यहां तालाब की होती शादी, जानिए क्यों चली आ रही परंपरा
पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर से चालीस किलोमीटर पूरब स्थित एक गांव में मंगलवार को दो तालाबों की शादी संपन्न हुई।
जमशेदपुर, जेएनएन। जी हां, यहां तालाब की शादी कराई जाती है। पूरे विधि-विधान से। इसमें वर पक्ष भी होता है और वधु पक्ष भी। दो दिनों तक शादी की रस्मे निभाई जाती है और इसके गवाह बनते हैं गांव के सैकड़ों लोग।
झारखंड के गांवों में यह परंपरा कितने वर्षों से चली आ रही है, कोई प्रमाणिक रूप से बताने में सक्षम नहीं, लेकिन बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने बचपन से यह परंपरा देखी है। कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर से चालीस किलोमीटर पूरब स्थित एक गांव में मंगलवार को दो तालाबों की शादी संपन्न हुई। शादी की रस्में सोमवार को शुरू हुई थी। बड़ाखुर्शी गांव में गांव के मधुसुदन महतो के तालाब के साथ जोड़सा पंचायत के छोलागोड़ा गांव निवासी गोविंद सिंह के तालाब की शादी हुई। मधुसूदन महतो के स्वर्गवासी होने के कारण उनके दामाद सुरेंद्र महतो ने तालाब के शादी-ब्याह की रस्म अदा दी।
शादी के उपरांत सामूहिक भाेज
ग्रामीणों ने बताया कि यह परंपरा पूर्वजों से चली आ रही है। शादी पूरे रीति-रिवाज के साथ पुजारी ने कराई। शादी के उपरांत शाम को गांव में भोज का आयोजन किया गया। बड़ाखुर्शी तालाब को वधु और छोलागोड़ा तालाब को वर का दर्जा दिया गया।
गांव के प्रत्येक घर से पांच महिला-पुरुष की गवाही
शादी में गांव के प्रत्येक घर से पांच-पांच महिला व पुरुष सदस्यों की उपस्थिति होती है। बड़ाखुर्शी में 130 घर हैं। सभी घरों से पांच-पांच लोग शामिल हुए।
क्यों कराई जाती है शादी
ग्रामीण व तालाब मालिक सुरेंद्र महतो ने बताया कि एक तालाब से दूसरे गांव के तालाब के साथ शादी कराना पूर्वजों की परंपरा है। गांव के जिस तालाब की शादी नहीं कराई जाती उस तालाब के पानी का पूजा-पाठ या शादी में व्यवहार नहीं किया जा सकता है, उसे अशुभ माना जाता है। शादी के लिए वर पक्ष के तालाब का पानी लाकर वधु पक्ष के तालाब में डालने का काम महिलाओं द्वारा किया जाता है। दो तालाबों को एक-दूसरे के साथ डोर से बांधा जाता है।