DEATH IN MGM JAMSHEDPUR: डॉक्टर से लगाते रहे गुहार, मरीज की हो गई मौत
एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार पिफर मानवता को शर्मसार करनेवाली घटना घटी। तीमारदार इलाज की गुहार लगाते रहे और मरीज की जान चली गई।
जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करनेवाली घटना घटी। तीमारदार इलाज की गुहार लगाते रहे और मरीज की जान चली गई।
पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी प्रखंड इलाके के खेदाबादिया गांव निवासी अरुण हेम्ब्रम को हाथ-पैर काम नहीं करने की वजह से एमजीएम अस्पताल में गुरुवार को भर्ती कराया गया। अरुण के भाई लुगू हेम्ब्रम ने बताया कि अरुण को देखने के लिए डॉक्टर सिर्फ एक बार आए और ऑक्सीजन चढ़ाने को बोलकर चले गए। ठीक से जांच तक नहीं की। दोपहर करीब डेढ़ बजे तक मरीज को ऑक्सीजन चढ़ता रहा। इस दौरान मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ती गई। इसे देखते हुए डॉक्टर से कई बार मरीज को देखने के लिए गुहार लगाई गई, लेकिन वह नहीं आए और न ही मरीज को किसी तरह की दवा दी गई। अंत में मरीज की मौत हो गई।
ये कहते अधीक्षक
एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद का कहना है कि इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं मिली है। अगर, ऐसा मामला है तो उसकी जांच कराई जाएगी और आरोपित डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। अस्पताल में मरीजों को बेहतर चिकित्सा देने की हर संभव कोशिश की जाती है।
बच्चों की मौत के लिए बदनाम
एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल बच्चे की मौत के लिए बदनाम रहा है। यहां 24 घटे के अंदर 62 फीसद बच्चों की मौत हो जाती है। इसका खुलासा राज्य सरकार द्वारा कराई गई जाच रिपोर्ट में हुआ था। दैनिक जागरण ने चार माह में 164 बच्चों की मौत की खुलासा किया था। इसके बाद झारखंड ह्यूंमन राइट्स कांफ्रेंस (जेएचआरसी) ने इस मामले की शिकायत लोकायुक्त से की थी और जांच की मांग की थी। लोकायुक्त ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। इसमें स्वास्थ्य सेवाएं के निदेशक प्रमुख डॉ. राजेंद्र पासवान, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. लक्ष्मण लाल व कोल्हान के क्षेत्रीय उप निदेशक डॉ. सुरेश कुमार शामिल थे। इनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि 164 बच्चों की मौत कई कारणों से हुई है। 24 घंटे के अंदर 62 फीसद बच्चों की मौत हो जाती है। वहीं जन्म के 12 दिन के अंदर 22 फीसद, तीन साल तक नौ फीसद व पांच साल तक उम्र में चार फीसद बच्चों की मौत हो जाती है। शिशुओं की मौत का मुख्य कारण कम वजन, संक्रमण, समय से पूर्व जन्म व श्वास में कठिनाई बताया गया है।
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