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पेंशन नहीं मिला, अब भूख से मर रहे इस विभाग के कर्मचारी

केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन नीति को समाप्त कर दिया है। इसके बदले में न्यू पेंशन स्कीम शुरू की है। लेकिन इस पेंशन नीति का भी लाभ कई कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है और वे अपनी अजीविका चलाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 10:12 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 10:12 AM (IST)
पेंशन नहीं मिला, अब भूख से मर रहे इस विभाग के कर्मचारी
पिछले कई वर्षों से पेंशन के लिए भटक रहे हैं दिलीप माझी

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) : केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन नीति को समाप्त कर दिया है। इसके बदले में न्यू पेंशन स्कीम शुरू की है। लेकिन इस पेंशन नीति का भी लाभ कई कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है और वे अपनी अजीविका चलाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

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हम बात कर रहे हैं डाक विभाग के कर्मचारियों का। यहां प्रवीण षाडंगी, वनमाली महतो, कमल कपूर और दिलीप कुमार मांझी की बात कर रहे हैं जो वर्ष 2004 के बाद डाक विभाग में नियोजित हुए। पेंशन के नए नियमों के तहत इनके भी वेतन से पैसा कटा। सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारियों को इसका लाभ मिलना था। लेकिन पिछले तीन वर्षो से ये सेवानिवृत्त तो हुए लेकिन इन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।

दिलीप माझी का कहना है कि इन्होंने डाक विभाग में 12 साल छह माह नौकरी की। मेरे वेतन से भी पेंशन के लिए पैसा काटा गया लेकिन अब मुझे पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसके लिए मैं डाक विभाग के अधीक्षक, पोस्ट सर्विस के डायरेक्टर और वरिष्ठ डाक अधीक्षक, सिंहभूम प्रमंडल को भी पत्र भेजकर पेंशन देने की गुहार लगा चुका हूं। लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हुआ।

इसके कारण सेवानिवृत्त के बाद सैटेलमेंट का जो पैसा मुझे मिला है उसी मूलधन से अपने और अपनी पति सहित पूरे परिवार का भरण-पोषण हो रहा है। मैं धालभूमगढ़ के नरसिंहगढ़ में रहता हूं और हर माह पांच से दस बार अपने पेंशन के लिए ऑफिस के चक्कर लगाता हूं। लेकिन हर बार अधिकारी यही कह देते हैं कि नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को पेंशन देने का आर्डर सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है। दिलीप का कहना है कि जब आदेश नहीं आया है तो मेरे वेतन से पेंशन के लिए पैसा काटा क्यों।

राजनीतिक पार्टी के नेता को क्यों मिलता है पेंशन

ऑल इंडिया पोस्टल इम्प्लाई यूनियन के जिला सचिव चंडी चरण का कहना है कि राजनीति में यदि एक बार कोई विधायक, सांसद या मंत्री बन गया तो उसे आजीवन पेंशन सुविधा का लाभ मिलता है। यदि वो अपने जीवन में विधायक और सांसद दो बना तो पद जाने के बाद उसे दोनो तरह के पेंशन का लाभ मिलता है तो जब उन्हें पेंशन का लाभ मिलता है तो कर्मचारियों को क्यों नहीं।


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