Online Game ALERT : ऑनलाइन गेम का नशा ऐसा कि घर छोड़कर भाग रहे हैं बच्चे, आप भी हो जाएं सावधान
Online Game ALERT अगर आपका भी बच्चा दिन भर मोबाइल में चिपका रहता है। मोबाइल वापस मांगने से हिंसक व्यवहार करता है तो आप भी अलर्ट हो जाएं। ऑनलाइन गेम का नशा ऐसा कि बच्चे घर छोड़कर भाग जा रहे हैं....
जासं, जमशेदपुर : यदि आपके बच्चे मोबाइल पर ज्यादा समय बिता रहे हैं तो यह उन सभी अभिभावकों के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि ऑनलाइन गेम का नशा ऐसा है कि बच्चे घर छोड़कर भाग रहे हैं। हालत यह है कि बच्चे अभिभावक की बात तक नहीं मान रहे हैं।
चाइल्ड लाइन ने स्टेशन से पकड़े 139 बच्चे
टाटानगर रेलवे स्टेशन में चाइल्ड लाइन कार्यरत हैं। जिसने अप्रैल से सितंबर 2021 के बीच 139 बच्चों को बरामद किया। इसमें से 22 ऐसे बच्चे शामिल हैं जो केवल ऑनलाइन गेम खेलने के लिए घर से भाग निकले या अपने लिए खुद का मोबाइल फोन खरीदने या एकांत जगह पर ऑनलाइन गेम खेलने के लिए ऐसे बच्चे घर से निकल जाते हैं। इन्हें टाटानगर स्टेशन पर आरपीएफ या स्टेशन कर्मचारियों द्वारा कहीं किसी कोने में बैठकर गेम खेलते हुए बरामद करते हैं।
टाटानगर की चाइल्ड लाइन या आरपीएफ की टीम ने जब इन्हें बरामद किया तो ये पोकीमोन गो, फायर फॉक्स, कॉलर ऑफ ड्यूटी जैसे ऑनलाइन गेम खेलते मिले। ये बच्चे ओडिसा, पश्चिम बंगाल, रांची, क्योंझर, मयूरभंज, दिल्ली, मुंबई, असम, तेलंगाना व तमिलनाडु से भी टाटानगर स्टेशन से बरामद किए गए हैं।
खुद नौकरी कर मोबाइल खरीदना चाहते हैं बच्चे
चाइल्डलाइन की सेंटर कॉर्डिनेटर एम अरविंदा ने कहा, टाटानगर स्टेशन से हमने कई बच्चों को बरामद किया है जो ऑनलाइन गेम खेलने के लिए घर से भाग निकले हैं या वो कहते हैं कि वे नौकरी कर अपना खुद का मोबाइल फोन खरीदना चाहते हैं। कुछ बच्चे ऐसे भी मिले जिनके अभिभावक जब उन्हें लेने पहुंचे तो उन्हें इस बात का अफसोस था कि वे पकड़े गए और अब अभिभावक घर ले जाएंगे और वे मोबाइल पर गेम नहीं खेल पाएंगे
केस -1
सोनारी निवासी राजेश का कहना है कि उनका बेटा मात्र साढ़े तीन साल का है और अक्सर मोबाइल पर कुछ न कुछ देखता रहता है। मोबाइल वापस लेने पर वह जोर-जोर से राेता है। कई बार देखने को मिला कि उसका दादा सोए हुए हैं और मेरा बेटा उनके ऊपर या पेट पर कूद जाता है। अक्सर कहता रहता है कि मैं आपको छोडूंगा नहीं। मैं आपको मार दूंगा।
केस 2
बागबेड़ा निवासी जय प्रकाश का कहना है कि उसका बेटा सुबह से ऑनलाइन क्लास की बात मोबाइल लेकर बैठ जाता है। कान में हेड फोन लगाकर बैठा रहता है। हमें लगता है कि वह पढ़ रहा है लेकिन जब मुझ लाइफ लेने दो, मुझे ये बंदूक चाहिए, कहता है तब हमें मालूम चलता है कि वो गेम खेल रहा है। पूछने पर झूठ बोलता है कि अभी क्लास खत्म हुई।
केस 3
चाइल्ड लाइन ने अगस्त माह में एक नाबालिग लड़के को टाटानगर स्टेशन से बरामद किया जो ऑनलाइन गेम पोकोमोन गो खेल रही थी। इस गेम में बच्चों को गेम के दौरान आर्टिफिशियल जानवर दिखने पर उक्त स्थल पर जाकर उसे कैप्चर करना पड़ता है। गेम के दौरान आर्टिफिशियल जानवर भी अचानक से गायब होकर दूसरी जगह दिखने लगता है।
बच्चे को स्टेज पार करने के लिए काफी समय से उक्त आर्टिफिशियल जानवर की तलाश कर रहा था। साथ में ऑनलाइन गेम खेलने वाले एक बच्चे ने सलाह दी कि वह जमशेदपुर आकर तलाश करें, उसे मिल जाएगा। ऐसे में वह बच्चा ट्रेन में बैठकर कोलकाता से जमशेदपुर पहुंच गया।
केस 4
सितंबर माह में चाइल्ड लाइन ने एक बच्चे को टाटानगर स्टेशन से बरामद किया। पूछताछ में पता चला कि घर पर उसके अभिभावक आराम से गेम खेलने नहीं देते। इसलिए अकेले में आराम से गेम खेलने के लिए वह घर से भागकर यहां आ गया।
इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन है बहुत खतरनाक : मनोवैज्ञानिक
मनोचिकित्सक दीपक गिरी कहते हैं, इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन बहुत खतरनाक है। कुछ गेम ऐसे हैं जिसे ग्रुप में खेलते हैं तो बच्चे अपने प्रतिदंद्वी से ज्यादा रिवार्ड, स्टार या प्वाइंट पाने के लिए लगातार उसे खेलते रहते हैं। यह नशा या लत है जो स्टेच दर स्टेज बढ़ता जाता है।
यदि अभिभावक बच्चों से ये छुडवाना चाहते हैं तो बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या आक्रोश देखने को मिलता है। ऑनलाइन क्लास शुरू होने के बाद यह मजबूरी हो गई है कि उन्हें मोबाइल दिया जाए। अभिभावक हमेशा साथ नहीं रहते और बच्चे कई ऐसे गलत साइट या गेम खेलते हैं।
छह से 14 साल की उम्र वाले बच्चों का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ रहता है। ऐसे बच्चे जब एक स्टेज का पार करने के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी को मार कर आगे बढ़ता है तो उसका दिमाग इसे सच मानता है और यही उसके मन में आक्रोश या चिड़चिड़ेपन को जन्म देता है। जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
इस लत से निजात दिलाने के लिए अभिभावकों के लिए सलाह
- एकदम छोटे बच्चों में शुरूआत से इसे कंट्रोल करें।
- बच्चे यदि मोबाइल पर गेम खेल रहे हैं तो उनके लिए समय निर्धारित कर दें। उन्हें एहसास करा दें कि तय समय के बाद उन्हें गेम नहीं खेलना है।
- जिन बच्चों में ऑनलाइन गेम की लत लग गई है उनके साथ समय बिताएं। उनके साथ बाहर जाएं। उन्हें दूसरे बच्चों के साथ आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें।
- जिन घरों में माता-पिता दोनो काम करते हैं वहां इस तरह की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे अभिभावक अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं।
- घर पर अभिभावक एक माहौल बनाए ताकि खाना खाते समय, साथ बैठकर बातचीत करते समय कोई भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करेगा।
- जो बच्चे इस लत के कारण घर से भाग निकले। वापस आने पर अभिभावक उन्हें ऐसा माहौल दें कि उन्हें बात-बात में उनकी गलती का एहसास न कराएं। उन्हें पूरा सपोर्ट दें।