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इलाज के अभाव में तड़प कर मर गया मरीज, इमरजेंसी छोड़ भागे डॉक्टर Jamshedpur News

एमजीएम अस्पताल में अराजक स्थिति का एक और नमूना देखिए। तीन घंटे तक एक भी डॉक्टर नहीं थे और मरीज इलाज के अभाव में तड़प कर मर गया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 11:39 AM (IST)
इलाज के अभाव में तड़प कर मर गया मरीज, इमरजेंसी छोड़ भागे डॉक्टर Jamshedpur News
इलाज के अभाव में तड़प कर मर गया मरीज, इमरजेंसी छोड़ भागे डॉक्टर Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं।  कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में अराजक की स्थिति है। सोमवार की शाम एक मरीज इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गया। इसकी शिकायत करने जब परिजन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर के पास पहुंचे तो वह इमरजेंसी विभाग ही छोड़ कर भाग निकले। इस दौरान अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हो गया।

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इमरजेंसी विभाग में आने वाले गंभीर मरीज जख्म से तड़प रहे थे, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था। इस दौरान मरीज के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। वे गुहार लगा रहे थे कि कोई तो मेरे मरीज को बचा ले, लेकिन जिम्मेदार डॉक्टर की लापरवाही के आगे वह बेबस थे। शाम पांच से रात आठ बजे तक इमरजेंसी विभाग में एक भी डॉक्टर नहीं था। सीनियर चिकित्सक तो गायब थे ही, जूनियर व इंटर्न भी गायब थे।

और शुरू हाे गया हंगामा

इससे इमरजेंसी विभाग में भर्ती मरीज व उनके परिजनों में आक्रोश बढ़ गया। वे हंगामा करने लगे। उनका कहना था कि 'इलाज नहीं कर सकते तो बंद कर दो अस्पतालÓ। यह नारा लगाते-लगाते परिजन अस्पताल के मेन गेट तक पहुंच गए और गेट को बंद कर दिया। इससे स्थिति और भी बिगड़ गई। इसे देखते हुए साकची पुलिस दल-बल के साथ पहुंची लेकिन वह भी मूकदर्शक बनी रही। कारण कि मरीजों का विरोध लाजिमी था। पूरे अस्पताल में करीब 500 से अधिक मरीज भर्ती थे लेकिन वहां पर एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। परिजनों का कहना था कि इतने बड़े अस्पताल में मरीजों को भर्ती कर भला डॉक्टर कैसे गायब हो सकते है। क्या उनकी मानवता मर गई है? क्या वह अपनी जिम्मेवारी नहीं समझ रहे। डॉक्टर नहीं होने की वजह से इमरजेंसी विभाग से करीब आधे दर्जन से अधिक मरीज बिना इलाज कराएं ही दूसरे अस्पताल लौट गए। ये सभी गंभीर मरीज थे। इनका कहना था कि ऐसे अस्पताल में अच्छा आदमी भी मर जाएगा।  

मंत्री का पैर पकड़-पकड़ कर रोने लगी मृतक की पत्नी 

घटना की सूचना मिलने पर मंत्री सरयू राय भी एमजीएम अस्पताल पहुंचे। उस समय करीब 7.50 बज रहे थे। मंत्री को देखते ही पूरी भीड़ ने उन्हें घेर लिया और अपनी-अपनी समस्याएं गिनाने लगे। मृतक तुषार मुखी की पत्नी सीता मुखी मंत्री का पैर पकड़-पकड़ कर रोने लगी। वह कहने लगी कि इलाज के अभाव में उसका पूरा परिवार उजड़ गया। पेट में मामूली दर्द होने पर पति तुषार मुखी को शाम करीब पांच बजे भर्ती कराया गया और छह बजे उनकी मौत हो गई। पति को इमरजेंसी विभाग में बेड भी नसीब नहीं हुआ। वह फर्श पर ही दर्द से तड़पता रहा। इसे लेकर वह कई बार डॉक्टर को बोली, लेकिन वह एक बार भी देखने नहीं आया। यहां तक की जब पति की सांस रुक गई तो भी डॉक्टर को बुलाने गई, लेकिन वह इमरजेंसी विभाग छोड़ कर भाग गया।

मंत्री ने कहा-शर्मनाक, अराजक स्थिति 

मंत्री सरयू राय जब एमजीएम अस्पताल पहुंचे तब सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर हांसदा पहुंच गए थे, लेकिन डॉक्टर्स रूम में कोई मौजूद नहीं था। हालांकि, इसके कुछ ही देर के बाद एमजीएम के पूर्व अधीक्षक डॉ. आरवाई चौधरी, वर्तमान अधीक्षक डॉ. आरके मंधान पहुंचे। इसके बाद डॉ. पी. सरकार व करीब आधे दर्जन इंटर्न व जूनियर डॉक्टर पहुंचे। इससे पूर्व मंत्री सरयू राय को मरीजों द्वारा कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा। मरीज के परिजनों ने कहा-मंत्री जी, यही सरकारी अस्पताल की व्यवस्था है। यहां न तो डॉक्टर है और न ही दवा। सिर्फ सरकार बड़ा-बड़ा दावा कर रही है। उनकी बातों को सुनते हुए मंत्री ने कहा कि स्थिति शर्मनाक है। अराजक जैसी है।

मंत्री ने मुख्य सचिव को दी जानकारी

सरयू राय ने कहा कि घटना की जानकारी मैंने मुख्य सचिव व स्वास्थ्य को दी है। अपने पेशा के प्रति सभी को इमानदार होने चाहिए। अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाने को लेकर मैंने लगातार कोशिश भी किया लेकिन ऐसा लगता है कि उपर बैठे लोग शायद इसे धरातल पर अमल नहीं होने देना चाहते है। बीते फरवरी माह में ही अस्पताल में तीन प्रशासनिक पदाधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया लेकिन उसपर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा गया है। इसी तरह और भी कई निर्णय लिया गया लेकिन वह सब कागज में ही सिमटा हुआ है। अस्पताल चलाने में अगर सरकार असमर्थ है तो मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर कर देना चाहिए और उसी को पैसा देना चाहिए।

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