EYE problem: आंखों के पर्दे फटने पर न करें देरी, तत्काल ऑपरेशन की विकल्प
EYE problem. आंखों के पर्दे फटने पर तत्काल ऑपरेशन ही विकल्प है। इसके बगैर आंखों की रोशनी नहीं बचाई जा सकती।
जमशेदपुर, जेएनएन। ऑल इंडिया ओफ्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी की एकेडमिक रिसर्च शाखा ने झारखंड के नेत्ररोग विशेषज्ञों के लिए आखों के पर्दे की बिमारियों की पहचान एवं इलाज पर कार्यशाला का आयोजन झारखंड नेत्र सोसाइटी एवं जमशेदपुर नेत्र सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में किया। इस दौरान यह तथ्य सामने आए कि आंखों के पर्दे फटने पर तत्काल ऑपरेशन ही विकल्प है। इसके बगैर आंखों की रोशनी नहीं बचाई जा सकती।
सेशन: A
मिक्स्ड बैग्स - केस बेस्ड सिनेरियो पर डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. कुमार साकेत, डॉ. बी.एन. गुप्ता और डॉ. भारती कश्यप ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। झारखंड की प्रख्यात नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. भारती कश्यप ने मोतियाबिंद सर्जरी के बाद कभी-कभी हो जाने वाली आंखों में सूजन और इन्फेक्शन को किस प्रकार से पहचाने और उसका अलग – अलग तरीके से किस प्रकार से मैनेजमेंट करें ताकि मरीजों की आंखों की रौशनी वापस आ जाए इस पर अपने विचार रखें।
सेशन: B
डायबिटीज के अलावा अन्य कारणों से आंखों के पर्दे पर पैदा होने वाली खून की नयी नालियों और उनके द्वारा होने वाले सूजन के मैनेजमेंट पर पर डॉ. नितिन जी. धीरा और डॉ. संतोष कुमार महापात्र ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
सेशन: C
रेटिनल वेन ओकुलेशन पर डॉ. पूनम सिंह, डॉ. विजय जोजो और डॉ. बी. पी. कश्यप ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
सेशन: D
डायबिटिक रेटिनोपैथी पर डॉ. अंशुमन सिन्हा, डॉ. सुबोध, डॉ. पार्थो बिस्वास और डॉ. मनीषा अगरवाल ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। एक्सपर्ट पैनल में मौजूद डॉ. बिभूति भूषण ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव के लिए रक्त के शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना जरूरी है। साथ में हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखना जरूरी है। खून की कमी भी रेटिनोपैथी को बढ़ाती है। रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को सही रखना आवश्यक है। साल में एक बार रेटिना की जांच अवश्य करानी चाहिए। साथ ही संतुलित आहार और प्रति दिन सुबह या शाम की 1 घंटे की सैर भी बहुत जरूरी है।
जमशेदपुर में आयोजित कार्यशाला का उदघाटन करते अतिथि।
सेशन: E
आंखों के पर्दे अपनी जगह से खिसकने के अलग-अलग कारण होते हैं। उन कारणों पर आधारित सर्जिकल मैनेजमेंट एवं नॉन सर्जिकल मैनेजमेंट पर डॉ. राहुल डॉ. बिक्रमजीत और डॉ. प्रशांत ने अपने विचार रखे। एक्सपर्ट पैनल में मौजूद सुप्रसिद्ध डॉ. बी.पी. कश्यप ने बताया कि आंखों के पर्दे की बीमारी और पर्दे का फटना एक इमरजेंसी है। ऐसे में ऑपरेशन जल्द से जल्द करना चाहिए। अचानक से रोशनी का जाना आंख के आगे मक्खियां मच्छर जैसा आना और परदे के आगे बिजली का चमकना यह सारे लक्षण होते हैं पर्दा फटने के। ऐसे में यदि सर्जरी जल्द नहीं कराया जाये तो आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।
आंख के पर्दे के खिसकने के ये होते कारण: चोट लगने से, (अनुवांशिक रूप) खानदानी रूप से कमजोर होने की वजह से, ज्यादा पावर के चश्मे के कारण, Vitreous में खराबी या Vitreous में खून आने की वजह से, पर्दे के पीछे Choroid या उसके भी पीछे श्वेत पटल/sclera की खराबी से होने से, मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद कमजोर रेटिना की वजह से, लेंस के ऊपर कभी-कभी मोटी झिल्ली पड़ जाती है तो उसे याग लेज़र कैप्सूलोटमी द्वारा काटा जाता है तो इसकी वजह से भी रेटिनल डिटैचमेंट हो सकती है तथा आखों में इन्फेक्शन होने की वजह से।
क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए : अगर आपके चश्मे का पॉवर ज्यादा है तो साल में एक बार पर्दे की जांच जरूर करायें। अगर आपकी आंखों के सामने काला धब्बा के सामान और कभी चिंगारी के तरह रौशनी नजर आये तो आंख की जरूर जांच कराएं। अगर आंख में चोट लगी हो तो जरूर जांच करा लें। आंख जांच के बाद अगर डॉक्टर बोलें कि आपकी आंख का पर्दा कमजोर हो गया है तो उसका ईलाज जरूर करवाना चाहिए। अगर आपके परिवार में किसी को रेटिनल डिटैचमेंट हुआ है तो आपको रेटिना जांच करवाना चाहिए।
सेशन: F
मिक्स्ड बैग्स पर डॉ. प्रशांत बावनकुले, डॉ. पार्थो बिस्वास, डॉ. कृष्णेंदु नंदी और डॉ. मनीषा अगरवाल ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
सेशन: G
यंग नेत्ररोग विशेषज्ञों के सेशन में डॉ. गायत्री, डॉ. अनुजा, डॉ. अनिकेत, डॉ. स्नेह, डॉ. अंशुमन, डॉ. सुबोध और डॉ. दीपक ने अपने-अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
ये रहे मौजूद: इस कांफ्रेंस में झारखंड ओफ्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी के चेयरमैन साइंटिफिक कमेटी डॉ. भारती कश्यप, सेक्रेटरी डॉ. बिभूति भूषण तथा लोकल आर्गेनाइजिंग कमेंटी के डॉ. एस. पी. जखंवाल, डॉ. जी. बी. सिंह, डॉ. बी. पी. सिंह, डॉ. सी. बी. पी. सिंह, डॉ. एस. बाजोरिया, डॉ. एस. के. मित्रा, डॉ. मोनिका होरो, डॉ. कुमार साकेत, डॉ. पी. कुंडू, डॉ. विजया जोजो, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. आनंद सुश्रुत, डॉ. विवेक केडिया, डॉ. रवि दौलत बरभया, डॉ. नितिन जी. धीरा, डॉ. रश्मि मित्रा, डॉ. राजेश वर्मा, डॉ. मलय द्विवेदी और डॉ. आर. बी. सिंह मौजूद थे।
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एकेडकिम रिसर्च के प्रमुख डॉ. पार्थो बिस्वास, अतिथि वक्ता डॉ. प्रशांत बावनकुले, डॉ. कृष्णेंदु नंदी, डॉ. मनीषा अग्रवाल, डॉ. संतोष कुमार महापात्र, चैयरमेन साइंटिफिक कमेटी डॉ. भारती कश्यप, सेक्रेटरी डॉ. विभूति भूषण, संयोजक डॉ. एस पी. जखनवाल और पूर्व अध्यक्ष डॉ. बी.पी. कश्यप सहित सभी प्रमुख नेत्र चिकित्सकों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण डॉ. एसपी. जखनवाल ने दिया। मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्रन डॉ. भारती कश्यप, चैयरमेन साइंटिफिक कमेटी ने दिया।
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