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दूसरी डोज के लिए कमजोर उपस्थिति चिताजनक

स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में बुधवार को स्वास्थ्य कर्मियों के साथ समीक्षा बैठक की गई। इसमें मुख्य रूप से कोरोना टीकाकरण अभियान नियमित टीकाकरण गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण एवं जांच टीबी मलेरिया व कुष्ठ कार्यक्रम आदि की प्रगति का जायजा लिया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:30 AM (IST)
दूसरी डोज के लिए कमजोर उपस्थिति चिताजनक
दूसरी डोज के लिए कमजोर उपस्थिति चिताजनक

संवाद सूत्र चाकुलिया : स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में बुधवार को स्वास्थ्य कर्मियों के साथ समीक्षा बैठक की गई। इसमें मुख्य रूप से कोरोना टीकाकरण अभियान, नियमित टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण एवं जांच, टीबी, मलेरिया व कुष्ठ कार्यक्रम आदि की प्रगति का जायजा लिया गया। समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि कोरोना रोधी टीकाकरण में दूसरी डोज के लिए लोगों की उपस्थिति कमजोर देखी जा रही है जो चिताजनक है। अनेक एक ऐसे लोग हैं जिनका दूसरा डोज का समय हो चुका है लेकिन वे उपस्थित नहीं हो रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मियों ने ग्राउंड रिपोर्ट देते हुए बताया कि प्रशासनिक सक्रियता एवं कोरोना के बढ़ते मामले के कारण जिस उत्साह से लोगों ने लंबी लंबी कतार लगाकर पहला डोज लिया था वह उत्साह दिखाई नहीं पड़ रहा है। बैठक के दौरान आगामी 8 दिसंबर से शुरू हो रहे झारखंड मातृत्व शिशु स्वास्थ्य पोषण माह को सफल बनाने पर विशेष जोर दिया गया। बैठक में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. रंजीत मुर्मू, डा. नरेश बास्के, कार्यक्रम प्रबंधक सतीश वर्मा समेत स्वास्थ्य विभाग की एएनएम, सहिया, बीटीटी आदि मौजूद थे। एड्स पीड़ितों को मिले आयुष्मान योजना का लाभ : झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिनेश कुमार षाडंगी ने बुधवार को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस वर्ष विश्व एड्स दिवस का थीम है, एंड इनइक्वालिटीज एंड असमानताओं को समाप्त करें। कहा, बीते 10 वर्षों में देश में 19 प्रतिशत एचआइवी मरीज घटे, लेकिन दुर्भाग्य है झारखंड में 10 वर्षों में एड्स के मरीजों में दोगुना वृद्धि हुई है। उनके बच्चे अविवाहित हैं। सामाजिक रूप से अस्वीकार्य उन्हें आयुष्मान योजना का लाभ तक नहीं मिला। झारखंड में जून 2011 में एड्स पीड़ितों की संख्या 8,647 थी, जो 2021 में 26,972 हो गई है। इसका कारण है, पीड़ितों के साथ सामाजिक व्यवहार सिर्फ सरकारी स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से भी किया जा रहा है। एड्स पीड़ितों को अब तक आयुष्मान योजना से नहीं जोड़ा गया। इंश्योरेंस कंपनियां इनकी बीमा नहीं करना चाहती। इस कारण उन्हें किसी हादसा या मौत के बाद किसी प्रकार का लाभ नहीं मिलता। अधिकांश ड्राइवर प्रवासी मजदूर और सेक्स वर्कर्स हैं। उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार से मांग की है कि एड्स पीड़ित मरीजों के लिए सभी जिलों में (एटीआर) एंट्री राइटर थेरेपी सेंटर खोलने के साथ-साथ उन्हें आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। एड्स कंट्रोल प्रोग्राम प्रखंड स्तर पर व्यापक रूप से कार्य करें।

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