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जिले में इस बार 36 लाख मीट्रिक टन धान की उपज होने का अनुमान

पूर्वी सिंहभूम जिले में इस वर्ष 36 लाख मीट्रिक टन (1 मीट्रिक टन या 1000 किलोग्राम) धान की उपज होने का अनुमान है। इसका अनुमान उपायुक्त सूरज कुमार के निर्देश पर मुसाबनी के विभिन्न पंचायतों में जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिदी की देखरेख में धान की कटनी के बाद लगाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 05:30 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 05:30 AM (IST)
जिले में इस बार 36 लाख मीट्रिक टन धान की उपज होने का अनुमान
जिले में इस बार 36 लाख मीट्रिक टन धान की उपज होने का अनुमान

जासं, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले में इस वर्ष 36 लाख मीट्रिक टन (1 मीट्रिक टन या 1000 किलोग्राम) धान की उपज होने का अनुमान है। इसका अनुमान उपायुक्त सूरज कुमार के निर्देश पर मुसाबनी के विभिन्न पंचायतों में जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिदी की देखरेख में धान की कटनी के बाद लगाया गया।

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जिले में करीब तीन वर्ष से चुनिदा किसान एमटीयू-7029 किस्म के धान की खेती कर रहे हैं। इसकी उपज परंपरागत धान के उपज से लगभग दोगुनी होती है। अनुमान लगाने के लिए मुसाबनी प्रखंड के कुईलीसुता पंचायत के ग्राम लाटिया में किसान कार्तिक महाली की खेत में एमटीयू-7029 या स्वर्णा धान की फसल उगाई गई थी। यहां निर्धारित प्लॉट (10 गुणा 5 मीटर) में 19.65 किलोग्राम धान निकला, जबकि दक्षिण बादिया पंचायत के बादिया ग्राम में किसान शेख मोहर्रम के खेत में निर्धारित प्लॉट से 18.50 किलोग्राम उपज प्राप्त हुई।

जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कालिदी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष विभिन्न खरीफ एवं रबी फसलों की फसल जांच कटनी विभागीय स्तर पर की जाती है, जिससे पूरे प्रखंड या जिले के धान आच्छादित रकबा में उपज का आकलन किया जाता है। इस अवसर पर प्रखंड महिला प्रसार पदाधिकारी सावित्री हांसदा, जनसेवक दिलीप कुमार गिरि, सनातन मार्डी व दीपक बेरा, आत्मा के सहायक तकनीकी प्रबंधक सालगे सोरेन, धर्मेंद्रनाथ महतो व किसान मित्र बाबुलाल मुर्मू मौजूद रहे। इस खेती में मिट्टी जांच कराई जाती है, ताकि मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप उर्वरक व कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा सके। इसके लिए किसान को अच्छी तरह प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसमें धान के बीज की बुवाई 25 दिनों के अंदर करना अनिवार्य होता है। बीच-बीच में कृषि विभाग की टीम फसल की निगरानी भी करती है। खेतों या प्लॉट का चयन जिला सांख्यिकी विभाग करता है। विभाग किसी भी खेत को रैंडमली चुन लेता है। जिला कृषि पदाधिकारी बताते हैं कि गत वर्ष धान की उपज इससे कम हुई थी। सितंबर तक अच्छी बारिश हो जाती है, तो फसल अच्छी होती है। गत वर्ष बारिश कम हुई थी।


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