TATA MOTORS के बाइसिक्स पर गरमायी राजनीति, दागे जा रहे आरोपों के तीर Jamshedpur News
टाटा मोटर्स में गेट मीटिंग के बाद राजनीति परवान चढ़ी है। टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के हमलावर होने के बाद वार-पलटवार का दौर तेज हो गया है।
जमशेदपुर, जेएनएन। टाटा मोटर्स में बाइसिक्स का मुद्दा गरमाया हुआ है। झाविमो के प्रदर्शन और गेट मीटिंग के बाद टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन हमलावर हो गया है। दोनों ओर से वार-पलटवार हो रहे हैं। झाविमो इस मसले पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। इससे टाटा मोटर्स यूनियन की किरकिरी भी हो रही है। वार-पलटवार में प्रबंधन से ज्यादा यूनियन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।
झाविमो ने गेट मीटिंग कर आरोप लगाए थे कि प्रबंधन के समक्ष यूनियन ने घुटना टेक रखे है और कामगारों का अहित हो रहा है। बाइसिक्स के स्थायीकरण में वरीयता की अनदेखी का मुद्दा उछाला गया था और कहा गया था कि पार्टी विशेष के इशारे में स्थायीकरण किया गया। क्वार्टर आवंटन रद्द करने के मामले में भी यूनियन पर सवाल उठाए गए थे। चेतावनी दी गई थी कि अगर 15 दिनों के भीतर मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं हुई तो तालाबंदी की जाएगी।
यूयिनयन ने कही अपनी लड़ाई खुद लड़ने की बात
मोर्चा के आंदोलन के बाद आनन-फानन में टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन की बैठक हुई और इसमें कहा गया कि यूनियन अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिए लड़ाई लडऩे में सक्षम हैं। कुछ लोग अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए गेट पर इस तरह का माहौल कभी-कभार बनाते हैं जिससे निपटने में यूनियन सक्षम है। यूनियन महामंत्री आरके सिंह ने सवाल दागे कि तालाबंदी करने की बात करने वालों ने बगल की कंपनी टेल्कॉन के राज्य से बाहर जाने पर कितनी बार आंदोलन किया। केबुल, टायो कंपनी बंद है, वहां कोई नहीं जा रहा। बैठक में कहा गया कि टाटा मोटर्स का उत्पादन बहुत कम है। बार-बार क्लोजर का माहौल बन रहा है। ऐसे में राजनैतिक दल की ओर से गेट पर प्रदर्शन व बंदी की बात से मजदूरों में डर का माहौल बना हुआ है।
पहले कर्मचारियों के हक की लड़ाई लड़े यूनियन: झाविमो
झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने गेट मीटिंग की अगुवाई की थी। उन्होंने यूनियन के वार का जवाब देते हुए कहा कि पार्टी का मकसद टाटा मोटर्स के अधिकारी और कारपोरेट जगत को बाइसिक्स कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने से रोकना था। परंतु, कुछ तथाकथित मजदूर जो फाउंड्री में बैठकर इस आंदोलन को गलत करार दे रहे हैं, वे मजदूरों को उनको हक दिलाने में नाकाम हैं और पर्दे के पीछे मजदूरों के विरोध में काम कर रहे हैं। यह शहर मजदूरों का है। कुछ तथाकथित यूनियन नेता जब अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाते हैं तभी किसी भी दल के लोग मजदूरों की लड़ाई के लिए आगे आते हैं।
भोजपुरी संघ ने ली इंट्री
गेट मीटिंग को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप में भारतीय भोजपुरी संघ ने इंट्री ली और यूनियन का पक्ष लिया। संघ की बैठक में कहा गया कि टाटा हिताची की शिफ्टिंग खडग़पुर हो रही है, केबुल सालों से बंद है, स्टील स्ट्रिप्स में मजदूरों का शोषण जारी है झाविमो कहां है? टाटा मोटर्स आज मंदी की दौर से गुजर रही है, बावजूद मजदूरों का ख्याल करती है। अस्थायी कर्मियों को काम मिल रहा है, बावजूद कुछ लोग नेतागीरी चमकाने के लिए टाटा मोटर्स के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। कर्मचारियों की समस्या पर झाविमो को घडिय़ाली आंसू बहाना बंद करना चाहिए। कंपनी गेट पर ताला मारने की बात करने वाले बाहरी नेताओं को जवाब देने के लिए टाटा मोटर्स के मजदूर सक्षम हैं।
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