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अब प्लास्टिक से भी संभव है तेल व बिजली, जानें- क्या है तरीका

लोयोला स्कूल के छात्रों ने प्लास्टिक से तेल और बिजली बनाने का नया तरीका विकसित किया है।

By Edited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 02:54 PM (IST)
अब प्लास्टिक से भी संभव है तेल व बिजली, जानें- क्या है तरीका
अब प्लास्टिक से भी संभव है तेल व बिजली, जानें- क्या है तरीका

जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। लोयोला स्कूल के छात्रों ने प्लास्टिक से तेल और बिजली बनाने का तरीका विकसित किया है। वहीं, हिल टॉप के छात्रों ने प्लास्टिक कचरा के निष्पादन के लिए प्लास्टिक एप विकसित किया है। नेशनल क्रिएटिविटी ओलंपियाड में रविवार को छात्रों ने अपने मॉडल को प्रदर्शित कर सबको चौंका दिया। प्लास्टिक एंड क्लीननेस एनवायरमेंट थीम पर इसका आयोजन साकची स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स में किया गया था। इसमें देश व शहर के 21 स्कूलों की टीम शामिल थी।

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ऐसे निकाल रहे प्लास्टिक से तेल
प्लास्टिक से तेल निकालने वाले लोयोला स्कूल के छात्र अमन शर्मा, सिद्धार्थ सिंह, देवव्रत भगत, धु्रव चट्टोराज ने बताया कि मॉडल का नाम ऑयल फ्रॉम प्लास्टिक है। इसमें कॉर्निकल फ्लास्ट, कंडेनशर, सिलेंडर, स्टील टिफिन बॉक्स व पाइप का इस्तेमाल किया गया है। स्टील टिफिन बॉक्स में प्लास्टिक के बोतलों को मोड़कर पहले डाल दिया जाता है। उसके बाद इसे गर्म किया जाता है। गर्म होते ही वह धुआं छोड़ने लगाता है। इस धुआं को कॉनिकल फ्लास्क में स्टोर में किया जाता है। धुआं कंडेनशर के सहारे पाइप में जाता है। पाइप के अंतिम छोर पर धुआं पानी के जरिए गिरता है। इस पानी के ठंडा होते ही इससे तेल अलग कर लिया जाता है।

फायदेमंद है प्लास्टिक एप
प्लास्टिक एप विकसित करने वाले हिल टॉप स्कूल के शिक्षक आशीष कपूर, छात्र शुभम कुमार, सुमित कुमार, सौनक और विष्णु ने बताया कि एप डाउनलोड कर प्लास्टिक के बोतल और कचरे की फोटो भेज सकते हैं। एप जीपीएस के सहारे खुद ही लोकेशन ट्रेस कर लेगा। उसके बाद एप से जुड़े लोग कचरा उठा लेंगे। कचरा निस्तारण प्लांट के लिए यह बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। इस एप को अभी सर्कुलेट नहीं किया गया है।

कुकर से बनेगी बिजली
कुकर से बिजली बनाने की तकनीक विकसित करने वाले लोयोला स्कूल के छात्र प्रथम मार्डी, सागर कुमार, सुब्रत भगत, तीर्थ चटर्जी ने बताया कि प्लस्टिक की बोतलों को कुकर के अंदर डाल दिया जाता है। कुकर में एक ताप मापने वाला मीटर लगा रहता है। 16पीएसआइ में मीटर पहुंचने पर पाइप में लगे नल को हल्का सा खोल दिया जाता है। इस पाइप से गैस सीधे जनरेटर में जाती है। यहां पर ऊर्जा स्टोर होगी। नुकसानदेह गैस दूसरी जगह स्टोर होगी। इस नुकसानदेह गैस का इस्तेमाल विभिन्न तरह के खेती कार्य में किया जा सकेगा। जेनरेटर में ऊर्जा स्टोर होने के बाद जेनरेटर के स्वीच को ऑन करने से बिजली उपकरण जलने लगते हैं।


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