800 की बजाए 1600 रुपए में मरीज करा रहे सिटी स्कैन, जिनके पास पैसा नहीं उनकी जांच नहीं हो रही
निजी अस्पतालों में जब कोई मशीन खराब होती है तो वह एक से दो दिन में बन जाती है लेकिन सरकारी अस्पतालों में ऐसा नहीं होता है। उदाहरण महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल है। यहां बीते एक साल से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी हुई है।
जमशेदपुर, जासं। निजी अस्पतालों में जब कोई मशीन खराब होती है तो वह एक से दो दिन में बन जाती है लेकिन सरकारी अस्पतालों में ऐसा नहीं होता है। उदाहरण महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल है। यहां बीते एक साल से सिटी स्कैन मशीन खराब पड़ी हुई है। लेकिन, इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
मशीन कब बनेगी इसकी चिंता किसी को नहीं है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। एमजीएम अस्पताल में 800 रुपए में सिटी स्कैन होती थी लेकिन अब मशीन खराब होने की वजह से मरीजों को 1600 रुपए देकर बाहर में सिटी स्कैन करानी पड़ रही है। वहीं, पेट का सिटी स्कैन की राशि एमजीएम में तीन हजार रुपए निर्धारित है। जबकि बाहर में 6000 से 6500 रुपए लग रहे हैं। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। अधिकांश मरीज जांच नहीं करा पा रहे हैं। जांच के अभाव में मरीजों का इलाज रुक गया है।
एमजीएम में नहीं हुई जांच तो वापस लौट गया मरीज
आदित्यपुर निवासी बच्चा झा के सिर में तेज दर्द होने की वजह से उन्हें तीन दिन पूर्व एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान चिकित्सकों ने सिटी स्कैन जांच कराने की सलाह दी। इसके बाद जब वे जांच कराने पहुंचे तो पता चला कि मशीन खराब है। इसके बाद परिजन अधीक्षक-उपाधीक्षक के पास गए और कहा कि मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में बाहर जांच कराने में असमर्थ हूं। इसके बावजूद मरीज की जांच नहीं हो सकी। सोमवार को मरीज बिना जांच कराए ही वापस घर लौट गया है। अब उसकी सेहत राम भरोसे है।
एमजीएम में रोजाना 14 से 15 मरीजों का होता सिटी स्कैन
एमजीएम में रोजाना 14 से 15 मरीजों का सिटी स्कैन होता है लेकिन फिलहाल मशीन खराब पड़ी हुई है। जिसके कारण इन मरीजों को बाहर में जांच कराना पड़ रहा है। एमजीएम में दो तरह का सिटी स्कैन होता है। सिर का सिटी स्कैन कराने पर 800 रुपए लगता है। जबकि पेट का सिटी स्कैन कराने पर तीन हजार रुपए लगता है। जबकि निजी सेंटरों में सिर व पेट का सिटी स्कैन कराने पर सीधे दोगुनी राशि लगती है। मशीन खराब होने से सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है।
एमजीएम में छह करोड़ रुपए की मशीन खा रही जंग
एमजीएम में लगभग छह करोड़ रुपये की अलग-अलग मशीनें जंग खा रही है। इसमें कई ऐसी मशीन शामिल है जिसे बना देने के बाद मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इमरजेंसी विभाग में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर (ओटी) भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी होने की वजह से यह ओटी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है।
ये कहते अस्पताल अधीक्षक
सिटी स्कैन मशीन बनाने के लिए संबंधित कंपनी से बात की गई है। कोरोना की वजह से अभी तक कंपनी के कोई सदस्य नहीं पहुंच सका है। इसके लिए लगातार संपर्क किया जा रहा है। उम्मीद है कि मशीन जल्द ही बन जाएगी।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।