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Automobile sector : टाटा कमिंस में 10 हजार की जगह बन रहे दो हजार इंजन

मंदी की मार से इंजन बनानेवाली कंपनी टाटा कमिंस भी बेहाल है। कंपनी में 10 हजार की जगह मात्र दो हजार इंजन की बनाए जा रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 04:17 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 06:00 PM (IST)
Automobile sector : टाटा कमिंस में 10 हजार की जगह बन रहे दो हजार इंजन
Automobile sector : टाटा कमिंस में 10 हजार की जगह बन रहे दो हजार इंजन

जमशेदपुर, जासं।  मंदी का असर टाटा मोटर्स के साथ-साथ टाटा कमिंस में भी है। आए दिन ब्लॉक-क्लोजर से स्थायी कर्मियों के साथ-साथ यहां के ठेका मजदूरों व प्रशिक्षुओं की हालत भी खस्ता हो गई है। महीने में 15 दिन काम मिलने की वजह से मजदूरों की स्थिति दयनीय हो चली है।

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कंपनी में 850 स्थायी कर्मचारी हैं जबकि ठेका मजदूरों की संख्या एक हजार से ज्यादा होगी। फिलहाल कंपनी में 300 ही ठेका मजदूर कार्यरत रहे हैं। आधे प्रशिक्षुओं को काम से बैठा दिया गया है। शेष को छह सितंबर से बैठा दिया जाएगा। एक महीने में जहां दस हजार इंजन बनाए जाते थे वहां अब सिर्फ दो हजार ही इंजन बन रहे हैं।

सितंबर में 2200 इंजन बनाने का लक्ष्य

सितंबर में 2200 इंजन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मांग में आई गिरावट से कंपनी की उत्पादन-उत्पादकता बहुत कम हो गई है। चालू महीने अगस्त में शुक्रवार तक 1500 इंजन बनाए गए हैं जबकि पूरे माह में यह आंकड़ा 1800 तक पहुंचने की उम्मीद है। बताया जाता है कि ऑर्डर नहीं रहने की वजह से ब्लॉक-क्लोजर व फ्लेक्सी ऑफ देकर सामंजस्य किया जा रहा है।

टाटा मोटर्स है प्रमुख ग्राहक

टाटा कमिंस के बनाए इंजन का प्रमुख ग्राहक टाटा मोटर्स कंपनी है। कमिंस के इंजन को टाटा मोटर्स जमशेदपुर, लखनऊ व पुणे प्लांट के लिए खरीदती है। इसके अलावे आर्मी वाहन के लिए भी इंजन खरीदे जाते हैं। टाटा मोटर्स का उत्पादन कम होने का सीधा असर कमिंस पर पड़ता है।

क्लोजर से होता है नुकसान

ब्लॉक-क्लोजर की वजह से कंपनी व कर्मचारी दोनों को नुकसान होता है। क्लोजर का आधा भार कंपनी को वहन करना पड़ता है जबकि आधे का सामंजस्य कर्मियों के अवकाश से होता है। वैसे कर्मचारी जिनका अवकाश समाप्त हो गया है, उनके वेतन से पैसे काटे जाते हैं। अस्थायी व ठेका मजदूरों को जितने दिन काम होता है उतने दिन का ही पैसा मिलता है। क्लोजर की वजह से कर्मियों की स्थिति दयनीय हो जाती है।

काम से बैठा दिए जाएंगे प्रशिक्षु

ब्लॉक-क्लोजर होने का सीधा असर नीम (नेशनल इंप्लायबिलिटी एंड इनहेंसमेंट मिशन) प्रशिक्षुओं पर भी पड़ा है। टाटा कमिंस के 150 नीम ट्रेनीज पिछले महीने ही काम से बैठा दिए गए। वहीं शेष 250 नीम ट्रेनीज को छह सितंबर तक काम से बैठा दिया जाएगा। इन प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण की अवधि एक साल की है। अब इन्हें पांच माह पहले ही बैठा दिया गया। कंपनी की स्थिति सुदृढ़ होने की स्थिति में फिर शेष समय का प्रशिक्षण मिलेगा।

18 दिन हो सकता है क्लोजर

टाटा कमिंस में एक साल में 18 दिन ही ब्लॉक-क्लोजर हो सकता है। क्लोजर का समय बढ़ाने के लिए फिर प्रबंधन-यूनियन को नए सिरे से समझौते करने होंगे। चालू वित्तीय सत्र में 14 क्लोजर दिया गया है।

  • कब-कब हुआ क्लोजर

  • मई- 28 से 31 (चार दिन)
  • जुलाई-15, 22, 23, 24 व 31 (पांच दिन)
  • अगस्त- 2,8,9,16,23 (पांच दिन) 

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