पूरे जमशेदपुर में सिर्फ 6 बेड का एनआइसीयू, संसाधनों की कमी की वजह से सिर्फ MGM में हर माह 40-50 बच्चों की हो जाती है मौत
पूर्वी सिंहभूम जिले में बच्चों की मौत गंभीर समस्या है। हर माह 40-50 बच्चों की मौत हो जाती है और इसका कारण बनता है कुपोषण समय पर इलाज नहीं मिलना व संसाधन का अभाव। यह समस्या वर्षों से चली आ रही है लेकिन खत्म कब होगा....
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । पूर्वी सिंहभूम जिले में बच्चों की मौत गंभीर समस्या है। सिर्फ एमजीएम में कुपोषण, समय पर इलाज नहीं मिलने व संसाधन के अभाव में हर माह 40-50 बच्चे दम तोड़ देते हैं। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन यह कब थमेगा, जिम्मेदारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है।
यही नहीं जिले के हर प्रखंड में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) व उप-स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है। लेकिन आज भी घरों में ही प्रसव होता है। जो गंभीर सवाल खड़ा करता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि सिर्फ भवन बना देने से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
उन भवनों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल, दवा और उपकरण की जरूरत होती है, जो नहीं है। ऐसे में अधिकांश केंद्रों पर ताला लटक रहा है। जो कर्मचारी पूर्व से आउटसोर्स पर तैनात हैं, उन्हें भी हटाया जा रहा है। ऐसे में स्थिति और भी बदत्तर हो गई है। एमजीएम अस्पताल के एनआइसीयू में बेड नहीं होने की वजह से तीन बच्चों को टीएमएच रेफर कर दिया गया है।
जिले में सिर्फ छह बेड का एनआइसीयू
पूर्वी सिंहभूम जिले में सिर्फ छह बेड का एनआइसीयू (न्यू बोर्न इंटेसिव केयर यूनिट) बना हुआ है, जो पर्याप्त नहीं है। यहां संसाधन का अभाव तो हैं ही मैन पावर की भी कमी है। जिसके कारण सभी बच्चों को इलाज नहीं मिल पाता है। नियमत: यहां एक साथ कुल छह बच्चों को ही भर्ती किया जा सकता है लेकिन यहां एक-एक वार्मर पर तीन से चार बच्चों को भर्ती किया जाता है। उसके बावजूद अधिकांश बच्चों को बेड नहीं मिल पाती और इलाज के अभाव में उनकी जान चली जाती। मंगलवार को जिन दो बच्चों की मौत हुई है उन्हें भी एनआइसीयू में बेड नहीं मिल सका।
एमजीएम में बन रहा 20 बेड का एनआइसीयू
एमजीएम में बच्चों की मौत का मामला कोई नया नहीं है। 25 अगस्त 2017 को बच्चों की मौत को लेकर ही स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने एमजीएम का निरीक्षण करने आए थे और बच्चों की मौत पर चिंता जाहिर किया था। साथ ही जल्द ही 20 बेड का एनआइसीयू बनाने का निर्देश दिया था। लेकिन आज लगभग 39 माह बीतने के बावजूद भी एनआइसीयू नहीं खुल सका है। एमजीएम के नए भवन में आधे अधूरे बनकर तैयार है लेकिन, वह चालू कब होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। एमजीएम प्रबंधन का कहना है कि मैन पावर की कमी है। इस कारण एनआइसीयू खोलने में परेशानी हो रही है। उपकरण की भी जरूरत है। प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा गया है।