Jharkhand Assembly Election 2019 : चुनाव लड़ें ना लड़ें, इतिहास में नाम लिखाकर ही मानेंगे Jamshedpur News
Jharkhand Assembly Election 2019. एक नेताजी हैं लड़ाकू टाइप के। मूड ठीक रहता है तो तुकबंदी में बातों को समझाते हैं। चुनाव लडऩे की तैयारी इस बार जोर-शोर से की है।
जमशेदपुर, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 'रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई' यह कहावत तो आपने सुनी होगी। यह कहावत नई है 'रस्सी जलने को है, पर ऐंठन बाकी है'। नई वाली कहावत एक नेताजी पर सटीक बैठती है। ये अपने विस क्षेत्र की बजाय पड़ोस में रहते हैं। अब तक 'छोटा पटाखा, बड़ा धमाका' करते आए हैं, लेकिन इस बार इनकी रस्सी में जो पलीता लगाया गया है, उसमें थोड़ा सा पानी डाल दिया गया है। यानी पटाखा फुस्स भी हो सकता है, तो धमाका भी कर सकता है। भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
अब इतना संदेह जिस व्यक्ति के भविष्य में हो, वह शांत कैसे रह सकता है। लेकिन नेताजी को शायद इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ता है। वे अब भी स्विचऑफ में ज्यादा रहते हैं। सीधे कॉल नहीं कर सकते। वाया मीडिया पहले भी टच में रहते थे, अब भी हैं। पता नहीं जनाधार का दावा कैसे करते हैं, जब हमेशा स्विचऑफ रहते हैं। इनके घर पर भी गए, तो मिलने की गारंटी नहीं है। बाहर बैठे लंबू-छोटू आपको इस तरह टरका देंगे कि पता भी नहीं चलेगा। जब तक आप उनकी बातों में उलझे रहेंगे, महसूस होगा कि बस नेताजी का बुलावा आने वाला है। इसी बीच तब आपके पैर के नीचे से जमीन खिसक जाएगी, जब नेताजी आपके सामने उडऩखटोला पर फुर्र हो जाएंगे। हम तो यही मनाएंगे भगवान भला करे इनका।
भूमिका टाइट, लेकिन कॉल का इंतजार
एक नेताजी हैं, लड़ाकू टाइप के। मूड ठीक रहता है तो तुकबंदी में बातों को समझाते हैं। चुनाव लडऩे की तैयारी इस बार जोर-शोर से की है। सबसे पहले एजेंडा की घोषणा करके बड़े-बड़े दलों को पीछे छोड़ दिया है। अभी सभी दल बंधन-गठबंधन पर विचार-मंथन ही कर रहे हैं, लेकिन ये जनाब मैदान की चौहद्दी नाप रहे हैं। एक बार धमाका करने के बाद इनके पटाखे से कभी आवाज नहीं निकली। शायद इसीलिए इस बार बड़े दल से लडऩे के लिए खिड़की खोल रखी है। सफेद बाल, सफेद मूंछ के साथ अपनी भूमिका टाइट रखते हुए, कॉल का इंतजार कर रहे हैं। ये चाहते हैं कि सही जगह से कॉल आए तो झंडा बदलने पर विचार कर सकते हैं। वैसे लडऩा तो हंड्रेड परसेंट तय है, किस दल से लडऩा है, इस पर विचार चल रहा है।
चुनाव लड़ें ना लड़ें, इतिहास में नाम लिखाकर ही मानेंगे
एक मोहल्ला टाइप नेताजी हैं। पहले कभी उनके मन में ख्याल आया होगा कि नहीं, चुनावी बयार की सुगंध से मदमस्त हो गए हैं। अब उन्हें संकोच हो रहा है कि खुद कैसे कहें कि वे चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली। चुपके से खबरनवीसों के पास सादी चिट्ठी भिजवा दी, जिसमें लिखा था फला नेताजी चुनाव लडऩा चाहते हैं। खबरनवीसों ने भी अपने टाइप का पहला मामला समझते हुए इस पर ध्यान नहीं दिया। मोहल्ला टाइप नेताजी को लगा कि अजीब बात है, अब क्या करें। दूसरे दिन उन्होंने मोहल्ले वालों से जुलूस ही निकलवा दिया। यदि इससे भी बात नहीं बनी, तो नेताजी धरना-प्रदर्शन भी करा सकते हैं। आखिर कब तक नहीं छपेगा, देखते हैं। नेताजी को इसका खासा एक्सपीरियंस है। इसमें हैरान करने वाली बात यह है कि नेताजी अभी यह नहीं जानते कि किस दल से उन्हें चुनाव लडऩा है।
रंग-बिरंगे नेताजी वेटिंग लिस्ट में
अपने शहर से सटे एक कस्बाई इलाके में एक नेताजी हैं। रंगबिरंगे हैं। ज्यादा नहीं उन्होंने दो ही रंग को आत्मसात किया है। एक झारखंड की पहचान से जुड़ा है, तो दूसरे रंग से बंगाल की पहचान है। वैसे वे खुद लोकल हैं। यह सब तो ठीक है, असल बात है कि नेताजी चुनाव लडऩा चाहते हैं। इस बार उन्होंने तय कर लिया है कि किसी को चुनाव लडऩे के लिए चंदा नहीं देंगे, खुद लड़ेंगे। करना क्या है, अपनी ब्रांडिंग ही तो करनी है। छह माह से कर भी रहे हैं। कहीं चटाई, तो कहीं किलो के भाव में खरीदकर कंबल बांटना है। कहीं दरी दे दी, तो कहीं कुछ। नेताजी की ब्रांडिंग हो चुकी, यह सभी मान रहे हैं, लेकिन मामला अटक गया है कि नेताजी किस ब्रांड का लोगो लगाएंगे। पूछने पर नेताजी कहते हैं, उनकी कॉल वेटिंग में हैं। देखें किससे बात होती है। एक बार बुलंद आवाज में बात हो जाए, तो आपको भी बता देंगे।