26 दिन में एक नसबंदी, खर्च दो लाख 35 हजार; इस तरह हुआ खुलासा
nasbandi. बीते पांच साल में सिर्फ 68 नसबंदी हुई है और इस पर कुल एक करोड़ 60 लाख 62 हजार 716 रुपये खर्च किए।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। 26 दिन में एक पुरुष नसबंदी और इस पर करीब दो लाख 35 हजार रुपये का खर्च। चौंकिए मत, सूचना के अधिकार अधिनियम में यह खुलासा हुआ है। पूर्वी सिंहभूम जिले में बीते पांच साल में सिर्फ 68 नसबंदी हुई है और इस पर कुल एक करोड़ 60 लाख 62 हजार 716 रुपये खर्च किए। मतलब, विभाग ने 26 दिन में एक नसबंदी कराने पर खर्च कर दिए दो लाख 35 हजार रुपये।
वहीं, प्रचार-प्रसार के लिए अलग से बीते चार साल में कुल 37 लाख 157 रुपये खर्च किए गए हैं। स्थिति इतनी बदतर है कि वर्ष 2014-15 में सिर्फ एक नसबंदी हुई। मतलब, पोटका को छोड़ नौ प्रखंड में एक भी नसबंदी नहीं हुई। यहीं हाल करीब-करीब अब भी बरकरार है, जबकि एक नसबंदी करने में करीब 15 मिनट का समय और उसपर करीब 1500 रुपये खर्च आता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा कुछ और कहता है। यह हैरान करने वाली तथ्य सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
पांच साल में डुमरिया, बहरागोड़ा व घाटशिला में एक भी नसबंदी नहीं
नसबंदी कराने में सबसे पिछड़ा प्रखंड डुमरिया रहा है। बीते पांच साल में डुमरिया में एक भी नसबंदी नहीं हुई। मतलब, 1825 दिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने फांकी मारकर गुजार दिए और सरकारी योजना दम तोड़ रही है। यहीं हाल बहरागोड़ा व घाटशिला प्रखंड का भी है। यहां पर भी नसबंदी का ग्राफशून्य है। वहीं, सबसे बेहतर स्थिति जमशेदपुर शहरी क्षेत्र की है। यहां पर बीते पांच साल में कुल 43 लोगों की नसबंदी की गई है।
पांच साल में आधी घट गई राशि
बीते पांच साल में प्रचार-प्रसार की राशि भी घटाकर आधी कर दी गई है। वर्ष 2014-15 में इसके लिए 10 लाख 12 हजार 756 रुपये उपलब्ध कराए जाते थे, लेकिन अब पांच लाख 75 हजार 200 रुपये ही मिल रहे हैं। प्रचार को पोस्टर, बैनर, नुक्कड़ नाटक, हैंड पंपलेट, दीवार लेखन किया जाता है।
योजना फेल होने से हर साल घटता गया फंड
पूर्वी सिंहभूम जिले में पुरुष नसबंदी अभियान किसी साल सफल नहीं रहा है। इस वजह से सरकार हर साल फंड घटाती जा रही है। वर्ष 2014-15 में पुरुष नसबंदी के लिए विभाग को 54 लाख 87 हजार नौ रुपये दिया गया था जो अब घटकर 16 लाख 30 हजार 476 रुपये तक पहुंच गया है। विभाग के अनुसार, फंड खर्च नहीं हो पाने और लक्ष्य से काफी पीछे रहने की वजह से फंड में लगातार कटौती की जा रही है।