अधर में लटका जमशेदपुर के फुटपाथी दुकानदारों को मिलने वाले 10 हजार का ऋण Jamshedpur News
सरकार ने लॉकडाउन से उबारने के लिए फुटपाथी दुकानदारों को 10 हजार रुपये ऋण देने की घोषणा की थी लेकिन इसमें अब सरकार की ही नियम कानून बाधा बन रही है।
जमशेदपुर (मनोज सिंह)। सरकार ने लॉकडाउन से उबारने के लिए फुटपाथी दुकानदारों को 10 हजार रुपये ऋण देने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें अब सरकार की ही नियम कानून बाधा बन रही है। अब लोगों को ऋण के स्थान पर बैंक व नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ रहा है। सरकार के नए आदेश के अनुसार फुटपाथी दुकानदारों द्वारा दिए गए आवेदन को पोर्टल पर ऑनलाइन इंट्री करना है। अब इसमें सबसे बड़ी समस्या आ गयी कि जिसका मोबाइल नंबर से आधार कार्ड लिंक रहेगा उसी का आवेदन पोर्टल पर अपलोड होगा।
इस तरह अधिकांश लोगों का मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है। ऐसे में कोरोना के समय फुटपाथी दुकानदारों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण योजना पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि के तहत मिलने वाले 10 हजार रुपये ऋण उपलब्ध नहीं हो पाएंगे। अब तो स्थिति यह है कि ऋण की आस में अब दुकानदारों को कर्ज लेना पड़ रहा है।
ऋण देने के लिए खूब किया प्रचार-प्रसार
मानगो नगर निगम के सिटी मैनेजर निर्मल कुमार ने कहा कि रीजनल बैंक के पास उपभोक्ताओं का आइडी कार्ड उपलब्ध है, लेकिन स्थानीय बैंक की उदाशिनता के कारण आइडी कार्ड उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाकर ऋण उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसके लिए मानगो नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी रङ्क्षवद्र गगराई ने उपायुक्त को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश मांगा है।
क्या कहते हैं भुक्तभोगी
जब नगर निगम द्वारा 10 हजार रुपये ऋण सस्ते दर पर उपलब्ध कराने की बात कही तो खुशी हुई। लगा कि इस कोरोना के समय में पैसा मिल जाएगा तो कुछ धंधा कर लेंगे। इधर-उधर किसी दूसरे से रुपये मांगना न पड़े, लेकिन इतने दिन बीत गए अब तक ऋण नहीं मिला। - फरहत, आजादनगर
मेरा भाई सब्जी बिक्री करता था, लेकिन पूंजी की कमी के कारण धंधा को आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। इसी बीच पता चला कि सरकार 10 हजार रुपये ऋण के तौर पर उपलब्ध करा रही है। खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब दूसरे से कर्ज लेकर ही सब्जी का धंधा करेंगे। - मनोज कुमार, डिमना रोड
सरकार द्वारा 10 हजार रुपये ऋण उपलब्ध कराने की बात कही, इसके लिए आवेदन दिया था, लेकिन अब तक मुझे ऋण उपलब्ध नहीं हो सका। अब तो वह किसी महाजन को ढूंढ रहे हैं ताकि कर्ज लेकर कुछ रोजगार कर सकूं। - संजीव कुमार, मानगो