थानीय क्षेत्र में गुरवाणी कीर्तन करते हुए प्रभातफेरी में शामिल जत्था घूमने लगता है। प्रभात फेरी की समाप्ति सुबह छह बजे तक पुन: गुरुद्वारा पहुंच कर होती है। इस दौरान ढोल व अन्य वाद्य यंत्र से जत्थे लैस होते हैं।

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संगत के बुलावे पर प्रभात फेरी आती है

मन्नत पूरी होने और अपनी खुशी से सिख समुदाय के लोग प्रभात फेरी करने वाले सदस्यों को अपने घर आमंत्रित करते हैं। इसके लिए गुरुद्वारा में पूर्व से सूचना देनी पड़ती है। तब प्रभातफेरी में शामिल जत्थे के सदस्य कीर्तन करते हुए बुलाने वाले परिवार के घर जाते हैं और उनके घर के बाहर खड़े होकर गुरवाणी कीर्तन व शब्द पढ़ते हैं। इस दौरान ढोल व अन्य वाद्य यंत्र बजाते हैं जिससे संगत झूम उठती है। फिर प्रभातफेरी में शामिल संगत को खुशी से नाश्ता करवाया जाता है।

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श्री गुरुनानक देव जी के प्रकाश देहाड़ा से करीब दस दिनों पहले अपने अपने क्षेत्र में प्रभात फेरी निकाली जाती है।

- हरविंदर सिंह मंटू, साकची गुरुद्वारा प्रधान

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प्रभातफेरी में जाने के लिए संगत तड़के चार बजे ही उठकर गुरुद्वारा पहुंचती है। इसमें बच्चे भी शामिल होते हैं।

- प्रवीन कौर, सीतारामडेरा कीर्तन गायन से प्रभावित होकर गैर सिख भी प्रभात फेरी में शामिल होते हैं। पूरी श्रद्धा से गुरुवाणी पाठ तक करते हैं।

-श्वेता कौर, सीतारामडेरा प्रभात फेरी में जाने के लिए सुबह ही लोग तैयार होते हैं और क्षेत्र का भ्रमण करते हैं। इससे शांति भी मिलती है।

- सतवीर सिंह सूमो, प्रधान, सेंट्रल सिख नौजवान सभा


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